मंडी: पौराणिक कथा एवं धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शिवरात्रि के महा पर्व पर भगवान शिव और देवी मां पार्वती का विवाह हुआ था. फाल्गुन चतुर्दशी तिथि पर भगवान शिव ने अपना वैराग्य छोड़कर माता पार्वती के साथ विवाह किया था और गृहस्थ जीवन में प्रवेश किया था. जिसके बाद से महाशिवरात्रि का उत्सव मनाया जाने लगा.
अब तक 1 क्विंटल मक्खन से श्रृंगार
बाबा भूतनाथ मंदिर के महंत देवानंद सरस्वती ने बताया कि जैसे शादी की तैयारियां एक महीना पहले से ही शुरू हो जाती हैं, उसी तरह छोटी काशी मंडी में महाशिवरात्रि की तैयारियां भी एक महीने पहले ही शुरू हो जाती है. इन तैयारियों में तारा रात्रि से शिवरात्रि तक लगातार बाबा भूतनाथ मंदिर में स्वयंभू शिवलिंग पर मक्खन रूपी श्रृंगार लगातार किया जा रहा है. अब तकव शिवलिंग पर करीब 1 क्विंटल मक्खन से बाबा भूतनाथ का श्रृंगार हो चुका है
9वें दिन चित्रगुप्त महाराज के रूप का श्रृंगार
श्रृंगार के 9वें दिन बाबा भूतनाथ का स्वयंभू शिवलिंग पर चित्रगुप्त महाराज का स्वरूप उकेरा गया. चित्रगुप्त महाराज का मंदिर उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले में है. यह मंदिर बरिया घाट में गंगा तट के पास स्थित है. महंत देवानंद सरस्वती ने बताया कि मान्यता है कि तीनों लोकों में सभी का काम बंटा हुआ है, पर उन सभी के कर्मों का पूरा हिसाब-किताब महाराज चित्रगुप्त ही रखते हैं.
रात को होता है बाबा भूतनाथ स्वयंभू शिवलिंग का मक्खन से श्रृंगार:
महंत देवानंद सरस्वती ने बताया कि पुराणों के अनुसार सभी जीवों के क्रमों का हिसाब चित्रगुप्त महाराज ही रखते हैं. ऐसे में सच्चे मन से उनकी पूजा और आराधना करने से वे प्रसन्न होकर भक्तों के पाप को खत्म कर देते हैं. महंत देवानंद सरस्वती ने बताया कि श्रद्धालु रोजाना बाबा भूतनाथ मंदिर में मक्खन लेकर आते हैं और रात्रि को बाबा भूतनाथ स्वयंभू शिवलिंग पर मक्खन चढ़ाया जाता है. मक्खन लेप श्रृंगार के 9वें दिन तक बाबा भूतनाथ स्वयंभू शिवलिंग पर करीब 1 क्विंटल मक्खन चढ़ाया जा चुका है.