नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने पहाड़गंज में हुई 8 करोड़ की डकैती की साजिश रचने वाले मास्टरमाइंड को धरदबोचने में कामयाबी हासिल की है. पुलिस टीम ने 8 करोड़ रुपए की कीमत के सोने, हीरे और चांदी के आभूषणों की लूट से जुड़े इस हाई प्रोफाइल मामले में मुख्य साजिशकर्ता की गिरफ्तारी से पहले गिरोह के सात में से 6 आरोपियों गिरफ्तार कर लिया था. अगस्त 2022 में इस वारदात को अंजाम देने वाले गिरोह का सरगना फरार चल रहा था जिसके लंबे समय से तलाश की जा रही थी. अब क्राइम ब्रांच टीम ने उसको दिल्ली के पालम गांव के महावीर एंक्लेव से गिरफ्तार कर लिया है जिसकी पहचान वांछित अपराधी अजीत सिंह (46) के रूप में की गई है. आरोपी को अदालत ने भगोड़ा घोषित कर रखा था.
क्राइम ब्रांच के डीसीपी अमित गोयल ने दी मामले की जानकारी
क्राइम ब्रांच के डीसीपी अमित गोयल के मुताबिक 31 अगस्त 2022 को पहाड़गंज इलाके में हाई प्रोफाइल डकैती का मामला सामने आया था जिसमें इस पूरी वारदात को अंजाम देने में गिरोह के सात सदस्य शामिल थे. इस गिरोह ने 8 करोड़ से अधिक कीमत के सोने, हीरे और चांदी के आभूषणों की लूट की थी. हरियाणा के अंबाला शहर के रहने वाले सोमवीर की शिकायत पर 31 अगस्त को इस डकैती मामले में एफआईआर दर्ज की गई थी. जय माता दी लॉजिस्टिक्स के लिए काम करने वाले सोमवीर ने बताया था कि जब वह और उनका सहयोगी जगदीश सैनी दिल्ली में सोने और हीरे के आभूषणों की डिलीवरी करने जा रहे थे तो देशबंधु गुप्ता रोड पहाड़गंज दिल्ली के पास चार लोगों ने उन पर घात लगाकर हमला कर दिया था.
पुलिस की वर्दी पहनकर आए थें हमलावर
हमलावरों में से एक ने आंशिक रूप से पुलिस की वर्दी भी पहनी हुई थी जिसने आंखों में मिर्च पाउडर डाल दिया था जिसके बाद उसको कुछ दिखायी नहीं दिया. इसके बाद उनसे जबरन दो बैग और आभूषणों से भरा कार्टन लूटकर फरार हो गए. इस लूटे गए आभूषणों में 6 किलो 27 ग्राम सोना, 106 हीरे और 2.9 किलोग्राम चांदी शामिल थी जिसकी कीमत करीब 8 करोड़ बताई थी. इस वारदात में शामिल 7 लोगों में से पुलिस छह लोगों को पहले ही गिरफ्तार कर चुकी थी इन गिरफ्तार आरोपियों की निशानदेही पर पुलिस ने लूट का सामान भी बरामद कर लिया था.
मुख्य सरगना अजीत सिंह डकैती को अंजाम देकर हो गया था फरार
जांच पड़ताल के दौरान पुलिस ने डकैती में शामिल जिन लोगों को गिरफ्तार किया था उनमें नजफगढ़ के रहने वाले मनीष कुमार, नागेश कुमार, शिवम, चित्रेश बिष्ट, सचिन मेहरा और परमवीर प्रमुख रूप से शामिल थे. इन सभी लोगों के पास से चोरी किए गए आभूषण बरामद कर जब्त कर लिए गए लेकिन इस पूरी वारदात की साजिश रचने वाले साजिशकर्ताओं में से एक आरोपी अजीत सिंह फरार हो गया था. अजीत सिंह ही इस वारदात को अंजाम देने वाले गिरोह का सरगना था जोकि अब तक पुलिस की पकड़ से बचता आ रहा था.
पुलिस से बचने के लिए फर्जी पहचान बनाकर रह रहा था आरोपी
मुख्य साजिशकर्ता की गिरफ्तारी के लिए क्राइम ब्रांच के एसीपी रमेश चंद्र लांबा की कड़ी निगरानी में इंस्पेक्टर पंकज मलिक और रोहित कुमार के नेतृत्व में एक डेडीकेटेड टीम का गठन किया गया जिसने आरोपी के बारे में कई अहम जानकारियां एकत्र की ओर पता चला कि अजीत सिंह दिल्ली के पालम गांव, महावीर एंक्लेव में कहीं रह रहा है. आरोपी पुलिस की पकड़ से बचने के लिए फर्जी पहचान बनाकर रह रहा था और बचने के लिए वह बार-बार अपने ठिकाने और मोबाइल नंबर भी बदल रहा था. टीम के मेंबर कांस्टेबल रविंद्र कुमार के कड़े प्रयासों के बाद उसके वर्तमान ठिकाने का पता लगा लिया गया जहां वह छुपा हुआ था. इसके बाद टीम ने उसको तेजी से ट्रैक करते हुए धरदबोचने में कामयाबी हासिल की.
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गिरफ्तारी के समय दिल्ली में बस ड्राइवर का कर रहा था काम
आरोपी अजीत सिंह की प्रोफाइल से पता चला है कि वह मूल रूप से हरियाणा के झज्जर के सिलानी गांव का रहने वाला है और दसवीं कक्षा तक पढ़ा है. गिरफ्तारी के समय दिल्ली के द्वारका में बस ड्राइवर का काम कर रहा था. डकैती डालने से पहले वह गोपाल नगर, नजफगढ़ में रह रहा था जहां उसने अपने भतीजे नागेश कुमार के साथ-साथ अपने पड़ोसी और रिश्तेदारों के साथ मिलकर इस पूरी वारदात को अंजाम देने की साजिश रची थी.
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