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एमसीबी में मूलभूत सुविधाओं से वंचित आदिवासी ग्रामवासियों ने किया लोकसभा चुनाव का बहिष्कार - boycotted Lok Sabha election - BOYCOTTED LOK SABHA ELECTION

एमसीबी में पोड़ी गांव के ग्रामीण मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं. इस गांव में सड़क, पानी, स्वास्थ्य, बिजली और शिक्षा का अभाव है. यही कारण है कि इन आदिवासी ग्रामवासियों ने लोकसभा चुनाव का बहिष्कार किया है.

boycotted Lok Sabha election
लोकसभा चुनाव का बहिष्कार (ETV Bharat Chhattisgarh)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : May 5, 2024, 8:06 PM IST

आदिवासी ग्रामवासियों ने किया लोकसभा चुनाव का बहिष्कार (ETV Bharat Chhattisgarh)

मनेन्द्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर: छत्तीसगढ़ में 7 मई को 7 लोकसभा सीटों पर तीसरे और अंतिम चरण का मतदान है. ऐसे में एमसीबी के आदिवासी ग्रामीण चुनाव बहिष्कार की बात कह रहे हैं. इन ग्रामीणों का आरोप है कि इनके गांव में सड़क, पानी और बिजली सहित अन्य मूलभूत सुविधाओं का अभाव है. सालों से ये प्रशासन के सामने अपनी बात रख रहे हैं. हालांकि इनके क्षेत्र से विकास कोसों दूर है. यही कारण है कि ये ग्रामीण लोकतंत्र के महापर्व का बहिष्कार कर रहे हैं.

ग्रामीणों ने किया चुनाव का बहिष्कार: दरअसल, हम बात कर रहे हैं एमसीबी जिले के ग्राम पंचायत घघरा के आश्रित ग्राम पोड़ी की. यहां के ग्रामीणों ने अनुविभागीय अधिकारी राजस्व को पत्र सौंपते हुए कहा है कि, "गांव में मूलभूत सुविधाएं न होने के कारण वे आगामी लोकसभा चुनाव का बहिष्कार करेंगे." ग्रामीणों का कहना है कि, "गांव में वे पीने के साफ पानी तक के लिए मोहताज हैं. ग्रामीणों को नाला और ढोढ़ी का दूषित पानी पीकर गुजारा करना पड़ रहा है. इससे कई बार उल्टी दस्त जैसी गंभीर बीमारियों का सामना करना पड़ता है. गांव में इलाज की सुविधा नहीं है. बीमार पड़ने पर स्वास्थ्य केंद्र नहीं होने से ग्रामीणों को जंगली जड़ी बूटी का सहारा लेना पड़ता है. यदि गांव में कोई व्यक्ति बीमार पड़ जाए तो कई किमी तक खटिया पालकी में ढोकर अन्य ग्राम में जाकर इलाज कराना पड़ता है. गांव में स्वास्थ्य विभाग के कोई भी अधिकारी-कर्मचारी नजर नहीं आते हैं. ना ही महिला एवं बाल विकास की ओर से कुपोषित बच्चों और गर्भवती महिलाओं का ध्यान रखा जाता है."

चुनाव का बहिष्कार नहीं होने दिया जाएगा.मुख्य कार्यपालन अधिकारी और कमिश्नर गांव में गए हुए थे, ग्रामीणों से बातचीत चल रही है. -मूलचंद चोपड़ा, एसडीएम, भरतपुर

इन सुविधाओं से वंचित हैं ग्रामीण: इस बारे में क्षेत्र की पूर्व जनपद सदस्य सुखमंती का कहना है कि, "हम चुनाव का बहिष्कार कर रहे हैं. गांव में कभी कभार बिजली आ गई तो ठीक. नहीं तो ज्यादातर दिन लोगों को अंधेरे में ही गुजारना पड़ता है. गांव में बिजली के कई खंभे टूट चुके हैं. रात के अंधेरे में कई ग्रामीणों की सर्पदंश से मौत हो चुकी है. डिजिटल जमाने में भी गांव में मोबाइल नेटवर्क तक की सुविधा नहीं है. किसी आवश्यक काम के लिए सुदूर पहाड़ पर जाकर नेटवर्क ढूंढना पड़ता है. गांव में बच्चों की शिक्षा से वंचित है. कई सालों से जंगल-जमीन में घर परिवार के साथ कब्जा होने पर भी वन अधिकार पत्रक नहीं मिला है. ग्राम पंचायत में फॉर्म भरने से लेकर तहसील और कलेक्टर कार्यालय के चक्कर लगा लिए, लेकिन किसी भी ग्रामीण को पट्टा नहीं मिला है."

बता दें कि जहां एक ओर तीसरे चरण के मतदान को लेकर प्रशासन की ओर से पूरी तैयारियां की जा रही है. वहीं, मूलभूत सुविधाओं से वंचित ग्रामीण चुनाव बहिष्कार की बात कर रहे हैं. दूसरी ओर भरतपुर एसडीएम ने ग्रामीणों को मना लेने की बात कही है.

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ग्रामीणों ने किया चुनाव का बहिष्कार: दरअसल, हम बात कर रहे हैं एमसीबी जिले के ग्राम पंचायत घघरा के आश्रित ग्राम पोड़ी की. यहां के ग्रामीणों ने अनुविभागीय अधिकारी राजस्व को पत्र सौंपते हुए कहा है कि, "गांव में मूलभूत सुविधाएं न होने के कारण वे आगामी लोकसभा चुनाव का बहिष्कार करेंगे." ग्रामीणों का कहना है कि, "गांव में वे पीने के साफ पानी तक के लिए मोहताज हैं. ग्रामीणों को नाला और ढोढ़ी का दूषित पानी पीकर गुजारा करना पड़ रहा है. इससे कई बार उल्टी दस्त जैसी गंभीर बीमारियों का सामना करना पड़ता है. गांव में इलाज की सुविधा नहीं है. बीमार पड़ने पर स्वास्थ्य केंद्र नहीं होने से ग्रामीणों को जंगली जड़ी बूटी का सहारा लेना पड़ता है. यदि गांव में कोई व्यक्ति बीमार पड़ जाए तो कई किमी तक खटिया पालकी में ढोकर अन्य ग्राम में जाकर इलाज कराना पड़ता है. गांव में स्वास्थ्य विभाग के कोई भी अधिकारी-कर्मचारी नजर नहीं आते हैं. ना ही महिला एवं बाल विकास की ओर से कुपोषित बच्चों और गर्भवती महिलाओं का ध्यान रखा जाता है."

चुनाव का बहिष्कार नहीं होने दिया जाएगा.मुख्य कार्यपालन अधिकारी और कमिश्नर गांव में गए हुए थे, ग्रामीणों से बातचीत चल रही है. -मूलचंद चोपड़ा, एसडीएम, भरतपुर

इन सुविधाओं से वंचित हैं ग्रामीण: इस बारे में क्षेत्र की पूर्व जनपद सदस्य सुखमंती का कहना है कि, "हम चुनाव का बहिष्कार कर रहे हैं. गांव में कभी कभार बिजली आ गई तो ठीक. नहीं तो ज्यादातर दिन लोगों को अंधेरे में ही गुजारना पड़ता है. गांव में बिजली के कई खंभे टूट चुके हैं. रात के अंधेरे में कई ग्रामीणों की सर्पदंश से मौत हो चुकी है. डिजिटल जमाने में भी गांव में मोबाइल नेटवर्क तक की सुविधा नहीं है. किसी आवश्यक काम के लिए सुदूर पहाड़ पर जाकर नेटवर्क ढूंढना पड़ता है. गांव में बच्चों की शिक्षा से वंचित है. कई सालों से जंगल-जमीन में घर परिवार के साथ कब्जा होने पर भी वन अधिकार पत्रक नहीं मिला है. ग्राम पंचायत में फॉर्म भरने से लेकर तहसील और कलेक्टर कार्यालय के चक्कर लगा लिए, लेकिन किसी भी ग्रामीण को पट्टा नहीं मिला है."

बता दें कि जहां एक ओर तीसरे चरण के मतदान को लेकर प्रशासन की ओर से पूरी तैयारियां की जा रही है. वहीं, मूलभूत सुविधाओं से वंचित ग्रामीण चुनाव बहिष्कार की बात कर रहे हैं. दूसरी ओर भरतपुर एसडीएम ने ग्रामीणों को मना लेने की बात कही है.

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