ETV Bharat / state

कमलेश्वर महादेव मंदिर में 177 दंपतियों ने किया खड़ा दीया अनुष्ठान, संतान प्राप्ति के लिए पौलेंड के कपल ने निभाई ये परंपरा - KAMLESHWAR MAHADEV MANDIR

उत्तराखंड का एक मंदिर जहां निसंतान दंपति को संतान प्राप्ति का सुख मिलने की मान्यता है. दंपति रातभर हाथों में दीया लेकर खड़े रहते हैं.

KAMLESHWAR MAHADEV MANDIR
कमलेश्वर महादेव मंदिर में खड़ा दीया अनुष्ठान (फोटो- ETV Bharat)
author img

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Nov 15, 2024, 3:52 PM IST

Updated : Nov 15, 2024, 4:35 PM IST

श्रीनगर: वैकुंठ चतुर्दशी पर प्रसिद्ध सिद्धपीठ कमलेश्वर महादेव मंदिर में 177 दंपति खड़ा दीया अनुष्ठान में शामिल हुए. खास बात ये थी कि पोलैंड से पहुंचे विदेशी दंपति क्लाऊडिया स्टेफन ने भी बखूबी खड़ा दीया अनुष्ठान में भाग लिया. गुरुवार को गोधूलि बेला से यह अनुष्ठान शुरू हुआ, जो आज शुक्रवार सुबह तक चला.

177 दंपतियों ने खड़ा दीया अनुष्ठान में लिया हिस्सा: बता दें कि इस बार खड़ा दीया अनुष्ठान के लिए 216 से ज्यादा दंपतियों ने पंजीकरण करवाया था. इसमें से 177 दंपतियों ने अनुष्ठान में हिस्सा लिया. जबकि, बीते साल यानी 2023 में 200 से ज्यादा दंपति अनुष्ठान में शामिल हुए थे. इस बार गुरुवार यानी 14 नवंबर की शाम गोधूलि बेला पर शाम 6 बजे कमलेश्वर महादेव मंदिर के महंत आशुतोष पुरी ने दीपक जलाकर खड़ा दीया अनुष्ठान का शुभारंभ किया.

श्रीनगर के कमलेश्वर महादेव मंदिर में निसंतान दंपतियों ने किया विशेष अनुष्ठान (VIDEO- ETV Bharat)

अनुष्ठान के तहत महिलाओं के कमर में एक कपड़े में जुड़वा नींबू, श्रीफल, पंचमेवा एवं चावल की पोटली बांधी गई. जिसके बाद महंत ने सभी दंपतियों के हाथ में दीपक रखते हुए पूजा अर्चना कराई. दंपतियों ने रातभर हाथ में जलता दीया लेकर भगवान शिव की आराधना की. शुक्रवार की सुबह स्नान आदि के बाद महंत ने दंपतियों को आशीर्वाद दिया और पूजा संपन्न करवाई. कहा जाता है रातभर हाथों में दीया लेकर खड़ा होने और आराधना करने पर संतान की प्राप्ति होती है.

अनुष्ठान में शामिल होने के लिए उत्तराखंड के अलावा उत्तर प्रदेश, पुणे, आंध्र प्रदेश के अलावा विदेश से भी दंपति पहुंचे. वहीं, देर शाम कमलेश्वर महादेव मंदिर में दर्शन करने और बाती चढ़ाने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी. इसके साथ ही कमलेश्वर मंदिर में रुई की 365 बाती चढ़ाने की परंपरा को भी निभाया गया. हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी (वैकुंठ चतुर्दशी) के मौके पर कमलेश्वर मंदिर समेत अन्य शिवालयों में लोग भगवान शिव को रुई की बाती अर्पित करते हैं.

Khada Diya Ritual in Kamleshwar Mahadev Temple
कमलेश्वर महादेव मंदिर में खड़ा दीया अनुष्ठान (फोटो- ETV Bharat)

यह है मान्यता: पौराणिक ग्रंथों के अनुसार, देवता दानवों से पराजित हो गए थे. तब वो भगवान विष्णु की शरण में चले गए. दानवों पर विजय प्राप्त करने के लिए भगवान विष्णु यहां भगवान शिव की तपस्या करने पहुंचे. पूजा के दौरान वो शिव सहस्रनाम के अनुसार शिवजी के नाम का उच्चारण कर सहस्र (एक हजार) कमलों को एक-एक कर शिवलिंग पर चढ़ाने लगे.

Khada Diya Ritual in Kamleshwar Mahadev Temple
पोलैंड के दंपति ने किया खड़ा दीया अनुष्ठान (फोटो- ETV Bharat)

वहीं, विष्णु की परीक्षा लेने के लिए शिव ने एक कमल का फूल छिपा लिया था. एक कमल का फूल कम होने से यज्ञ में कोई बाधा न पड़े, इसके लिए भगवान विष्णु ने अपना एक नेत्र निकालकर अर्पित करने का संकल्प लिया. इससे भगवान शिव प्रसन्न हुए और भगवान विष्णु को अमोघ सुदर्शन चक्र दिया, जिससे उन्होंने राक्षसों का विनाश किया.

Kamleshwar Mahadev Temple
कमलेश्वर महादेव मंदिर (फोटो- ETV Bharat)

यहां पर सहस्र कमल चढ़ाने की वजह से इस जगह यानी मंदिर को कमलेश्वर महादेव मंदिर कहा जाने लगा. इस पूरी पूजा को एक निसंतान ऋषि दंपती देख रहे थे. ऐसे में मां पार्वती के अनुरोध पर भगवान शिव ने उन्हें संतान प्राप्ति का वर दे दिया. तब से यहां यानी श्रीनगर गढ़वाल के कमलेश्वर महादेव मंदिर में कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी की रात संतान की मनोकामना लेकर दूर-दूर से लोग पहुंचते हैं.

ये भी पढ़ें-

श्रीनगर: वैकुंठ चतुर्दशी पर प्रसिद्ध सिद्धपीठ कमलेश्वर महादेव मंदिर में 177 दंपति खड़ा दीया अनुष्ठान में शामिल हुए. खास बात ये थी कि पोलैंड से पहुंचे विदेशी दंपति क्लाऊडिया स्टेफन ने भी बखूबी खड़ा दीया अनुष्ठान में भाग लिया. गुरुवार को गोधूलि बेला से यह अनुष्ठान शुरू हुआ, जो आज शुक्रवार सुबह तक चला.

177 दंपतियों ने खड़ा दीया अनुष्ठान में लिया हिस्सा: बता दें कि इस बार खड़ा दीया अनुष्ठान के लिए 216 से ज्यादा दंपतियों ने पंजीकरण करवाया था. इसमें से 177 दंपतियों ने अनुष्ठान में हिस्सा लिया. जबकि, बीते साल यानी 2023 में 200 से ज्यादा दंपति अनुष्ठान में शामिल हुए थे. इस बार गुरुवार यानी 14 नवंबर की शाम गोधूलि बेला पर शाम 6 बजे कमलेश्वर महादेव मंदिर के महंत आशुतोष पुरी ने दीपक जलाकर खड़ा दीया अनुष्ठान का शुभारंभ किया.

श्रीनगर के कमलेश्वर महादेव मंदिर में निसंतान दंपतियों ने किया विशेष अनुष्ठान (VIDEO- ETV Bharat)

अनुष्ठान के तहत महिलाओं के कमर में एक कपड़े में जुड़वा नींबू, श्रीफल, पंचमेवा एवं चावल की पोटली बांधी गई. जिसके बाद महंत ने सभी दंपतियों के हाथ में दीपक रखते हुए पूजा अर्चना कराई. दंपतियों ने रातभर हाथ में जलता दीया लेकर भगवान शिव की आराधना की. शुक्रवार की सुबह स्नान आदि के बाद महंत ने दंपतियों को आशीर्वाद दिया और पूजा संपन्न करवाई. कहा जाता है रातभर हाथों में दीया लेकर खड़ा होने और आराधना करने पर संतान की प्राप्ति होती है.

अनुष्ठान में शामिल होने के लिए उत्तराखंड के अलावा उत्तर प्रदेश, पुणे, आंध्र प्रदेश के अलावा विदेश से भी दंपति पहुंचे. वहीं, देर शाम कमलेश्वर महादेव मंदिर में दर्शन करने और बाती चढ़ाने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी. इसके साथ ही कमलेश्वर मंदिर में रुई की 365 बाती चढ़ाने की परंपरा को भी निभाया गया. हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी (वैकुंठ चतुर्दशी) के मौके पर कमलेश्वर मंदिर समेत अन्य शिवालयों में लोग भगवान शिव को रुई की बाती अर्पित करते हैं.

Khada Diya Ritual in Kamleshwar Mahadev Temple
कमलेश्वर महादेव मंदिर में खड़ा दीया अनुष्ठान (फोटो- ETV Bharat)

यह है मान्यता: पौराणिक ग्रंथों के अनुसार, देवता दानवों से पराजित हो गए थे. तब वो भगवान विष्णु की शरण में चले गए. दानवों पर विजय प्राप्त करने के लिए भगवान विष्णु यहां भगवान शिव की तपस्या करने पहुंचे. पूजा के दौरान वो शिव सहस्रनाम के अनुसार शिवजी के नाम का उच्चारण कर सहस्र (एक हजार) कमलों को एक-एक कर शिवलिंग पर चढ़ाने लगे.

Khada Diya Ritual in Kamleshwar Mahadev Temple
पोलैंड के दंपति ने किया खड़ा दीया अनुष्ठान (फोटो- ETV Bharat)

वहीं, विष्णु की परीक्षा लेने के लिए शिव ने एक कमल का फूल छिपा लिया था. एक कमल का फूल कम होने से यज्ञ में कोई बाधा न पड़े, इसके लिए भगवान विष्णु ने अपना एक नेत्र निकालकर अर्पित करने का संकल्प लिया. इससे भगवान शिव प्रसन्न हुए और भगवान विष्णु को अमोघ सुदर्शन चक्र दिया, जिससे उन्होंने राक्षसों का विनाश किया.

Kamleshwar Mahadev Temple
कमलेश्वर महादेव मंदिर (फोटो- ETV Bharat)

यहां पर सहस्र कमल चढ़ाने की वजह से इस जगह यानी मंदिर को कमलेश्वर महादेव मंदिर कहा जाने लगा. इस पूरी पूजा को एक निसंतान ऋषि दंपती देख रहे थे. ऐसे में मां पार्वती के अनुरोध पर भगवान शिव ने उन्हें संतान प्राप्ति का वर दे दिया. तब से यहां यानी श्रीनगर गढ़वाल के कमलेश्वर महादेव मंदिर में कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी की रात संतान की मनोकामना लेकर दूर-दूर से लोग पहुंचते हैं.

ये भी पढ़ें-

Last Updated : Nov 15, 2024, 4:35 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.