नई दिल्ली: पांच जून को हर साल विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है. इस दिन हम सभी लोग पर्यावरण संरक्षण के लिए काम करने के प्रति जागरूक होते हैं. साथ ही बहुत सारी समाजसेवी संस्थाएं पौधरोपण और पर्यावरण से संबंधित कार्यशाला आयोजित करती है. लेकिन, कुछ ऐसी संस्थाएं और लोग हैं जो साल भर 365 दिन पर्यावरण संरक्षण के लिए काम करते हैं ताकि हरियाली बढ़े. प्रदूषण कम हो और सभी लोग खुलकर स्वच्छ हवा में सांस ले सकें.
आज हम आपको एक ऐसी ही शख्सियत से रूबरू कराने जा रहे हैं जिन्होंने सिर्फ 11 साल की उम्र से ही पौधरोपण कर पर्यावरण संरक्षण की शुरुआत की थी. अब उन्हें यह कार्य करते-करते 47 साल हो चुके हैं. 47 वर्ष से पर्यावरण संरक्षण की मुहिम में जुटे व्यक्ति का नाम है स्वामी प्रेम परिवर्तन. इन्होंने अपनी पर्यावरण संरक्षण की मुहिम में हजारों लाखों लोगों को अपने साथ जोड़कर अब तक 3 करोड़ से अधिक पौधे लगाए हैं.
स्वामी प्रेम परिवर्तन, जिनको अब लोग पीपल बाबा के नाम से भी जानते हैं. ETV भारत के साथ बातचीत में स्वामी प्रेम परिवर्तन उर्फ पीपल बाबा ने बताया कि लोगों को साफ खुली और स्वच्छ हवा में सांस लेने के लिए कम से कम जमीन के 50 प्रतिशत हिस्से पर हरियाली होनी चाहिए. लेकिन, अब औद्योगिकरण और तमाम तरह के डेवलपमेंट के कारण यह संभव नहीं है तो 40 प्रतिशत हरित क्षेत्र होना अति आवश्यक है, तभी हम हम सभी लोग सुरक्षित रह सकेंगे और अनेकों बीमारियों से निरोग भी बन सकेंगे.
दिल्ली में 40 प्रतिशत की जगह केवल 20 प्रतिशत ही हरियालीः दिल्ली में पर्यावरण प्रदूषण और पर्यावरण संरक्षण के सवाल पर पीपल बाबा ने कहा कि दिल्ली में इस समय जो हरियाली है वह मात्र 20 प्रतिशत है. पूरे एनसीआर की यही स्थिति है. लेकिन, दिल्ली में पर्यावरण का हरित क्षेत्र कम से कम 40% होना चाहिए. इसके लिए हम सबको मिलकर काम करने की जरूरत है. सरकार पर्यावरण को लेकर गंभीर नहीं है अगर सरकार चाहे तो सब कुछ हो सकता है.
11 साल की उम्र से ही पर्यावरण संरक्षण का कर रहे कामः पीपल बाबा ने बताया कि 11 साल की उम्र से ही उन्हें अपने पुणे के स्कूल से पर्यावरण संरक्षण का पाठ पढ़ाया गया, जिसका उन पर प्रभाव पड़ा और उन्होंने पौधरोपण करने का अपना एक नियम बना लिया. उसके बाद धीरे-धीरे मोहल्ले के लोगों को जोड़कर के पौधरोपण करने लगे फिर आगे चलकर उन्होंने गिव मी ट्रीज ट्रस्ट बनाया और उस ट्रस्ट के माध्यम से फिर अन्य संस्थाओं के साथ मिलकर, वालंटियर को जोड़कर बड़े स्तर पर पौधरोपण का कार्य शुरू किया.
दिल्ली एनसीआर में भी वह अब तक 50 लाख से ज्यादा पेड़ः उन्होंने बताया कि दिल्ली एनसीआर में भी वह अब तक 50 लाख से ज्यादा पेड़ लगा चुके हैं. कई पार्कों को विकसित किया है. मोहन नगर में एक पार्क को विकसित किया है. नोएडा के सोरखा में हरित उपवन के नाम से एक बहुत बड़ी बंजर जमीन को विकसित किया है, जो एक बहुत हरा भरा जंगल है. अब जहां कई तरह के पक्षियों का बसेरा भी है.
पीपल बाबा ने कहा कि दिल्ली एनसीआर में पर्यावरण को लेकर के इवेंट्स बहुत अच्छे-अच्छे होते हैं. लेकिन, उनका इंप्लीमेंटेशन नहीं हो पता है. सरकारी एजेंसियां भी जो पौधरोपण करती हैं, उन पौधों को लगाने के बाद उनकी देखभाल नहीं होती है. अंत में पौधे सूख जाते हैं. बाद में फिर उन पौधों की जगह फिर से पौधे लगा दिए जाते हैं और फिर उनकी भी देखभाल नहीं होती. वह भी इसी तरह खत्म हो जाते हैं.
18 राज्यों के 212 जिलों में अब तक 3 करोड़ से अधिक पौधे लगाएः पीपल बाबा ने कहा कि सरकार की पॉलिसीज बहुत अच्छी है. लेकिन, उनके इंप्लीमेंटेशन की जरूरत है. उनको धरातल पर उतारने की जरूरत है. पीपल बाबा ने बताया कि 18 राज्यों के 212 जिलों में वह अभी तक 3 करोड़ से अधिक पौधे लगा चुके हैं. उन्होंने कहा कि यह कार्य सभी की जिम्मेदारी है और सभी के प्रयास से ही हम 40 से 50% भू भाग पर हरियाली को विकसित करने के काम को कर सकते हैं. इसके लिए सबको आगे आने की जरूरत है. सिर्फ 5 जून को एक दिन पर्यावरण के लिए बातें करने से काम नहीं चलेगा.
सिर्फ दिल्ली के वीआईपी इलाकों में ही होता है पौधों का मेंटेनेंसः पीपल बाबा ने बताया कि सिर्फ दिल्ली के वीआईपी इलाकों में ही पौधों का मेंटेनेंस होता है या तो साउथ दिल्ली के जो वीआईपी इलाके हैं या सिविल लाइंस का इलाका जहां पर मंत्रियों की कोठियां हैं. या जहां पर अधिकांश अधिकारियों के आवास हैं. बाकी जगहों पर बिल्कुल भी मेंटेनेंस नहीं है. इसकी वजह से पौधे जीवित नहीं रह पाते हैं. पौधों के मेंटेनेंस पर हम सबको काम करने की जरूरत है. सिर्फ पौधे लगाने से काम नहीं चलेगा. उनकी देखरेख करना भी बहुत जरूरी है.
3 करोड़ पौधे लगे जिनमें से 2 करोड़ 37 लाख हैं जीवितः पीपल बाबा ने बताया कि उनको पौधरोपण करते हुए 47 साल हो गए हैं और इस अवधि में 3 करोड़ पौधे लगे, जिनमें से 2 करोड़ 37 लाख पौधे अभी जीवित हैं, जो पेड़ बन चुके हैं. उन्होंने बताया कि उनके साथ इस अभियान में अभी तक करीब 4 लाख लोग 18 राज्यों के 212 जिलों में जुड़े हैं. यह अभियान एक जन आंदोलन बन चुका है. 70,000 ऐसे वालंटियर हैं, जो शनिवार और रविवार को अपनी छुट्टी के दिन उनके साथ पौधरोपण का काम करते हैं. इसके अलावा ढाई सौ लोगों की टीम उनके पास ऐसी है जो वेतन पर उनके साथ काम करते हैं.
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पत्तों से हरी खाद बनाने और नर्सरी में पौधे तैयार करने का भी कर रहें कामः उन्होंने बताया कि पौधरोपण के अलावा पत्तों से हरी खाद बनाने और नर्सरी में पौधे तैयार करने का भी काम उनकी टीम करती है. वह अपने पौधे तैयार करते हैं और लगाते हैं. इससे पहले जब उन्होंने शुरुआत की थी तो वह सिविक एजेंसियों, राज्य सरकारों से पौधे लेते थे और अब खुद अपने पौधे तैयार करते हैं. उन्होंने बताया कि क्योंकि पीपल का पौधा सबसे ज्यादा ऑक्सीजन देता है. इसलिए उनका जोर सबसे ज्यादा पीपल के पौधे लगाने पर रहता है. इसलिए लोग प्यार से उनको पीपल बाबा के नाम से बुलाने लगे है.
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