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मोहन यादव खत्म करेंगे कर्मचारियों के 36 साल का इंतजार, वेतन की पुरानी मांग नया फैसला

मध्य प्रदेश के कर्मचारियों के वेतन, पेंशन और सेवा नियमों से जुड़ी विसंगतियों को दूर करेगी मोहन यादव सरकार. 4 सदस्यों की सीनियर अधिकारियों की कमेटी गठित होगी.

mohan govt fulfil MP GOVT EMPLOYEES DEMAND
मोहन सरकार कर्मचारियों की मांगें करेगी पूरा (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : 2 hours ago

Updated : 36 minutes ago

भोपाल: मध्य प्रदेश की मोहन सरकार सरकारी कर्मचारी-अधिकारियों की सालों पुरानी मांगों को पूरा करने की तैयारी कर रही है. प्रदेश के कर्मचारी संगठन सरकार के सामने वेतन, पेंशन और सेवा नियमों से जुड़ी विसंगतियों को दूर करने के संबंध में लगातार आवाज उठाते रहे हैं. अब राज्य सरकार इन्हें दूर करने के लिए सीनियर अधिकारियों की 4 सदस्यीय कमेटी गठित करने जा रही है. यह कमेटी कर्मचारी संगठनों से चर्चा कर तमाम समस्याओं को दूर करने की दिशा में सरकार को सुझाव देगी. बताया जा रहा है कि सरकार सबसे पहले पेंशन नियमों को लेकर फैसला करने पर विचार कर रही है, ताकि रिटायर्ड हो रहे कर्मचारी अधिकारियों को राहत पहुंचाई जा सके.

पेंशन नियमों में जल्द होगा बदलाव

मध्य प्रदेश के कर्मचारी संगठन पेंशन नियम 1976 में संशोधन को लेकर लंबे समय से मांग उठाते आए हैं. दरअसल केन्द्र सरकार पेंशन नियमों में बदलाव कर चुकी है, लेकिन प्रदेश में नियम नहीं बदले गए. इसका नुकसान रिटायर्ड कर्मचारियों को उठाना पड़ रहा है. केन्द्र सरकार नियम बना चुकी है कि 25 साल से ज्यादा उम्र के अविवाहित पुत्री, विधवा और परित्याक्ता को परिवार पेंशन की पात्रता होगी, लेकिन प्रदेश में इसे अभी तक लागू नहीं किया गया.

4 सदस्यीय सीनियर अधिकारियों की कमेटी गठित

इसी तरह कर्मचारी वेतन विसंगतियों को लेकर भी आवाज उठाते रहे हैं. जैसे मध्य प्रदेश में स्टेनोग्राफर की योग्यता और भर्ती नियम एक हैं लेकिन मंत्रालय में पदस्थ स्टेनोग्राफर को 1996 से ज्यादा वेतन दिया जा रहा है. इसी तरह तृतीय श्रेणी के बाबू और चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी के वेतन में बेहद मामूली अंतर है. इस तरह की तमाम विसंगतियों को दूर करने के लिए राज्य सरकार 4 सदस्यीय सीनियर अधिकारियों की कमेटी गठित करने जा रही है. यह कमेटी कर्मचारियों से जुड़े तमाम मुद्दों पर सभी पक्षों से चर्चा करेगी और इन्हें दूर करने के लिए सरकार को रिपोर्ट सौंपेगी.

पहले भी सौंपी जा चुकी रिपोर्ट

हालांकि इसके पहले भी सरकार कर्मचारियों की समस्याओं को दूर करने आयोग गठित कर चुकी है. राज्य सरकार द्वारा गठित जेपी सिंघल की अध्यक्षता वाले आयोग ने पेंशन नियमों में संशोधन को लेकर सरकार को रिपोर्ट सौंपी थी, लेकिन इस पर अभी तक कोई निर्णय सरकार ने नहीं लिया. इसी तरह कर्मचारियों के वेतन-भत्तों को लेकर तत्कालीन वित्त सचिव अजीत कुमार ने सरकार को रिपोर्ट सौंपी थी. इस पर भी कोई कदम नहीं उठाया गया.

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'कर्मचारियों की मांगों पर सरकार उठाए कदम'

मध्यप्रदेश राज्य कर्मचारी संघ के प्रदेश महामंत्री जितेन्द्र सिंह कहते हैं कि "पिछले दिनों कर्मचारियों के प्रतिनिधि मंडल ने उप मुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा से मुलाकात की थी और अपनी मांगे रखी थीं. हमारी यही कोशिश है कि सरकार कम से कम उन मांगों पर तो विचार करे, जिससे सरकार पर वित्तीय बोझ नहीं आना है. उम्मीद है कि जल्द ही सरकार कर्मचारियों की मांगों पर कदम उठायेगी."

भोपाल: मध्य प्रदेश की मोहन सरकार सरकारी कर्मचारी-अधिकारियों की सालों पुरानी मांगों को पूरा करने की तैयारी कर रही है. प्रदेश के कर्मचारी संगठन सरकार के सामने वेतन, पेंशन और सेवा नियमों से जुड़ी विसंगतियों को दूर करने के संबंध में लगातार आवाज उठाते रहे हैं. अब राज्य सरकार इन्हें दूर करने के लिए सीनियर अधिकारियों की 4 सदस्यीय कमेटी गठित करने जा रही है. यह कमेटी कर्मचारी संगठनों से चर्चा कर तमाम समस्याओं को दूर करने की दिशा में सरकार को सुझाव देगी. बताया जा रहा है कि सरकार सबसे पहले पेंशन नियमों को लेकर फैसला करने पर विचार कर रही है, ताकि रिटायर्ड हो रहे कर्मचारी अधिकारियों को राहत पहुंचाई जा सके.

पेंशन नियमों में जल्द होगा बदलाव

मध्य प्रदेश के कर्मचारी संगठन पेंशन नियम 1976 में संशोधन को लेकर लंबे समय से मांग उठाते आए हैं. दरअसल केन्द्र सरकार पेंशन नियमों में बदलाव कर चुकी है, लेकिन प्रदेश में नियम नहीं बदले गए. इसका नुकसान रिटायर्ड कर्मचारियों को उठाना पड़ रहा है. केन्द्र सरकार नियम बना चुकी है कि 25 साल से ज्यादा उम्र के अविवाहित पुत्री, विधवा और परित्याक्ता को परिवार पेंशन की पात्रता होगी, लेकिन प्रदेश में इसे अभी तक लागू नहीं किया गया.

4 सदस्यीय सीनियर अधिकारियों की कमेटी गठित

इसी तरह कर्मचारी वेतन विसंगतियों को लेकर भी आवाज उठाते रहे हैं. जैसे मध्य प्रदेश में स्टेनोग्राफर की योग्यता और भर्ती नियम एक हैं लेकिन मंत्रालय में पदस्थ स्टेनोग्राफर को 1996 से ज्यादा वेतन दिया जा रहा है. इसी तरह तृतीय श्रेणी के बाबू और चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी के वेतन में बेहद मामूली अंतर है. इस तरह की तमाम विसंगतियों को दूर करने के लिए राज्य सरकार 4 सदस्यीय सीनियर अधिकारियों की कमेटी गठित करने जा रही है. यह कमेटी कर्मचारियों से जुड़े तमाम मुद्दों पर सभी पक्षों से चर्चा करेगी और इन्हें दूर करने के लिए सरकार को रिपोर्ट सौंपेगी.

पहले भी सौंपी जा चुकी रिपोर्ट

हालांकि इसके पहले भी सरकार कर्मचारियों की समस्याओं को दूर करने आयोग गठित कर चुकी है. राज्य सरकार द्वारा गठित जेपी सिंघल की अध्यक्षता वाले आयोग ने पेंशन नियमों में संशोधन को लेकर सरकार को रिपोर्ट सौंपी थी, लेकिन इस पर अभी तक कोई निर्णय सरकार ने नहीं लिया. इसी तरह कर्मचारियों के वेतन-भत्तों को लेकर तत्कालीन वित्त सचिव अजीत कुमार ने सरकार को रिपोर्ट सौंपी थी. इस पर भी कोई कदम नहीं उठाया गया.

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'कर्मचारियों की मांगों पर सरकार उठाए कदम'

मध्यप्रदेश राज्य कर्मचारी संघ के प्रदेश महामंत्री जितेन्द्र सिंह कहते हैं कि "पिछले दिनों कर्मचारियों के प्रतिनिधि मंडल ने उप मुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा से मुलाकात की थी और अपनी मांगे रखी थीं. हमारी यही कोशिश है कि सरकार कम से कम उन मांगों पर तो विचार करे, जिससे सरकार पर वित्तीय बोझ नहीं आना है. उम्मीद है कि जल्द ही सरकार कर्मचारियों की मांगों पर कदम उठायेगी."

Last Updated : 36 minutes ago
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