रतलाम: मध्य प्रदेश में जिला मुख्यालयों पर हर मंगलवार को जनसुनवाई होती है. यहां पहुंचे लोग कई मामलों में अनूठे तरीके से आवेदन कर अधिकारियों का ध्यान अपनी शिकायत की तरफ आकर्षित करते हैं. मध्य प्रदेश में होने वाली जनसुनवाई में इस तरह के दृश्य अब आम होते जा रहे हैं. यहां कभी आवेदक अनशन पर बैठ जाते हैं तो कभी बुजुर्ग आवेदक लोट लगाते हुए जनसुनवाई में पहुंच रहे हैं तो कभी कोई आवेदनों की माला लटकाए रेंगते हुए जनसुनवाई में पहुंच रहा है तो कोई पेट्रोल की बोतल लेकर पहुंच जाता है. बड़ा सवाल यह है कि यदि जनसुनवाई में आवेदनों का समाधान हो रहा है तो ऐसी क्या मजबूरी है कि लोग रेंगकर और लोट लगाकर जनसुनवाई में पहुंच रहे हैं.
नीमच में आवेदनों की माला पहनकर पहुंचे
ताजा मामला नीमच जिले से सामने आया है जहां आवेदक मुकेश प्रजापत अनोखे अंदाज में बिना शर्ट के सैकड़ों पुराने शिकायती आवेदनों की माला पहनकर जमीन पर घिसटते हुए कलेक्टर कार्यालय में चल रही जनसुनवाई में पहुंचे. उन्होंने कलेक्टर कार्यालय के बाहर गेट पर बैठकर मुख्यमंत्री मोहन यादव से न्याय की गुहार लगाई और चप्पल सिर पर रखते हुए मीडिया के सामने कहा कि अब तो मुझे न्याय दे दो, 7 वर्ष हो चुके हैं.
मंदसौर में लोट लगाते हुए पहुंचा था किसान
कुछ दिनों पहले मंदसौर जिले में भी जनसुनवाई के दौरान एक ऐसा मामला देखने को मिला था जहां एक बुजुर्ग व्यक्ति कलेक्टर कार्यालय में लोट लगाते हुए पहुंचा था. बुजुर्ग किसान शंकरलाल पाटीदार का कहना था कि 14 साल से अधिकारियों और दफ्तरों के चक्कर काट रहा हूं और 25 से ज्यादा बार जनसुनवाई में आ चुका हूं. लेकिन कहीं भी सुनवाई नहीं हो रही है. किसान भूमाफियाओं और शासकीय कर्मचारियों द्वारा उसकी जमीन पर कब्जा कर लेने की शिकायत लेकर जनसुनवाई में पहुंचा था. यही नहीं इस तरह के कई दृश्य हर मंगलवार को होने वाली जनसुनवाई में देखने को मिलते हैं जहां आवेदक न्याय पाने के लिए ऐसी कोशिश में जुटे हैं कि अधिकारी सबसे पहले उसकी ही समस्या का समाधान कर दें.
जनसुनवाई में दिए आवेदनों पर कैसे होती है कार्रवाई
ईटीवी भारत की टीम ने जानने की कोशिश की जनसुनवाई में दिए गए आवेदन पर कैसे कार्रवाई की जाती है. रतलाम स्थित कलेक्टर कार्यालय में जनसुनवाई डेस्क पर जब हमने जाकर दिए गए आवेदनों पर होने वाली कार्रवाई के बारे में पूछा तो हमें बताया गया कि कलेक्टर अथवा जनसुनवाई कर रहे सक्षम अधिकारी द्वारा आवेदन पर की जाने वाली अग्रिम कार्रवाई के लिए टीप(नोट) लिखी जाती है. इसके बाद आवेदन को ऑफलाइन रजिस्टर में और ऑनलाइन जनसुनवाई के पोर्टल पर पंजीकृत किया जाता है. आवेदन का एक रजिस्ट्रेशन नंबर दिया जाता है. जिसके आधार पर आवेदक शिकायत की स्थिति जांच सकता है. शिकायत ऑनलाइन पोर्टल पर दर्ज किए जाने के बाद ऑफलाइन आवेदन भी संबंधित विभाग अथवा अधिकारी को भेजा जाता है. जिनके द्वारा आवेदन का परीक्षण एवं जांच रिपोर्ट जनसुनवाई के प्रभारी अधिकारी को दी जाती है. पोर्टल पर समाधान पर संतुष्ट एवं असंतुष्ट की स्थित भी दर्शाई जाती है. हालांकि अधिकांश आवेदनों की स्थिति लंबे समय तक लंबित ही नजर आती है. स्थानीय कार्यालय में कुल निराकृत आवेदनों और लंबित आवेदनों के बारे में जानकारी नहीं मिल सकी है.