जयपुर: बिना पढ़े लिखों के लिए 'मैं अजमेर जा रहा हूं' बन जाता है 'मैं आज मर रहा हूं' और 'मदन दिलावर' बन जाता है 'मदन जिनावर'. इसलिए पढ़ना लिखना आवश्यक है. ये कहना है प्रदेश के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर का. वे मंगलवार को नव भारत साक्षरता कार्यक्रम के तहत आयोजित उल्लास मेले को सम्बोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि आगामी 2 साल में राजस्थान पूर्णत: साक्षर की श्रेणी में आ जाएगा.
यह आयोजन जयपुर स्थित इंदिरा गांधी पंचायती राज एवं ग्रामीण विकास संस्थान में हुआ. इस दौरान शिक्षा मंत्री ने नवसाक्षरों को पुरस्कृत करते हुए उनसे संवाद किया. शिक्षा मंत्री ने अपने सम्बोधन में डीडवाना-कुचामन की नवसाक्षर शांति देवी का उदाहरण दिया और सभी निरक्षर लोगों को शिक्षित होने का आह्वान किया. उन्होंने कहा कि शांति ने दसवीं की परीक्षा दे दी. दिलावर ने कहा कि 'जब कोई लिख करके देता है और हम उसे पढ़ नहीं पाएं तो मन पर क्या बीतती होगी. फिर किसी को कहते हैं कि इसको पढ़ करके बताओ. और वो अशुद्ध पढ़ दें तो अर्थ का अनर्थ हो जाता है. इसलिए खुद का साक्षर होना जरूरी है.
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मंत्री ने सुनाया अपने नाम का किस्सा: दिलावर ने कहा कि जब उन्होंने पहली बार चुनाव लड़ा तो उनका नाम गांव में जाते-जाते ही बदल गया. एक ग्रामीण महिला ने उन्हें देख करके बोला कि ये तो आदमी की तरह है, क्योंकि उस महिला ने उनका नाम सुन रखा था- 'मदन जिनावर'. इसलिए पढ़ना लिखना आवश्यक है. उन्होंने कहा कि पढ़ा-लिखा व्यक्ति अपने अधिकारों और दायित्वों के प्रति अधिक जागरूक और सजग होता है. नव भारत साक्षरता कार्यक्रम में राजस्थान के लोग भी बहुत रुचि ले रहे हैं. अब ऐसे बहुत कम लोग रह गए हैं जो साक्षर नहीं है. आने वाले 2 साल में सभी साक्षर हो जाएंगे. इसको लेकर के सतत अभियान चल रहा है. ऐसे बहुत से लोग हैं जो बिना वेतन मानदेय लेकर सहयोग कर रहे हैं. गांव के लोगों को पढ़ा रहे हैं. गांव में जितनी कला है उसके माध्यम से लोगों को साक्षर बनाने का काम कर रहे हैं.
सुनीता देवी ने हस्ताक्षर करना सीखा: समारोह में जोधपुर की सुनीता देवी ने अपने पढ़ाई के अनुभव साझा करते हुए बताया कि शादी के बाद ससुराल में पढ़ना लिखना सीखा और आज वो अंगूठे की जगह हस्ताक्षर करती है. नरेगा में काम करने वाली सुनीता देवी अब पैसों के हिसाब किताब और प्लानिंग में भी पारंगत हो गई है. सुनीता देवी की तरह लाखों लोग लर्नर्स सर्टिफाइड हुए हैं.
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जिलों की प्रदर्शनी लगी: इस दौरान मंत्री दिलावर ने राजस्थान राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद की जयपुर, अजमेर, भीलवाड़ा, कोटा, सीकर, दौसा, जोधपुर, उदयपुर जिलों की प्रदर्शनी का अवलोकन किया.
बता दें कि उल्लास नव भारत साक्षरता कार्यक्रम स्वयंसेवी शिक्षण पर आधारित है. इसमें NCC/NSS के विद्यार्थी, B.Ed के इंटर्नशिप छात्र, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, सेवानिवृत कार्मिक, भूतपूर्व सैनिक जैसे स्वयंसेवक बिना किसी मानदेय के 15 वर्ष और अधिक आयु के निरक्षरों को पढ़ा रहे है. प्रदेश में अभी भी अनुमानित 80 लाख व्यक्ति निरक्षर है. वर्ष 2024-25 में 20 लाख असाक्षरों को साक्षर करने का लक्ष्य रखा गया है. वहीं उल्लास एप पर अब तक 15.68 लाख असाक्षरों का पंजीकरण किया जा चुका है.