प्रयागराज: संगम नगरी प्रयागराज में लगने वाले महाकुंभ मेले में करोड़ों श्रद्धालुओं की भीड़ आने वाली है. उस दौरान लोग मेले में रुकने, खाने पीने के साथ ही स्नान और शौचालय का इस्तेमाल भी करेंगे. इससे मेला क्षेत्र में मल मूत्र के साथ ही गंदगी भी होगी. लेकिन, सरकार ने अभी से उस गंदगी को भी साफ करने के साथ उसके निस्तारण की व्यवस्था कर दी है. इस गंदगी को साफ कर महाकुंभ को स्वच्छ बनाने में नई दिल्ली के एटॉमिक एनर्जी के प्रतिनिधि अरुण कुमार तिवारी की देखरेख में मेला क्षेत्र में 3 फेकल स्लज ट्रीटमेंट प्लांट (एफएसटीपी) बनाया जा रहा है.
इनकी क्षमता 5 लाख केएल प्रतिदिन है. इस एफएसटीपी के जरिये मेला क्षेत्र में बनने वाले डेढ़ लाख शौचालय से निकलने वाले अपशिष्ट तरल और पदार्थ को शोधित कर उस जल को पीने के अलावा अन्य कार्यो में इस्तेमाल के लायक बना दिया जाएगा. महाकुंभ को स्वच्छ बनाने के लिए ओजोन विधि का इस्तेमाल किया जाएगा.
डेढ़ लाख शौचालय बनाये जाएंगे: संगम नगरी प्रयागराज में 13 जनवरी से शुरू होने वाले महाकुंभ में आने वाली करोड़ों की भीड़ के लिए डेढ़ लाख शौचालय बनाये जाएंगे. महाकुंभ मेला क्षेत्र में आने वाले करोड़ों श्रद्धालु मेला क्षेत्र में रहने के दौरान शौचालय का इस्तेमाल कर मल मूत्र का त्याग करेंगे. इस दौरान पूरे मेला क्षेत्र में बने इन शौचालय का इस्तेमाल करेंगे. इतनी बड़ी संख्या में आने वाले श्रद्धालुओं की भीड़ के द्वारा शौचालय का इस्तेमाल किये जाने के बाद बड़ी मात्रा में गंदा पानी और गंदगी वहां से निकलेगी. इस गंदगी को फेकल स्लज ट्रीटमेंट प्लांट में लाकर वहां पर जल को ओजोन विधि से शोधित करके फिर से इस्तेमाल करने लायक बनाया जाएगा.
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एफएसटीपी से 5 लाख किलो लीटर गंदगी को जलशोधन: प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ मेले में मेला शुरू होने से पहले ही हजारों की संख्या में साधु संतों ने डेरा डाल दिया है. मेला शुरू होने के बाद इस क्षेत्र में लाखों श्रद्धालू प्रतिदिन रहेंगे और मुख्य स्नान पर्वो के दिन श्रद्धालुओं की संख्या करोड़ों में पहुंच जाएगी. बहुत से श्रद्धालु एक दो दिन पहले से ही मेला क्षेत्र में पहुंचकर तंबुओं की नगरी में रुकेंगे. टॉयलेट से निकली गंदगी के निस्तारण के लिए मेला क्षेत्र में तीन एफएसटीपी बनाये जा रहे हैं. हर एफएसटीपी से 5 लाख किलो लीटर गंदगी को जलशोधन संयंत्र के जरिये शोधन किया जाएगा.
ओजोन विधि से कैसे स्वच्छ किया जाएगा जल : इस परियोजना के प्रमुख वैज्ञानिक अरुण कुमार तिवारी ने बताया कि जो प्लांट तैयार हो रहा है जल्द ही यह काम करने लगेगा. जिसके लिए इसमें शौचालयों के टैंक से पानी और गंदगी को प्लांट तक लाया जाएगा. उसे इस प्लांट में लोड किया जाएगा. प्लांट के अंदर जैविक कीटाणु का इस्तेमाल करके पानी के अंदर की गंदगी साफ की जाएगी. जलशोधन करने वाला यह जैविक कीटाणु तमिलनाडु के कलपक्कम से लाया जा रहा है. इस प्लांट में इन जैविक कीटाणुओं को विकसित भी किया जाएगा. शौचालय से निकली गंदे जल और मल से इन्ही बैक्टीरिया की मदद से विषाणुओं को नष्ट कर शोधन के कार्य को पूरा किया जाएगा.
प्लांट में जैविक कीटाणु की सहायता से शोधन विधि के द्वारा हानिकारक विषाणुओं के साथ ही जल में मौजूद दूषित पदार्थ समाप्त हो जाएंगे. जबकि इसी तरह से प्लांट के अंदर मल से अलग किये गए जल को शोधित करने के लिए ओजोन विधि का इस्तेमाल किया जाएगा. ओजोन विधि के जरिये वातावरण से ओजोन गैस को प्लांट के अंदर लाकर जल को फिर से इस्तेमाल के लायक बनाया जाएगा.
ओजोन विधि के जरिये सीओडी, बीओडी, पीएसएस,अमोनिया,फास्फेट सल्फेट अलग करके उस पानी को पीने के अलावा अन्य कार्यों में इस्तेमाल करने के लायक बनाया जाएगा. ओजोन विधि के जरिये एक घंटे में पानी के अंदर से समस्त प्रकार के बैक्टीरिया, वॉयरस, ईकोलाई, दुर्गंध के साथ ही पानी का रंग भी साफ हो जाएगा. इसके बाद उस पानी के जरिये सिंचाई, धुलाई और सफाई के कार्य किये जा सकते हैं. वहीं इस शोधन विधि के दौरान मात्र 20 प्रतिशत तक अपशिष्ट पदार्थ निकलेंगे जिनका आगे चलकर खाद के रूप में प्रयोग किया जा सकेगा.
कुंम्भ मेला के तीन सेक्टर में बनाए गए हैं ये प्लांट : महाकुंम्भ को दिव्य भव्य के साथ ही स्वच्छ बनाने के लिए सरकार की तरफ से कई प्रकार के कदम उठाए जा रहे हैं. डिपार्टमेंट ऑफ एटॉमिक एनर्जी नई दिल्ली के प्रतिनिधि जो कि भाभा एंटोनॉमी रिसर्च टेक्नोलॉजी के टेक्नालॉजी पार्टनर अरुण कुमार तिवारी ने बताया कि मेला क्षेत्र के सेक्टर 10, 13 और 15 में 5 लाख केएल फेकल स्लज ट्रीटमेंट प्लांट लगाए जा रहे हैं.
इसका निर्माण कार्य अंतिम दौर में पहुंच गया है और जल्द ही यह कार्य करने लगेगा. मेला क्षेत्र में बनाये गए तीनों प्लांट से प्रतिदिन कुल 15 लाख किलो लीटर शौचालय से निकले मल मूत्र गंदगी का शोधन हो सकेगा. प्लांट में एक बार शोधन विधि को पूरा करने के लिए 3 से 4 घंटे तक का समय लगेगा और दिन भर में 6 से 8 बार यह प्लांट चल सकता है.
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