कुल्लू: भगवान भोलेनाथ अपने भोले स्वभाव के लिए सनातन धर्म में काफी प्रसिद्ध है. थोड़ी सी भक्ति भाव के साथ पूजा करने से भगवान भोलेनाथ अपने भक्तों को अभय वरदान दे देते हैं. ऐसे में भगवान शिव की कृपा पाने के लिए महाशिवरात्रि का त्योहार काफी खास है. महाशिवरात्रि के अवसर पर भक्त देश भर में भगवान शिव की विभिन्न तरीकों से पूजा अर्चना करते हैं.
इस साल 8 मार्च को भगवान शिव की प्रिय रात्रि महाशिवरात्रि का त्योहार मनाया जाएगा. महाशिवरात्रि के दिन जहां द्वादश ज्योतिर्लिंगों की स्थापना की गई थी. वहीं इसी दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह भी हुआ था. ऐसे में हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि का आयोजन किया जाएगा. हिंदू पंचांग के अनुसार महाशिवरात्रि की चतुर्दशी तिथि की शुरुआत 8 मार्च को रात 9:57 पर होगी और तिथि का समापन 9 मार्च शाम 6:17 पर होगा. ऐसे में पूजा तिथि के अनुसार महाशिवरात्रि 8 मार्च को ही मनाई जाएगी और महाशिवरात्रि का पूजन भी निशिता काल में ही किया जाता है.
आचार्य दीप कुमार शर्मा का कहना है कि 8 मार्च को रात 12:05 से लेकर 9 मार्च को रात 12:56 तक निशिता काल है और प्रथम पहर पूजन का समय 8 मार्च को शाम 6:25 से शुरू होगा, जो रात 9:28 को खत्म होगा. दूसरे पहर के पूजन का समय 8 मार्च रात 9:28 से शुरू होगा और इसका समापन रात को 12:31 पर होगा. तीसरे पहर के पूजन का समय 8 मार्च को रात 12:31 से लेकर सुबह 3:34 पर होगा. वहीं चौथे पहर के पूजन का समय सुबह 3:34 से लेकर सुबह 6:37 तक रहेगा.
वही, इस बार महाशिवरात्रि के दिन 8 मार्च को ही शनि प्रदोष व्रत होगा और मासिक शिवरात्रि भी हो रही है. प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है. ऐसे में भक्त भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए भगवान शिव की पूजा आराधना करते हैं.
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