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एंटीबॉडी वाले टाइप-1 डायबिटीज के बच्चों में एनीमिया का खतरा, संजय गांधी PGI में हुआ अध्ययन - RESEARCH AT SANJAY GANDHI PGI

Research at Sanjay Gandhi PGI : अध्ययन को इंडियन जर्नल ऑफ इंडोक्राइनोलॉजी एंड मेटाबॉलिज्म में प्रकाशित किया गया है.

संजय गांधी पीजीआई में एंटीबॉडी वाले टाइप-1 डायबिटीज पर हुआ शोध.
संजय गांधी पीजीआई में एंटीबॉडी वाले टाइप-1 डायबिटीज पर हुआ शोध. (Photo Credit : ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Nov 19, 2024, 8:51 AM IST

लखनऊ : पैरिएटल सेल एंटीबॉडी (पीसीए) से ग्रसित टाइप-1 डायबिटीज वाले बच्चों में एनीमिया के साथ ही आयरन की कमी का भी खतरा रहता है. संजय गांधी पीजीआई में हुए अध्ययन में इसकी पुष्टि की गई है. अभी तक बच्चों के मामले में इस तरह का कोई डाटा मौजूद नहीं था. इस अध्ययन को इंडियन जर्नल ऑफ इंडोक्राइनोलॉजी एंड मेटाबॉलिज्म में प्रकाशित किया गया है.

संस्थान के डॉ. खुर्शीद ए भट, डॉ. सोनाली वर्मा, डॉ. ईश भाटिया, डॉ. विजयलक्ष्मी भाटिया व डॉ. सिद्धनाथ एस सुधांशु ने यह अध्ययन किया है. इसमें टाइप 1 मधुमेह वाले 224 बच्चों-युवकों और 171 स्वस्थ बच्चों को शामिल किया गया. इनमें हीमोग्लोबिन, सीरम फेरिटिन, विटामिन बी 12, पीसीए, थायरॉयड पेरोक्सीडेज व एंटी-टिशू ट्रांसग्लूटामिनेज एंटीबॉडी की जांच की गई.

इसमें टाइप 1 मधुमेह वाले समूह में पीसीए का प्रसार ज्यादा (22 फीसदी बनाम 10.2 फीसदी) था. पीसीए वाले मरीजों में एनीमिया की आवृत्ति अधिक थी (60 फीसदी बनाम 30 फीसदी), कम हीमोग्लोबिन (7.3 बनाम 7.8) था. इससे पता चलता है कि टाइप 1 मधुमेह वाले बच्चों और युवकों में आयरन की कमी व एनीमिया के लिए पीसीए एक बहुत बड़ी वजह थी.


जानिए क्या है पीसीए

पीसीए एक रक्त परीक्षण है. इसका उपयोग पेट में पैरिएटल कोशिकाओं में एंटीबॉडी की उपस्थिति का पता लगाने के लिए होता है. ये कोशिकाएं हाइड्रोक्लोरिक एसिड का उत्पादन करती हैं. भोजन पचाने के लिए हाइड्रोक्लोरिक एसिड बहुत जरूरी होता है.

टाइप-1 मधुमेह : टाइप-1 मधुमेह को चाइल्डहुड डायबिटीज भी कहते हैं. यह जीवन भर बना रहता है. इसमें शरीर में इंसुलिन नहीं बनता है. समय रहते इलाज न होने पर मरीज की जान तक जा सकती है. मधुमेह के कुल मरीजों में इसका प्रतिशत दो फीसदी है.

लखनऊ : पैरिएटल सेल एंटीबॉडी (पीसीए) से ग्रसित टाइप-1 डायबिटीज वाले बच्चों में एनीमिया के साथ ही आयरन की कमी का भी खतरा रहता है. संजय गांधी पीजीआई में हुए अध्ययन में इसकी पुष्टि की गई है. अभी तक बच्चों के मामले में इस तरह का कोई डाटा मौजूद नहीं था. इस अध्ययन को इंडियन जर्नल ऑफ इंडोक्राइनोलॉजी एंड मेटाबॉलिज्म में प्रकाशित किया गया है.

संस्थान के डॉ. खुर्शीद ए भट, डॉ. सोनाली वर्मा, डॉ. ईश भाटिया, डॉ. विजयलक्ष्मी भाटिया व डॉ. सिद्धनाथ एस सुधांशु ने यह अध्ययन किया है. इसमें टाइप 1 मधुमेह वाले 224 बच्चों-युवकों और 171 स्वस्थ बच्चों को शामिल किया गया. इनमें हीमोग्लोबिन, सीरम फेरिटिन, विटामिन बी 12, पीसीए, थायरॉयड पेरोक्सीडेज व एंटी-टिशू ट्रांसग्लूटामिनेज एंटीबॉडी की जांच की गई.

इसमें टाइप 1 मधुमेह वाले समूह में पीसीए का प्रसार ज्यादा (22 फीसदी बनाम 10.2 फीसदी) था. पीसीए वाले मरीजों में एनीमिया की आवृत्ति अधिक थी (60 फीसदी बनाम 30 फीसदी), कम हीमोग्लोबिन (7.3 बनाम 7.8) था. इससे पता चलता है कि टाइप 1 मधुमेह वाले बच्चों और युवकों में आयरन की कमी व एनीमिया के लिए पीसीए एक बहुत बड़ी वजह थी.


जानिए क्या है पीसीए

पीसीए एक रक्त परीक्षण है. इसका उपयोग पेट में पैरिएटल कोशिकाओं में एंटीबॉडी की उपस्थिति का पता लगाने के लिए होता है. ये कोशिकाएं हाइड्रोक्लोरिक एसिड का उत्पादन करती हैं. भोजन पचाने के लिए हाइड्रोक्लोरिक एसिड बहुत जरूरी होता है.

टाइप-1 मधुमेह : टाइप-1 मधुमेह को चाइल्डहुड डायबिटीज भी कहते हैं. यह जीवन भर बना रहता है. इसमें शरीर में इंसुलिन नहीं बनता है. समय रहते इलाज न होने पर मरीज की जान तक जा सकती है. मधुमेह के कुल मरीजों में इसका प्रतिशत दो फीसदी है.

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