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दिल्ली में बस मार्शल को हटाने पर आतिशी ने उठाए सवाल, कहा- भाजपा को महिलाओं की सुरक्षा की परवाह नहीं

दिल्ली विधानसभा में बुधवार को सिविल डिफेंस वॉलिंटियर्स को नौकरी बहाल करने की मांग को लेकर काफी देर तक चर्चा हुई थी. इसी मुद्दे पर गुरुवार को भी सीएम अरविंद केजरीवाल ने विधानसभा में अपनी बात रखी.

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Feb 29, 2024, 1:47 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली विधानसभा में बुधवार को सिविल डिफेंस वॉलिंटियर्स को नौकरी बहाल करने की मांग को लेकर काफी देर तक चर्चा हुई थी. इसकी मांग आम आदमी पार्टी की विधायकों ने ही की और उसके बाद इस पर मंत्री आतिशी और सौरभ भारद्वाज ने भी अपना वक्तव्य दिया.

सौरभ भारद्वाज ने कहा कि केजरीवाल सरकार की पॉलिसी को रोकने के लिए अफसरों को खास निर्देश दिए गए हैं, फिर चाहे फाइलों पर कुछ भी लिखना पड़े. वहीं, अफसरों को भी फाइलों पर कुतर्क लिखते हुए कोई डर और शर्म महसूस नहीं होता है. उनको इस बात का भी डर नहीं रह गया है कि उनको इस बात के लिए जेल भी हो सकती है. इन अफसरों को बीजेपी का आशीर्वाद प्राप्त है. इसी वजह से ये लोग आपराधिक गतिविधियां कर रहे हैं. आज एक आईएस अधिकारी दिल्ली सरकार की विभिन्न पॉलिसियों की फाइलों पर मनमाना कमेंट लिख रहा है. वरना एक आईएएस अफसर में इतनी हिम्मत कहां से आती है कि वह सिविल डिफेंस वॉलिंटियर्स की फाइल में यह लिख दे कि जब बसों में सीसीटीवी कैमरे और पैनिक बटन लग गए हैं तो बस मार्शलों की कोई जरूरत नहीं है. सीसीटीवी कैमरे तो एलजी हाउस में भी लगे हुए हैं तो वहां इतनी सुरक्षा क्यों है. एलजी को भी अपनी सिक्योरिटी छोड़ देनी चाहिए. वहीं, जिस अफसर ने फाइल में यह लिखा है, वह खुद एक पुलिसकर्मी को सुरक्षा के लिए साथ रखता है. दिल्ली की हर सड़कों पर सीसीटीवी लगे हुए हैं तो ऐसे में सभी अफसरों को भी अपनी सुरक्षा छोड़ देनी चाहिए.

बुधवार को दिल्ली विधानसभा में बजट सत्र के दौरान इस मुद्दे पर अल्पकालिक चर्चा के दौरान कैबिनेट मंत्री आतिशी ने कहा कि जिन अफसरों ने इनको बसों में मार्शल के रूप में तैनाती और सैलरी दी, अब वही सवाल खड़े कर रहे हैं. ये अफसर कह रहे हैं कि जब बसों में सीसीटीवी कैमरे और पैनिक बटन है तो मार्शलों की क्या जरूरत है? लेकिन यह नहीं भूलना चाहिए कि पिछले 9 सालों में मार्शलों ने महिलाओं को सुरक्षा व सम्मान के साथ बसों में सफ़र करने का मौका दिया और कई बार अपराधियों से भी बचाया है. अभी तक भाजपा आम आदमी पार्टी और अरविंद केजरीवाल से नफरत करती थी, लेकिन अब वो दिल्ली की महिलाओं और सीडीवी से भी नफरत करने लगी है.

वहीं, सौरभ भारद्वाज ने कहा कि अफसरों को केजरीवाल सरकार की पॉलिसी को रोकने के लिए खास निर्देश दिए गए हैं, क्योंकि इन्हें भाजपा का आशीर्वाद मिला हुआ है. जबकि विधायक कुलदीप कुमार ने कहा कि केजरीवाल सरकार ने दिल्ली के 10 हजार लोगों को रोजगार दिया, लेकिन भाजपा ने उनसे उनका रोजगार छीन लिया.

मार्शलों की नौकरी बहाल करने पर अल्पकालिक चर्चा : विधानसभा में बजट सत्र के दौरान सदन में बस मार्शलों की नौकरी बहाल करने पर अल्पकालिक चर्चा की शुरुआत विधायक मदन लाल ने की. इसके बाद कैबिनेट मंत्री आतिशी ने कहा कि दशकों से दिल्ली की बसों में सफ़र करने का महिलाओं का बुरा अनुभव रहा. एक महिला के लिए पहले डीटीसी बसों में सफ़र करना किसी महाभारत से कम नहीं था. जब वो एक भरी हुई बस में चढ़ती है तो वहां उनपर भद्दे मज़ाक़ होते, ग़लत निगाह से देखते, अश्लील कमेंट करते. कोई भी महिला मजबूरी में ही डीटीसी बस में सफ़र करती थी. इस दौरान कई सरकारें आई-गई, लेकिन किसी ने भी महिलाओं की सुरक्षा के बारे में नहीं सोचा. यह दिल्लीवालों का सौभाग्य है कि 2015 में दिल्ली के लोगों को अरविंद केजरीवाल जैसा मुख्यमंत्री मिला, जिन्होंने दिल्ली के 2 करोड़ लोगो को अपने परिवार की तरह माना और बहन-बेटियों की सुरक्षा की चिंता की. इसी वजह से बस मार्शल योजना की शुरुआत की गईं.

ये भी पढ़ें : दिल्ली के विश्वविद्यालयों तक पहुंची ईडब्ल्यूएस के आरक्षण में भूमि, भवन और आयु सीमा की शर्त में छूट की मांग

आतिशी ने कहा कि जिन अफ़सरों ने स्कीम की शुरुआत की, सैलरी का पैसा जारी करते रहे, मार्शलों की नियुक्ति करते आए, अब वही अफसर इस पर सवाल उठाने लगे हैं. कभी फाइनेंस विभाग ने सवाल उठाए कि सिविल डिफ़ेंस वालेंटियर्स को बस मार्शल के रूप में नहीं रख सकते है, कभी राजस्व विभाग ने सवाल उठाए, जबकि उसने ही इनकी नियुक्ति की. हर महीने सैलरी दे रहा ट्रांसपोर्ट विभाग ने भी सवाल उठाया कि बसों में सीसीटीवी और पैनिक बटन लगे हैं, इसलिए इनकी ज़रूरत नहीं है.

उन्होंने कहा कि शानदार कारों में चलने वाले इन अफसरों को अंदाज़ा भी नहीं है कि बस का सफ़र करते हुए महिलाओं को किस दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ता है. क्या सीसीटीवी कैमरा एक बस मार्शल की जगह ले सकता है और होते हुए अपराध को रोक सकता है? उन्होंने सिविल डिफेंस वॉलंटियर्स को सलाम करते हुए कहा कि बस मार्शलों ने पिछले 9 सालों से महिलाओं को सुरक्षा और सम्मान के साथ बसों में सफ़र करने का मौक़ा दिया और कई बार अपराधियों से बचाया. एक बार एक सिविल डिफेंस वॉलेंटियर ने चार साल की बच्ची को किडनैप होने से बचाया.

बसों में पैनिक बटन: आतिशी ने कहा कि जब अलग-अलग विभागों के अफ़सरों ने सवाल उठाने शुरू किए कि जब बसों में पैनिक बटन, सीसीटीवी कैमरा है तो सिविल डिफ़ेंस वालेंटियरों की क्या ज़रूरत है. इस पर सीएम अरविंद केजरीवाल ने जबाव दिया कि मुझे पता है, बसों में सीसीटीवी कैमरा है, पैनिक बटन है लेकिन जब देश के प्रधानमंत्री की 12 स्तरीय सुरक्षा मिल सकती है, मुख्यमंत्री की 5 स्तरीय सुरक्षा मिल सकती है तो क्या मैं दिल्ली की बसों में सफ़र कर रही अपनी माता-बहनों को तीन स्तरीय सुरक्षा नहीं दे सकता.

परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने अधिकारियों की सिविल डिफ़ेंस वालंटियरों की तनख़्वाह जारी करने के आदेश दिए, मैंने बतौर वित्त मंत्री आदेश दिए, लेकिन बार बार आदेश देने के बाबजूद भी उनकी तनख़्वाह नहीं दी गई और सवाल उठाए गए. 25 सितंबर को परिवहन मंत्री कैलाश ने स्पष्ट निर्देश दिए कि हम सीसीटीवी कैमरा और पैनिक बटन होने के बावजूद अपने बसों में मार्शल रखेंगे और ये सरकार का निर्णय है. इसके लिए चाहे जितने पैसे लगे, महिलाओं की एक सुरक्षित सफ़र देने के लिए दिल्ली सरकार प्रावधान करेगी. लेकिन परिवहन मंत्री, वित्त मंत्री, राजस्व मंत्री के आदेश के बावजूद 31 अक्तूबर को राजस्व विभाग ने सिविल डिफ़ेंस वालंटियरों को हटाने के निर्देश दे दिए. उन्होंने सिविल डिफ़ेंस वालंटियरों से कहा कि जब भी दिल्ली पर संकट आया, अरविंद केजरीवाल दीवार बनकर खड़े रहे. उसी तरह अरविंद केजरीवाल बस मार्शलों हक़ की लड़ाई भी लड़ेंगे. चाहे सड़क से संसद तक लड़ना पड़े, लेकिन उनके हक़ की लड़ाई लड़ते रहेंगे.

ये भी पढ़ें : सिलक्यारा सुरंग में फंसे 41 मजदूरों को बचाने वाले रैट माइनर के घर पर चला बुलडोजर, तो वकील हसन का छलका दर्द

नई दिल्ली: दिल्ली विधानसभा में बुधवार को सिविल डिफेंस वॉलिंटियर्स को नौकरी बहाल करने की मांग को लेकर काफी देर तक चर्चा हुई थी. इसकी मांग आम आदमी पार्टी की विधायकों ने ही की और उसके बाद इस पर मंत्री आतिशी और सौरभ भारद्वाज ने भी अपना वक्तव्य दिया.

सौरभ भारद्वाज ने कहा कि केजरीवाल सरकार की पॉलिसी को रोकने के लिए अफसरों को खास निर्देश दिए गए हैं, फिर चाहे फाइलों पर कुछ भी लिखना पड़े. वहीं, अफसरों को भी फाइलों पर कुतर्क लिखते हुए कोई डर और शर्म महसूस नहीं होता है. उनको इस बात का भी डर नहीं रह गया है कि उनको इस बात के लिए जेल भी हो सकती है. इन अफसरों को बीजेपी का आशीर्वाद प्राप्त है. इसी वजह से ये लोग आपराधिक गतिविधियां कर रहे हैं. आज एक आईएस अधिकारी दिल्ली सरकार की विभिन्न पॉलिसियों की फाइलों पर मनमाना कमेंट लिख रहा है. वरना एक आईएएस अफसर में इतनी हिम्मत कहां से आती है कि वह सिविल डिफेंस वॉलिंटियर्स की फाइल में यह लिख दे कि जब बसों में सीसीटीवी कैमरे और पैनिक बटन लग गए हैं तो बस मार्शलों की कोई जरूरत नहीं है. सीसीटीवी कैमरे तो एलजी हाउस में भी लगे हुए हैं तो वहां इतनी सुरक्षा क्यों है. एलजी को भी अपनी सिक्योरिटी छोड़ देनी चाहिए. वहीं, जिस अफसर ने फाइल में यह लिखा है, वह खुद एक पुलिसकर्मी को सुरक्षा के लिए साथ रखता है. दिल्ली की हर सड़कों पर सीसीटीवी लगे हुए हैं तो ऐसे में सभी अफसरों को भी अपनी सुरक्षा छोड़ देनी चाहिए.

बुधवार को दिल्ली विधानसभा में बजट सत्र के दौरान इस मुद्दे पर अल्पकालिक चर्चा के दौरान कैबिनेट मंत्री आतिशी ने कहा कि जिन अफसरों ने इनको बसों में मार्शल के रूप में तैनाती और सैलरी दी, अब वही सवाल खड़े कर रहे हैं. ये अफसर कह रहे हैं कि जब बसों में सीसीटीवी कैमरे और पैनिक बटन है तो मार्शलों की क्या जरूरत है? लेकिन यह नहीं भूलना चाहिए कि पिछले 9 सालों में मार्शलों ने महिलाओं को सुरक्षा व सम्मान के साथ बसों में सफ़र करने का मौका दिया और कई बार अपराधियों से भी बचाया है. अभी तक भाजपा आम आदमी पार्टी और अरविंद केजरीवाल से नफरत करती थी, लेकिन अब वो दिल्ली की महिलाओं और सीडीवी से भी नफरत करने लगी है.

वहीं, सौरभ भारद्वाज ने कहा कि अफसरों को केजरीवाल सरकार की पॉलिसी को रोकने के लिए खास निर्देश दिए गए हैं, क्योंकि इन्हें भाजपा का आशीर्वाद मिला हुआ है. जबकि विधायक कुलदीप कुमार ने कहा कि केजरीवाल सरकार ने दिल्ली के 10 हजार लोगों को रोजगार दिया, लेकिन भाजपा ने उनसे उनका रोजगार छीन लिया.

मार्शलों की नौकरी बहाल करने पर अल्पकालिक चर्चा : विधानसभा में बजट सत्र के दौरान सदन में बस मार्शलों की नौकरी बहाल करने पर अल्पकालिक चर्चा की शुरुआत विधायक मदन लाल ने की. इसके बाद कैबिनेट मंत्री आतिशी ने कहा कि दशकों से दिल्ली की बसों में सफ़र करने का महिलाओं का बुरा अनुभव रहा. एक महिला के लिए पहले डीटीसी बसों में सफ़र करना किसी महाभारत से कम नहीं था. जब वो एक भरी हुई बस में चढ़ती है तो वहां उनपर भद्दे मज़ाक़ होते, ग़लत निगाह से देखते, अश्लील कमेंट करते. कोई भी महिला मजबूरी में ही डीटीसी बस में सफ़र करती थी. इस दौरान कई सरकारें आई-गई, लेकिन किसी ने भी महिलाओं की सुरक्षा के बारे में नहीं सोचा. यह दिल्लीवालों का सौभाग्य है कि 2015 में दिल्ली के लोगों को अरविंद केजरीवाल जैसा मुख्यमंत्री मिला, जिन्होंने दिल्ली के 2 करोड़ लोगो को अपने परिवार की तरह माना और बहन-बेटियों की सुरक्षा की चिंता की. इसी वजह से बस मार्शल योजना की शुरुआत की गईं.

ये भी पढ़ें : दिल्ली के विश्वविद्यालयों तक पहुंची ईडब्ल्यूएस के आरक्षण में भूमि, भवन और आयु सीमा की शर्त में छूट की मांग

आतिशी ने कहा कि जिन अफ़सरों ने स्कीम की शुरुआत की, सैलरी का पैसा जारी करते रहे, मार्शलों की नियुक्ति करते आए, अब वही अफसर इस पर सवाल उठाने लगे हैं. कभी फाइनेंस विभाग ने सवाल उठाए कि सिविल डिफ़ेंस वालेंटियर्स को बस मार्शल के रूप में नहीं रख सकते है, कभी राजस्व विभाग ने सवाल उठाए, जबकि उसने ही इनकी नियुक्ति की. हर महीने सैलरी दे रहा ट्रांसपोर्ट विभाग ने भी सवाल उठाया कि बसों में सीसीटीवी और पैनिक बटन लगे हैं, इसलिए इनकी ज़रूरत नहीं है.

उन्होंने कहा कि शानदार कारों में चलने वाले इन अफसरों को अंदाज़ा भी नहीं है कि बस का सफ़र करते हुए महिलाओं को किस दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ता है. क्या सीसीटीवी कैमरा एक बस मार्शल की जगह ले सकता है और होते हुए अपराध को रोक सकता है? उन्होंने सिविल डिफेंस वॉलंटियर्स को सलाम करते हुए कहा कि बस मार्शलों ने पिछले 9 सालों से महिलाओं को सुरक्षा और सम्मान के साथ बसों में सफ़र करने का मौक़ा दिया और कई बार अपराधियों से बचाया. एक बार एक सिविल डिफेंस वॉलेंटियर ने चार साल की बच्ची को किडनैप होने से बचाया.

बसों में पैनिक बटन: आतिशी ने कहा कि जब अलग-अलग विभागों के अफ़सरों ने सवाल उठाने शुरू किए कि जब बसों में पैनिक बटन, सीसीटीवी कैमरा है तो सिविल डिफ़ेंस वालेंटियरों की क्या ज़रूरत है. इस पर सीएम अरविंद केजरीवाल ने जबाव दिया कि मुझे पता है, बसों में सीसीटीवी कैमरा है, पैनिक बटन है लेकिन जब देश के प्रधानमंत्री की 12 स्तरीय सुरक्षा मिल सकती है, मुख्यमंत्री की 5 स्तरीय सुरक्षा मिल सकती है तो क्या मैं दिल्ली की बसों में सफ़र कर रही अपनी माता-बहनों को तीन स्तरीय सुरक्षा नहीं दे सकता.

परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने अधिकारियों की सिविल डिफ़ेंस वालंटियरों की तनख़्वाह जारी करने के आदेश दिए, मैंने बतौर वित्त मंत्री आदेश दिए, लेकिन बार बार आदेश देने के बाबजूद भी उनकी तनख़्वाह नहीं दी गई और सवाल उठाए गए. 25 सितंबर को परिवहन मंत्री कैलाश ने स्पष्ट निर्देश दिए कि हम सीसीटीवी कैमरा और पैनिक बटन होने के बावजूद अपने बसों में मार्शल रखेंगे और ये सरकार का निर्णय है. इसके लिए चाहे जितने पैसे लगे, महिलाओं की एक सुरक्षित सफ़र देने के लिए दिल्ली सरकार प्रावधान करेगी. लेकिन परिवहन मंत्री, वित्त मंत्री, राजस्व मंत्री के आदेश के बावजूद 31 अक्तूबर को राजस्व विभाग ने सिविल डिफ़ेंस वालंटियरों को हटाने के निर्देश दे दिए. उन्होंने सिविल डिफ़ेंस वालंटियरों से कहा कि जब भी दिल्ली पर संकट आया, अरविंद केजरीवाल दीवार बनकर खड़े रहे. उसी तरह अरविंद केजरीवाल बस मार्शलों हक़ की लड़ाई भी लड़ेंगे. चाहे सड़क से संसद तक लड़ना पड़े, लेकिन उनके हक़ की लड़ाई लड़ते रहेंगे.

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