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श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह विवाद; मुस्लिम पक्ष की याचिका खारिज; हिंदू पक्ष की 18 याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई करेगा हाईकोर्ट - allahabad high court

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Aug 1, 2024, 7:32 AM IST

Updated : Aug 1, 2024, 8:16 PM IST

इलाहाबाद हाईकोर्ट की ओर से श्रीकृष्ण जन्मभूमि व शाही ईदगाह मामले में मुस्लिम पक्ष को बड़ा झटका लगा है. 6 जून को इस मामले में सुनवाई पूरी हो गई थी. हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.

अहम मामले में आज आ सकता है इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला.
अहम मामले में आज आ सकता है इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला. (Photo Credit; ETV Bharat)
श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह विवाद में हाईकोर्ट के फैसले पर साधु-संतों ने खुशी जताई है. (Video Credit; ETV Bharat)

प्रयागराज : मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मस्जिद विवाद में दाखिल 18 दीवानी मुकदमों की पोषणीयता पर गुरुवार को हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया. कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की याचिका को खारिज कर दिया. मामले में अगली सुनवाई 12 अगस्त को होगी.

स्वामी जितेन्द्रानंद सरस्वती ने फैसले का स्वागत किया है. (Video Credit; ETV Bharat)

न्यायमूर्ति मयंक कुमार जैन ने निर्णय सुनाते हुए मुस्लिम पक्ष की उस दलील को अस्वीकार कर दिया जिसमें कहा गया था कि वाद वरशिप एक्ट और अन्य प्रावधानों से बाधित है, सुनवाई योग्य नहीं है. कोर्ट ने माना कि सिविल सूट सुनवाई योग्य है. इस मामले में वाद बिंदु तय करने के लिए 12 अगस्त को कोर्ट ने सुनवाई का समय दिया है.

अयोध्या विवाद की तर्ज पर मथुरा मामले में भी इलाहाबाद हाईकोर्ट सीधे तौर पर मंदिर पक्ष की ओर से दाखिल 18 मुकदमों पर एक साथ सुनवाई कर रहा है. न्यायमूर्ति मयंक कुमार जैन ने गत 31 मई को ही निर्णय सुरक्षित कर लिया था लेकिन उसके बाद इंतजामिया कमेटी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता महमूद प्राचा ने सुनवाई का पूरा मौका देने की मांग की थी, जिसके बाद दो दिन फिर सुनवाई हुई थी.

आदेश न्यायमूर्ति मयंक कुमार जैन ने भगवान श्रीकृष्ण विराजमान कटरा केशव देव सहित 15 दीवानी मुकदमों की पोषणीयता पर दिया है. कोर्ट ने इस मुद्दे पर 32 कार्य दिवसों पर लंबी सुनवाई और लिखित बहस दाखिल होने के बाद गत छह जून को फैसला सुरक्षित कर लिया .। कोर्ट के इस फैसले से मंदिर पक्ष को बड़ी राहत मिली है.

मथुरा में दाखिल श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति निर्माण ट्रस्ट मथुरा सहित अन्य दीवानी मुकदमों की सुनवाई इलाहाबाद हाईकोर्ट में की जा रही है. इस विवाद की सुनवाई भी अयोध्या मामले की तरह हाइकोर्ट में करने की वरिष्ठ अधिवक्ता हरिशंकर जैन व अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन की याचिका को स्वीकार करते हुए न्यायालय ने 26 मई 2023 को इन मुकदमों की सुनवाई करने का आदेश दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने इस आदेश पर हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया था. इसके बाद मुकदमों की पोषणीयता पर मस्जिद पक्ष की आपत्ति पर दोनों पक्षों की लंबी बहस के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित कर लिया था.

इन मुकदमों के हाईकोर्ट आने के बाद 18 अक्टूबर 2023 को पहली सुनवाई हुई. हाईकोर्ट ने 14 दिसंबर 2023 को विवादित सम्पत्ति के सर्वे के आदेश दिए. सुप्रीम कोर्ट ने इसके विरुद्ध मस्जिद पक्ष की याचिका पर सुनवाई के बाद सर्वे के हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी थी. उसके बाद मुकदमों की पोषणीयता पर लंबी सुनवाई चली.

बीते मई माह तक 30 कार्य दिवसों पर हुई सुनवाई में मस्जिद पक्ष की ओर से 1991 के प्लेसेस ऑफ वरशिप एक्ट, लिमिटेशन एक्ट, वक्फ एक्ट और स्पेसिफिक रिलीफ एक्ट का हवाला देकर कहा गया कि यह विवाद इन चारों एक्ट से बाधित है. लिहाजा मंदिर पक्ष की ओर से दाखिल डेढ़ दर्जन मुकदमों पर हाईकोर्ट में सुनवाई नहीं की जा सकती.

हिंदू पक्ष की ओर से कहा गया कि विवादित स्थल ऐतिहासिक धरोहर घोषित है. यह स्थल राष्ट्रीय महत्व का है इसलिए इससे जुड़ा वाद भी राष्ट्रीय महत्व का होगा. यह भी कहा गया कि भवन वास्तव में मस्जिद नहीं है. हिंदू मंदिर पर कब्जा कर मस्जिद का रूप दिया गया. 15 वीं सदी में मस्जिद का ऐसा स्ट्रक्चर नहीं होता था. बज्रनाभ भगवान श्रीकृष्ण के प्रपौत्र ने मंदिर बनवाया.

चार बीघा जमीन में मंदिर केशव देव‌ मंदिर बनवाया गया. यहां पहले परिक्रमा होती थी, बाद में मंदिर ध्वस्त किया गया. विष्णु पुराण कहता है श्रीकृष्ण के जाने के बाद कलयुग शुरू हुआ. ईदगाह कमेटी के पास मालिकाना हक को लेकर कोई दस्तावेज नहीं है. मस्जिद पक्ष ने सीपीसी के आदेश सात नियम 11 के तहत अर्जी दाखिल कर इन मुकदमों की पोषणीयता पर सवाल उठाते हुए इन्हें खारिज किए जाने की अपील की है.

फैसले के बाद साधु-संतों में खुशी, बांटी मिठाई : हिंदू पक्ष ने इसे ऐतिहासिक फैसला बताते हुए मिठाई बांट खुशी का इजहार किया है. श्रीकृष्ण जन्मभूमि न्यास अध्यक्ष दिनेश शर्मा ने कहा कि आज इलाहाबाद हाईकोर्ट ऐतिहासिक फैसला सुनाया है. हाईकोर्ट ने भी मान लिया है की जो 18 याचिकाएं कोर्ट में दाखिल की गई हैं, उनकी एक साथ सुनवाई होनी चाहिए. मुस्लिम पक्ष की याचिका को खारिज का दिया गया है.

कार्ष्णि नागेन्द्र महाराज ने कहा कि श्री कृष्ण जन्मभूमि को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सार्थक निर्णय दिया है, इस आदेश को लेकर धर्माचार्य साधु संत और महामंडलेश्वर काफी उत्साहित . जिस स्थान पर हमारे आराध्य भगवान कृष्ण भगवान ने जन्म लिया था उस पर आक्रांताओं द्वारा बनाई मस्जिद बनाई गई.

संत समिति ने कहा, अब जल्द होगा मथुरा जन्मभूमि पर भव्य मंदिर का निर्माण : मथुरा के श्री कृष्ण जन्मभूमि के सभी मुकदमों को चलाए जाने योग्य मानते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आज मुस्लिम पक्ष की याचिका को खारिज कर दिया है. जिसके बाद अखिल भारतीय संत समिति इस फैसले का स्वागत कर रहा है. अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी जितेन्द्रानंद सरस्वती का कहना है कि इस फैसले के बाद पूरा संत समाज और सनातनी यह उम्मीद लगा कर बैठे हैं कि जल्द ही राम मंदिर की तरह मथुरा में भी भव्य दिव्य श्री कृष्ण मंदिर का निर्माण होगा. समिति के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी जितेन्द्रानंद सरस्वती ने कहा कि संत समाज के लोग शुरू से कहते हैं कि चाहे अयोध्या हो मथुरा हो या काशी का ज्ञानवापी हो, यह सभी मुकदमे हमेशा से चलाई जाने योग्य थे और आगे भी रहेंगे, लेकिन किन्ही न किन्ही राजनीतिक कारणों से ऐसे मुकदमों में व्यवधान उत्पन्न किया जाता है. न्यायालय का यह फैसला स्वागत योग्य है. जिस कहना है कि किसी भी देश में बहुसंख्यक समाज का जो हक है, उन्हें मिलना चाहिए. हम कहीं से भी कोई बात असंवैधानिक तरीके से नहीं कह रहे हैं.

यह भी पढ़ें : राजधानी लखनऊ और आसपास के 5 जिलों को मिलाकर बनेगा SCR; दिल्ली-नोएडा जैसा हाईटेक डेवलपमेंट, दौड़ेगी मेट्रो, इंडस्ट्री-नई नौकरियां

श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह विवाद में हाईकोर्ट के फैसले पर साधु-संतों ने खुशी जताई है. (Video Credit; ETV Bharat)

प्रयागराज : मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मस्जिद विवाद में दाखिल 18 दीवानी मुकदमों की पोषणीयता पर गुरुवार को हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया. कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की याचिका को खारिज कर दिया. मामले में अगली सुनवाई 12 अगस्त को होगी.

स्वामी जितेन्द्रानंद सरस्वती ने फैसले का स्वागत किया है. (Video Credit; ETV Bharat)

न्यायमूर्ति मयंक कुमार जैन ने निर्णय सुनाते हुए मुस्लिम पक्ष की उस दलील को अस्वीकार कर दिया जिसमें कहा गया था कि वाद वरशिप एक्ट और अन्य प्रावधानों से बाधित है, सुनवाई योग्य नहीं है. कोर्ट ने माना कि सिविल सूट सुनवाई योग्य है. इस मामले में वाद बिंदु तय करने के लिए 12 अगस्त को कोर्ट ने सुनवाई का समय दिया है.

अयोध्या विवाद की तर्ज पर मथुरा मामले में भी इलाहाबाद हाईकोर्ट सीधे तौर पर मंदिर पक्ष की ओर से दाखिल 18 मुकदमों पर एक साथ सुनवाई कर रहा है. न्यायमूर्ति मयंक कुमार जैन ने गत 31 मई को ही निर्णय सुरक्षित कर लिया था लेकिन उसके बाद इंतजामिया कमेटी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता महमूद प्राचा ने सुनवाई का पूरा मौका देने की मांग की थी, जिसके बाद दो दिन फिर सुनवाई हुई थी.

आदेश न्यायमूर्ति मयंक कुमार जैन ने भगवान श्रीकृष्ण विराजमान कटरा केशव देव सहित 15 दीवानी मुकदमों की पोषणीयता पर दिया है. कोर्ट ने इस मुद्दे पर 32 कार्य दिवसों पर लंबी सुनवाई और लिखित बहस दाखिल होने के बाद गत छह जून को फैसला सुरक्षित कर लिया .। कोर्ट के इस फैसले से मंदिर पक्ष को बड़ी राहत मिली है.

मथुरा में दाखिल श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति निर्माण ट्रस्ट मथुरा सहित अन्य दीवानी मुकदमों की सुनवाई इलाहाबाद हाईकोर्ट में की जा रही है. इस विवाद की सुनवाई भी अयोध्या मामले की तरह हाइकोर्ट में करने की वरिष्ठ अधिवक्ता हरिशंकर जैन व अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन की याचिका को स्वीकार करते हुए न्यायालय ने 26 मई 2023 को इन मुकदमों की सुनवाई करने का आदेश दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने इस आदेश पर हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया था. इसके बाद मुकदमों की पोषणीयता पर मस्जिद पक्ष की आपत्ति पर दोनों पक्षों की लंबी बहस के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित कर लिया था.

इन मुकदमों के हाईकोर्ट आने के बाद 18 अक्टूबर 2023 को पहली सुनवाई हुई. हाईकोर्ट ने 14 दिसंबर 2023 को विवादित सम्पत्ति के सर्वे के आदेश दिए. सुप्रीम कोर्ट ने इसके विरुद्ध मस्जिद पक्ष की याचिका पर सुनवाई के बाद सर्वे के हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी थी. उसके बाद मुकदमों की पोषणीयता पर लंबी सुनवाई चली.

बीते मई माह तक 30 कार्य दिवसों पर हुई सुनवाई में मस्जिद पक्ष की ओर से 1991 के प्लेसेस ऑफ वरशिप एक्ट, लिमिटेशन एक्ट, वक्फ एक्ट और स्पेसिफिक रिलीफ एक्ट का हवाला देकर कहा गया कि यह विवाद इन चारों एक्ट से बाधित है. लिहाजा मंदिर पक्ष की ओर से दाखिल डेढ़ दर्जन मुकदमों पर हाईकोर्ट में सुनवाई नहीं की जा सकती.

हिंदू पक्ष की ओर से कहा गया कि विवादित स्थल ऐतिहासिक धरोहर घोषित है. यह स्थल राष्ट्रीय महत्व का है इसलिए इससे जुड़ा वाद भी राष्ट्रीय महत्व का होगा. यह भी कहा गया कि भवन वास्तव में मस्जिद नहीं है. हिंदू मंदिर पर कब्जा कर मस्जिद का रूप दिया गया. 15 वीं सदी में मस्जिद का ऐसा स्ट्रक्चर नहीं होता था. बज्रनाभ भगवान श्रीकृष्ण के प्रपौत्र ने मंदिर बनवाया.

चार बीघा जमीन में मंदिर केशव देव‌ मंदिर बनवाया गया. यहां पहले परिक्रमा होती थी, बाद में मंदिर ध्वस्त किया गया. विष्णु पुराण कहता है श्रीकृष्ण के जाने के बाद कलयुग शुरू हुआ. ईदगाह कमेटी के पास मालिकाना हक को लेकर कोई दस्तावेज नहीं है. मस्जिद पक्ष ने सीपीसी के आदेश सात नियम 11 के तहत अर्जी दाखिल कर इन मुकदमों की पोषणीयता पर सवाल उठाते हुए इन्हें खारिज किए जाने की अपील की है.

फैसले के बाद साधु-संतों में खुशी, बांटी मिठाई : हिंदू पक्ष ने इसे ऐतिहासिक फैसला बताते हुए मिठाई बांट खुशी का इजहार किया है. श्रीकृष्ण जन्मभूमि न्यास अध्यक्ष दिनेश शर्मा ने कहा कि आज इलाहाबाद हाईकोर्ट ऐतिहासिक फैसला सुनाया है. हाईकोर्ट ने भी मान लिया है की जो 18 याचिकाएं कोर्ट में दाखिल की गई हैं, उनकी एक साथ सुनवाई होनी चाहिए. मुस्लिम पक्ष की याचिका को खारिज का दिया गया है.

कार्ष्णि नागेन्द्र महाराज ने कहा कि श्री कृष्ण जन्मभूमि को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सार्थक निर्णय दिया है, इस आदेश को लेकर धर्माचार्य साधु संत और महामंडलेश्वर काफी उत्साहित . जिस स्थान पर हमारे आराध्य भगवान कृष्ण भगवान ने जन्म लिया था उस पर आक्रांताओं द्वारा बनाई मस्जिद बनाई गई.

संत समिति ने कहा, अब जल्द होगा मथुरा जन्मभूमि पर भव्य मंदिर का निर्माण : मथुरा के श्री कृष्ण जन्मभूमि के सभी मुकदमों को चलाए जाने योग्य मानते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आज मुस्लिम पक्ष की याचिका को खारिज कर दिया है. जिसके बाद अखिल भारतीय संत समिति इस फैसले का स्वागत कर रहा है. अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी जितेन्द्रानंद सरस्वती का कहना है कि इस फैसले के बाद पूरा संत समाज और सनातनी यह उम्मीद लगा कर बैठे हैं कि जल्द ही राम मंदिर की तरह मथुरा में भी भव्य दिव्य श्री कृष्ण मंदिर का निर्माण होगा. समिति के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी जितेन्द्रानंद सरस्वती ने कहा कि संत समाज के लोग शुरू से कहते हैं कि चाहे अयोध्या हो मथुरा हो या काशी का ज्ञानवापी हो, यह सभी मुकदमे हमेशा से चलाई जाने योग्य थे और आगे भी रहेंगे, लेकिन किन्ही न किन्ही राजनीतिक कारणों से ऐसे मुकदमों में व्यवधान उत्पन्न किया जाता है. न्यायालय का यह फैसला स्वागत योग्य है. जिस कहना है कि किसी भी देश में बहुसंख्यक समाज का जो हक है, उन्हें मिलना चाहिए. हम कहीं से भी कोई बात असंवैधानिक तरीके से नहीं कह रहे हैं.

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Last Updated : Aug 1, 2024, 8:16 PM IST
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