पानीपत: सनातन धर्म में महाशिवरात्रि का विशेष महत्व है. फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि के दिन शिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है. इस बार यह तिथि शुक्रवार 8 मार्च को है. महाशिवरात्रि पर्व पर माता पार्वती और भगवान शिव विवाह के बंधन में बंधे थे, इसलिए इस दिन का हिंदू धर्म में बड़ा ही विशेष महत्व है. इस दिन माता पार्वती और शंकर भगवान की पूजा करने से व्यक्ति को सुख और सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है.
महाशिवरात्रि 2024 शुभ मुहूर्त: प्रसिद्ध से देवी मंदिर के पंडित लालमणि पांडे के अनुसार फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि का आरंभ 8 मार्च को रात 9:57 बजे होगा. अगले दिन 9 मार्च को 6:17 बजे समाप्त होगा. पंडित लालमणि पांडे के अनुसार करीब 250 साल बाद इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग, अमृत योग शिवयोग और श्रवण नक्षत्र पड़ने जा रहा है. इसके साथ ही मकर राशि में मंगल और चंद्रमा का भी युति होने जा रहा है. इसके चलते इस बार चार राशि पर भगवान शिव की विशेष कृपा बरसने वाली है. वह चार राशि है मेष, मिथुन, कर्क और सिंह.
इन राशि वालों पर भगवान शंकर की विशेष कृपा: पंडित लाल मनी पांडे के अनुसार मेष राशि, मिथुन राशि, कर्क राशि, मिथुन राशि सिंह राशि और तुला राशि पर इस बार शंकर भगवान की विशेष कृपा होने वाली है. अन्य राशियों के लिए सामान्य नक्षत्र रहेंगे.
महाशिवरात्रि की पूजा विधि: शिवरात्रि के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठे भगवान शिव और माता पार्वती को प्रणाम करके पूजा संकल्प ले इसके बाद गंगाजल मिलाकर पानी से स्नान करें नए वस्त्र धारण कर सूर्य देव को जल चढ़ाएं. इसके पश्चात पूजा स्थल पर लाल आसन लगाकर माता पार्वती और भगवान शिव की प्रतिमा स्थापित करें. इसके बाद कच्चे दूध या गंगाजल से भगवान शिव का अभिषेक करें. इसके बाद माता पार्वती का भी अभिषेक करें. भगवान शंकर को भांग, धतूरा, फल, मदार के पत्ते, बेलपत्र आदि समर्पित करें. शिव चालीसा शिव स्त्रोत का पाठ करें और भगवान शिव के मंत्रों का जाप करें.
महाशिवरात्रि विशेष मंत्र:
ॐ नमः शिवाय..!!
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टि वर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर् मुक्षीय मामृतात्..!!
अगले दिन सामान्य पूजा पाठ करके अपना व्रत खोलें.
व्रत से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति!: ऐसी मान्यता है कि माता पार्वती ने भगवान शंकर को पाने के लिए कठोर तपस्या की थी और महाशिवरात्रि के दिन माता पार्वती की तपस्या सफल हुई थी और उनका विवाह भगवान शिव के साथ संपन्न हुआ था. मान्यता के अनुसार इस दिन महिलाओं को व्रत रखने पर अखंड सौभाग्य प्राप्त होता है.
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