रायपुर: पूरे देश में भगवान राम के जन्मोत्सव यानी कि रामनवमी की तैयारी शुरू हो चुकी है. 17 अप्रैल को बड़े धूमधाम से हर जगह रामनवमी का पर्व मनाया जाएगा. बात अगर रामजी के ननिहाल की करें तो इस बार राजधानी के प्रसिद्ध जैतूसाव मठ में रामनवमी के मौके पर हर साल की तरह इस साल भी मालपुआ बनाने का काम शुरू कर दिया गया है. इस बार रामनवमी पर जैतूसाव मठ में 11 क्विंटल मालपुआ बनाया जा रहा है. ये मालपुआ प्रसाद के तौर पर भक्तों को रामनवमी के दूसरे दिन यानी कि 18 अप्रैल को राजभोग आरती के बाद बांटा जाएगा.
रामनवमी और जन्माष्टमी पर तैयार होता है मालपुए का भोग: दरअसल, पिछले कई सालों से रामनवमी और कृष्ण जन्माष्टमी के मौके पर जैतूसाव मठ में मालपुआ बनाया जा रहा है. इस बारे में ईटीवी भारत ने जैतूसाव मठ न्यास समिति के सचिव महेंद्र अग्रवाल से बातचीत की. बातचीत के दौरान उन्होंने बताया कि, "रायपुर की पुरानी बस्ती स्थित जैतूसाव मठ के पहले महंत लक्ष्मी नारायण दास के समय साल 1916 से हर साल रामनवमी और कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर मालपुआ बनाने की शुरुआत की गई थी. ये परम्परा आज तक चली आ रही है."
इस बार 11 क्विंटल तैयार हो रहा मालपुआ: बताया जा रहा है कि जैतूसाव मठ में इस साल रामनवमी के मौके पर लगभग 11 क्विंटल मालपुआ बनाया जा रहा है. मालपुआ बनाने के काम में लगभग 6 कर्मचारी लगे हुए हैं. इस साल मालपुआ बनाने का काम सोमवार से शुरू कर दिया गया है, जो बुधवार देर रात तक चलेगा. इस बार की रामनवमी को लेकर जैतूसाव मठ के लोगों में खासा उत्साह है, क्योंकि इस बार रामलला की प्राणप्रतिष्ठा अयोध्या में हुई है. ऐसे में पूरे देश सहित रामजी के ननिहाल में धूमधाम से रामजन्मोत्सव मनाया जाएगा.
जानिए कैसे तैयार होता है भोग का मालपुआ: जैतूसाव मठ में मालपुआ बनाने के लिए गेहूं को अलग तरीके से पीसा जाता है. गेहूं के आटे में सूखा मेवा, काली मिर्च, मोटा सौंफ भी मिलाया जाता है. इसके साथ ही इस मालपुआ को बनाने में तेल और घी का उपयोग भी किया जाता है. मालपुआ कढ़ाई में छानने के बाद इस मालपुआ को पैरा पर ड्राइ किया जाता है, जिससे मालपुआ में लगा हुआ तेल और घी पूरी तरह से सूख जाता है. इसके बाद राजभोग आरती में भगवान को मालपुआ का भोग लगाने के बाद भक्तों को प्रसाद के तौर पर बांटा जाता है.