शिमला: हिमाचल में दूध की कीमतें बढ़ने से किसानों की रुचि पशुपालन के प्रति बढ़ी है. यही कारण है कि प्रदेश में दूध की औसत खरीद 1.90 लाख लीटर प्रतिदिन के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है, जो पिछले साल की तुलना में 50 हजार लीटर अधिक है. पिछली साल प्रति दिन दूध की खरीद 1.40 लाख लीटर थी.
सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा, "दुग्ध क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश सरकार पशुपालन को अपनाने के लिए लोगों को प्रोत्साहित कर रही है. जिसके सकारात्मक परिणाम मिल्कफेड की ओर से दूध खरीद के आंकड़ों में देखने को मिल रहे हैं. प्रदेश की करीब 95 फीसदी आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है. ऐसे में ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करना सरकार की प्राथमिकताओं में शामिल है".
दूध की गुणवत्ता में भी हुआ सुधार: मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में गुणवत्तापूर्ण दुग्ध संग्रहण में सुधार हुआ है. दूध में वसा की मात्रा 3.50 प्रतिशत से बढ़कर 3.65 प्रतिशत और सॉलिड-नॉट-फैट की मात्रा 7.50 प्रतिशत से बढ़कर 7.70 हुई है. मिल्कफेड ने गत वर्ष के मई में 11.01 करोड़ रुपये और जून में 11.88 करोड़ रुपये की तुलना में इस वर्ष मई में 19.42 करोड़ रुपये और जून में 21.42 करोड़ रुपये के ऋण वितरित किए. उन्होंने कहा कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने को गाय दूध के खरीद मूल्य को 32 रुपये से बढ़ाकर 45 रुपये प्रति लीटर और भैंस दूध के खरीद मूल्य को 55 रुपये प्रति लीटर किया गया है. जिससे पशुपालकों की आर्थिकी सुदृढ़ होगी.
उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड के सहयोग से जिला कांगड़ा के ढगवार में अत्याधुनिक दुग्ध प्रसंस्करण संयंत्र स्थापित कर रही है. जिसके लिए सरकार ने 201 करोड़ रुपये जारी किए हैं. इस संयंत्र की प्रारंभिक क्षमता 1.5 लाख लीटर प्रतिदिन है. जिसे तीन लाख लीटर प्रतिदिन तक बढ़ाया जा सकता है. पूर्ण रूप से स्वचालित इस संयंत्र में दुग्ध आधारित अन्य उत्पाद जैसे दही, लस्सी, मक्खन, घी, पनीर, फ्लेवर्ड मिल्क, खोया और मोजिला चीज जैसे विभिन्न प्रकार के डेयरी उत्पाद तैयार किए जाएंगे, जिससे दुग्ध उत्पादकों को उनके उत्पाद के बेहतर मूल्य मिल सकेंगे.
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