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25 किमी में बसा पूरा भारत; अलग-अलग संस्कृति और लोक नृत्य का हो रहा संगम - MAHA KUMBH MELA 2025

महाकुंभ 2025; संगम की रेत पर विभिन्न राज्यों के 12 शानदार पवेलियन सजकर तैयार हैं. लोक नृत्य और संगीत से श्रद्धालुओं का हो रहा मनोरंजन.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jan 20, 2025, 2:14 PM IST

प्रयागराज: तीर्थनगरी प्रयागराज की धरती पर सजे महाकुंभ के इस बड़े आयोजन में भारत की अलग-अलग संस्कृतियों की झलक एक साथ देखने को मिल रही है. देश भर से आए साधु संतों और अलग-अलग राज्यों की संस्कृतियों के साथ वहां के पंडाल और अन्य व्यवस्थाओं में देश की अलग-अलग संस्कृतियों को एक साथ समायोजित करके देखा जा रहा है.

संगम की रेत पर विभिन्न राज्यों के 12 शानदार पवेलियन सजकर तैयार हैं. उत्तर प्रदेश का महाकुम्भनगर देश का केंद्र बन गया है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की ओर से देश विदेश में जाकर मंत्रियों ने खुद निमंत्रण बांटे हैं, जिसका बड़ा व्यापक असर देखने को मिल रहा है. योगी सरकार के ऐतिहासिक प्रयास से एक जगह पर ही एक साथ सभी राज्यों की सांस्कृतिक समृद्धि साफ देखी जा सकती है.

महाकुंभ 2025 में राजस्थान का मंडप.
महाकुंभ 2025 में राजस्थान का मंडप. (Photo Credit; ETV Bharat)

25 किलोमीटर क्षेत्र में फैला है महाकुंभ: लगभग 25 किलोमीटर से ज्यादा एरिया में फैले अलग-अलग सेक्टर में बांटे गए महाकुंभ के इस बड़े आयोजन में हर सेक्टर में अलग ही नजारा है. सेक्टर 7 में आपको नागालैंड का चांगलो, लेह का शोंडोल लोक नृत्य समेत दादरानगर हवेली, छत्तीसगढ़, गुजरात, एमपी, आंध्र प्रदेश, उत्तराखंड और राजस्थान की संस्कृति का संगम देखने को मिलेगा.

मध्य प्रदेश के पवेलियन में क्या खास: वहीं मध्य प्रदेश का पवेलियन इस बार जनजातीय भगोरिया नृत्य की आकर्षक प्रस्तुतियों के साथ दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर रहा है. यह नृत्य आदिवासी समुदायों की होली से पूर्व मनाए जाने वाले भगोरिया उत्सव का हिस्सा है, जिसमें रंग-बिरंगे परिधान, ढोल-मजीरे की गूंज और युवाओं का गुलाल से खेलते हुए नृत्य महाकुम्भ को और भी खास बना रहा है.

महाकुंभ 2025 में मध्यप्रदेश का मंडप, जिसके बाहर लगी है वैदिक घड़ी.
महाकुंभ 2025 में मध्यप्रदेश का मंडप, जिसके बाहर लगी है वैदिक घड़ी. (Photo Credit; ETV Bharat)

इस नृत्य के माध्यम से आदिवासी संस्कृति की गहरी जड़ें और उसे संरक्षित करने का संदेश भी दिया जा रहा है. यहां दस-दस दिन के अंतराल पर धार्मिक फिल्में भी दिखाई जा रही हैं. इसके अलावा शाम 6:00 बजे से रात 10:00 बजे तक लोक नृत्य और संगीत की प्रस्तुतियों से श्रद्धालुओं का मनोरंजन किया जाता है.

वैदिक घड़ी बनी आकर्षण का केंद्र: मध्य प्रदेश मंडप में लगाई गई वैदिक घड़ी श्रद्धालुओं के आकर्षण का विशेष केंद्र बन गई है. यह दुनिया की पहली घड़ी है. इस वैदिक घड़ी का अनावरण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गत वर्ष 29 फरवरी को उज्जैन में किया था. इसे पंडाल के बाहर ही स्थापित किया गया है, जिसे देखने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु सेक्टर 7 पहुंच रहे हैं.

महाकुंभ 2025 में नागालैंड के मंडप में वहां के स्थानीय कारोबार को भी बढ़ावा मिल रहा.
महाकुंभ 2025 में नागालैंड के मंडप में वहां के स्थानीय कारोबार को भी बढ़ावा मिल रहा. (Photo Credit; ETV Bharat)

देखने को मिल रहीं राजस्थान की ऐतिहासिक धरोहरें: राजस्थान का पवेलियन महाकुम्भ में अपनी ऐतिहासिक धरोहर को लेकर दर्शकों के बीच आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. यहां के पवेलियन में राजस्थान के प्रसिद्ध किले हवा महल, जयगढ़, चित्तौड़ किला और विजय स्तंभ की झलकियां दिखाई जा रही हैं. इसके अलावा यहां आने वाले श्रद्धालुओं की मेहमाननवाजी भी इस पवेलियन में खूब की जा रही है. जहां श्रद्धालुओं के लिए विशेष भोजन की व्यवस्था की गई है. जिसके लिए लोग कतार लगाकर भोजन का स्वाद लेते देखे जा सकते हैं. राजस्थान के लोक संगीत, नृत्य और सांस्कृतिक कार्यक्रम 45 दिनों तक लगातार चलेंगे.

महाकुंभ 2025 में राजस्थान की कला संस्कृति को दिखाता मंडप.
महाकुंभ 2025 में राजस्थान की कला संस्कृति को दिखाता मंडप. (Photo Credit; ETV Bharat)

गुजरात के गरबा, आंध्र के कुचिपुड़ी ने मोहा मन: गुजरात का गरबा, आंध्र प्रदेश का कुचिपुड़ी, उत्तर प्रदेश का जोगिनी नृत्य, उत्तराखंड का छोलिया और छत्तीसगढ़ का छेरछेरा नृत्य महाकुम्भ के मंच पर अपनी विशेष पहचान बना रहे हैं. हर राज्य ने अपनी सांस्कृतिक धरोहर को अद्वितीय तरीके से प्रस्तुत किया है. दादरा नगर हवेली का मुखौटा नृत्य, नागालैंड का चांगलो और लेह लद्दाख का शोंडोल भी इस महाकुम्भ की सांस्कृतिक धारा में रंग भर रहे हैं.

महाकुंभ 2025 में नागालैंड का पवेलियन.
महाकुंभ 2025 में नागालैंड का पवेलियन. (Photo Credit; ETV Bharat)

यूपी की कला-साहित्य को मिल रहा रचनात्मक विकास: उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र ने कला और साहित्य के रचनात्मक विकास को भी बढ़ावा दिया है. यहां सांस्कृतिक प्रदर्शन, संगीत, नृत्य और प्रदर्शनी के माध्यम से भारतीय संस्कृति के विविध पहलुओं का संचार किया जा रहा है. महाकुम्भ के पवेलियनों के माध्यम से भारतीय एकता और विविधता का अनूठा संगम देखने को मिल रहा है, जो देशवासियों को जोड़ने का एक अभूतपूर्व प्रयास है.

ये भी पढ़ेंः महाकुंभ 8वां दिन LIVE; संगम घाट पर सोमवार को भी उमड़े श्रद्धालु, गीता प्रेस ट्रस्टी- बाहर से आई चिनगारी से लगी आग

प्रयागराज: तीर्थनगरी प्रयागराज की धरती पर सजे महाकुंभ के इस बड़े आयोजन में भारत की अलग-अलग संस्कृतियों की झलक एक साथ देखने को मिल रही है. देश भर से आए साधु संतों और अलग-अलग राज्यों की संस्कृतियों के साथ वहां के पंडाल और अन्य व्यवस्थाओं में देश की अलग-अलग संस्कृतियों को एक साथ समायोजित करके देखा जा रहा है.

संगम की रेत पर विभिन्न राज्यों के 12 शानदार पवेलियन सजकर तैयार हैं. उत्तर प्रदेश का महाकुम्भनगर देश का केंद्र बन गया है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की ओर से देश विदेश में जाकर मंत्रियों ने खुद निमंत्रण बांटे हैं, जिसका बड़ा व्यापक असर देखने को मिल रहा है. योगी सरकार के ऐतिहासिक प्रयास से एक जगह पर ही एक साथ सभी राज्यों की सांस्कृतिक समृद्धि साफ देखी जा सकती है.

महाकुंभ 2025 में राजस्थान का मंडप.
महाकुंभ 2025 में राजस्थान का मंडप. (Photo Credit; ETV Bharat)

25 किलोमीटर क्षेत्र में फैला है महाकुंभ: लगभग 25 किलोमीटर से ज्यादा एरिया में फैले अलग-अलग सेक्टर में बांटे गए महाकुंभ के इस बड़े आयोजन में हर सेक्टर में अलग ही नजारा है. सेक्टर 7 में आपको नागालैंड का चांगलो, लेह का शोंडोल लोक नृत्य समेत दादरानगर हवेली, छत्तीसगढ़, गुजरात, एमपी, आंध्र प्रदेश, उत्तराखंड और राजस्थान की संस्कृति का संगम देखने को मिलेगा.

मध्य प्रदेश के पवेलियन में क्या खास: वहीं मध्य प्रदेश का पवेलियन इस बार जनजातीय भगोरिया नृत्य की आकर्षक प्रस्तुतियों के साथ दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर रहा है. यह नृत्य आदिवासी समुदायों की होली से पूर्व मनाए जाने वाले भगोरिया उत्सव का हिस्सा है, जिसमें रंग-बिरंगे परिधान, ढोल-मजीरे की गूंज और युवाओं का गुलाल से खेलते हुए नृत्य महाकुम्भ को और भी खास बना रहा है.

महाकुंभ 2025 में मध्यप्रदेश का मंडप, जिसके बाहर लगी है वैदिक घड़ी.
महाकुंभ 2025 में मध्यप्रदेश का मंडप, जिसके बाहर लगी है वैदिक घड़ी. (Photo Credit; ETV Bharat)

इस नृत्य के माध्यम से आदिवासी संस्कृति की गहरी जड़ें और उसे संरक्षित करने का संदेश भी दिया जा रहा है. यहां दस-दस दिन के अंतराल पर धार्मिक फिल्में भी दिखाई जा रही हैं. इसके अलावा शाम 6:00 बजे से रात 10:00 बजे तक लोक नृत्य और संगीत की प्रस्तुतियों से श्रद्धालुओं का मनोरंजन किया जाता है.

वैदिक घड़ी बनी आकर्षण का केंद्र: मध्य प्रदेश मंडप में लगाई गई वैदिक घड़ी श्रद्धालुओं के आकर्षण का विशेष केंद्र बन गई है. यह दुनिया की पहली घड़ी है. इस वैदिक घड़ी का अनावरण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गत वर्ष 29 फरवरी को उज्जैन में किया था. इसे पंडाल के बाहर ही स्थापित किया गया है, जिसे देखने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु सेक्टर 7 पहुंच रहे हैं.

महाकुंभ 2025 में नागालैंड के मंडप में वहां के स्थानीय कारोबार को भी बढ़ावा मिल रहा.
महाकुंभ 2025 में नागालैंड के मंडप में वहां के स्थानीय कारोबार को भी बढ़ावा मिल रहा. (Photo Credit; ETV Bharat)

देखने को मिल रहीं राजस्थान की ऐतिहासिक धरोहरें: राजस्थान का पवेलियन महाकुम्भ में अपनी ऐतिहासिक धरोहर को लेकर दर्शकों के बीच आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. यहां के पवेलियन में राजस्थान के प्रसिद्ध किले हवा महल, जयगढ़, चित्तौड़ किला और विजय स्तंभ की झलकियां दिखाई जा रही हैं. इसके अलावा यहां आने वाले श्रद्धालुओं की मेहमाननवाजी भी इस पवेलियन में खूब की जा रही है. जहां श्रद्धालुओं के लिए विशेष भोजन की व्यवस्था की गई है. जिसके लिए लोग कतार लगाकर भोजन का स्वाद लेते देखे जा सकते हैं. राजस्थान के लोक संगीत, नृत्य और सांस्कृतिक कार्यक्रम 45 दिनों तक लगातार चलेंगे.

महाकुंभ 2025 में राजस्थान की कला संस्कृति को दिखाता मंडप.
महाकुंभ 2025 में राजस्थान की कला संस्कृति को दिखाता मंडप. (Photo Credit; ETV Bharat)

गुजरात के गरबा, आंध्र के कुचिपुड़ी ने मोहा मन: गुजरात का गरबा, आंध्र प्रदेश का कुचिपुड़ी, उत्तर प्रदेश का जोगिनी नृत्य, उत्तराखंड का छोलिया और छत्तीसगढ़ का छेरछेरा नृत्य महाकुम्भ के मंच पर अपनी विशेष पहचान बना रहे हैं. हर राज्य ने अपनी सांस्कृतिक धरोहर को अद्वितीय तरीके से प्रस्तुत किया है. दादरा नगर हवेली का मुखौटा नृत्य, नागालैंड का चांगलो और लेह लद्दाख का शोंडोल भी इस महाकुम्भ की सांस्कृतिक धारा में रंग भर रहे हैं.

महाकुंभ 2025 में नागालैंड का पवेलियन.
महाकुंभ 2025 में नागालैंड का पवेलियन. (Photo Credit; ETV Bharat)

यूपी की कला-साहित्य को मिल रहा रचनात्मक विकास: उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र ने कला और साहित्य के रचनात्मक विकास को भी बढ़ावा दिया है. यहां सांस्कृतिक प्रदर्शन, संगीत, नृत्य और प्रदर्शनी के माध्यम से भारतीय संस्कृति के विविध पहलुओं का संचार किया जा रहा है. महाकुम्भ के पवेलियनों के माध्यम से भारतीय एकता और विविधता का अनूठा संगम देखने को मिल रहा है, जो देशवासियों को जोड़ने का एक अभूतपूर्व प्रयास है.

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