जयपुर. राजस्थान के शूरवीर और पहले परमवीर चक्र विजेता हवलदार मेजर पीरू सिंह शेखावत की शहादत को आज भी देश याद कर रहा है. 18 जुलाई को साल 1948 में उन्होंने देश के लिए लड़ते हुए शहादत दी थी. सर्वोच्च भारतीय सैन्य सम्मान परमवीर चक्र से उन्हें 1952 में नवाजा गया.
दरअसल, झुंझुनू जिले के बेरी गांव में जन्म लेने के बाद 1948 में वो राजपूताना राइफल्स के जरिए भारतीय सेवा को सेवाएं दे रहे थे. पीरू सिंह को जम्मू और कश्मीर के थिथवाल में दुश्मन के कब्जे वाली पहाड़ी पर हमला करने और कब्जा करने का काम सौंपा गया था. जैसे ही कदम आगे बढ़े, उन्हें भारी MMG फायर और ग्रेनेड की बौछार का सामना करना पड़ा. इस दौरान बड़ी संख्या में शहादत के बीच सीएचएम पीरू सिंह ने बाकी के सैनिकों के साथ लड़ाई को जारी रखा और जख्मी होने के बावजूद दो एमएमजी पोस्ट का खात्मा कर दिया. बताया जाता है कि उसे मोर्चे पर वे शहीद होने वाले आखिरी सैनिक थे और अपनी आखिरी सांस तक उन्होंने दुश्मन का पूरी तरह से खात्मा किया. इस जंग में 6 पाकिस्तानी सैनिकों को उन्होंने अपने चाकू से ही मार दिया था. उनके इस मिशन में 2 पाकिस्तानी पोस्ट को फतेह हासिल की गई. युद्ध के दौरान 18 जुलाई, 1948 को ग्रेनेड विस्फोट से पहले वॉकी-टॉकी पर पीरू सिंह का आखिरी संदेश था “राजा रामचंद्र की जय”.
CHM Piru Singh
— ADG PI - INDIAN ARMY (@adgpi) July 18, 2024
18 July 1948
Rajputana Rifles (RAJ RIF)
Jammu and Kashmir
CHM Piru Singh displayed unparalleled gallantry & exemplary bravery in the face of the enemy. Awarded with the Param Vir Chakra (Posthumous).
We pay our tribute.https://t.co/uAHSAW3QeM pic.twitter.com/Msj4XWoYGb
देश सेवा का बचपन से रहा जज्बा : झुंझुनू जिले के बेरी गांव में लाल सिंह शेखावत के 7 बच्चों में वो सबसे छोटे थे. उनका जन्म 20 मई, 1918 को हुआ था. पीरू सिंह बचपन से ही निडर थे और बाल्यावस्था से ही वे सेना में भर्ती होना चाहते थे. 2 बार उन्होंने सेना भर्ती में हिस्सा भी लिया, लेकिन 18 से कम आयु होने के कारण उन्हें सेना में चयन का मौका नहीं मिला. 20 मई, 1936 को वे ब्रिटिश भारतीय सेना में भर्ती हुए और उन्हें पहली पंजाब रेजिमेंट में नियुक्त किया गया. बाद में उन्हें 7 अगस्त 1940 को लांस नायक के रूप में प्रमोशन मिला. ब्रिटिश कॉमनवेल्थ ऑक्यूपेशन फोर्स में 1940 से 1945 के बीच जापान में तैनात होने से पहले उन्होंने उत्तर-पश्चिम सीमा पर एक प्रशिक्षक के रूप में भी सेवाएं दी.
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दारापारी युद्ध के नायक, राजस्थान के पहले परमवीर चक्र विजेता कंपनी हवलदार मेजर पीरू सिंह शेखावत जी को उनके बलिदान दिवस पर भावपूर्ण श्रद्धांजलि।
— Gajendra Singh Shekhawat (@gssjodhpur) July 18, 2024
राष्ट्र की रक्षा में अपने प्राण न्योछावर करने वाले वीर योद्धा का अमिट बलिदान सभी देश प्रेमियों के लिए प्रेरक है।
जय हिंद! pic.twitter.com/t1YF19OJ7k
केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह ने किया याद : शौर्य के लिए राजपूताना राइफल्स में परमवीर चक्र प्राप्त करने वाले पहले जवान है. दुश्मन के सामने वीरता का प्रदर्शन करते हुए प्राण न्यौछावर करने के लिए उन्हें सर्वोच्च भारतीय सम्मान मरणोपरांत 1952 में दिया गया था. प्रधानमंत्री ने भी उनके सम्मान में अंडमान निकोबार में द्वीप का नाम 'पीरू' रखा है. जो देश में वीरों के शौर्य को गौरवान्वित करने वाला है. उनके बलिदान को याद करते हुए केन्द्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने एक्स पर पोस्ट की. शेखावत ने लिखा कि दारापारी युद्ध के नायक, राजस्थान के पहले परमवीर चक्र विजेता कंपनी हवलदार मेजर पीरू सिंह शेखावत जी को उनके बलिदान दिवस पर भावपूर्ण श्रद्धांजलि. राष्ट्र की रक्षा में अपने प्राण न्योछावर करने वाले वीर योद्धा का अमिट बलिदान सभी देश प्रेमियों के लिए प्रेरक है.