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राष्ट्रव्यापी हड़ताल का चिरमिरी में दिखा असर, कोल उत्पादन ठप, करोड़ों के राजस्व का नुकसान - श्रमिक संगठन

Nationwide Strike केंद्र सरकार के मजदूर विरोधी नीतियों के खिलाफ संयुक्त श्रमिक संगठनों ने एकदिवसीय हड़ताल किया. एसईसीएल चिरमिरी क्षेत्र सहित दूसरे क्षेत्रों में हड़ताल का व्यापक असर दिखा.खदानों में श्रमिकों के न जाने से पूरी तरह से उत्पादन ठप था. जिससे सरकार के राजस्व में काफी नुकसान हुआ.

Nationwide Strike
कोल उत्पादन ठप, करोड़ों के राजस्व का नुकसान
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Feb 16, 2024, 7:58 PM IST

मनेन्द्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर : एमसीबी जिले के चिरमिरी के संयुक्त श्रमिक संघठनों ने कोल उत्पादन ठप रखा. श्रमिक संगठनों की माने तो कुछ बिंदुओं को लेकर केंद्र सरकार के सामने मांग रखी गई थी.मांग पूरी ना होने पर भविष्य में उग्र आंदोलन की चेतावनी श्रमिकों ने दी है. श्रमिक संगठनों के पदाधिकारियों के मुताबिक पूरे तीन शिफ्ट में हड़ताल जारी रहेगी. जिसके कारण केंद्र सरकार को राजस्व को काफी नुकसान होगा.

Nationwide Strike
नहीं हुई कोयले की ढुलाई



प्राइवेट माइंस के खिलाफ आंदोलन: श्रमिक संगठनों की माने तो कर्मचारियों के साथ ठेका श्रमिक काम करते हैं. चारों ट्रेड यूनियन मिलकर इस स्ट्राइक को कर रहे हैं. ये हड़ताल कॉमर्शियल माइनिंग के विरोध में हैं. जो सरकार की गलत नीति है. जिन उद्योगपतियों को खदानें बांटी जा रही है,वो भविष्य में फायदा कमाएंगे.लेकिन जो मजदूर के बच्चे हैं वो बेरोजगार हो रहे हैं. ये प्राइवेट माइंस पूंजीपतियों को दी जा रही है. इसीलिए हम केंद्र के फैसले का विरोध कर रहे हैं.

''छोटे व्यापारियों के द्वारा सरकार को जगाने का प्रयास जारी है. जिस प्रकार से दिन प्रतिदिन नए-नए कानून लाकर खदानों को नीलामी की जारी है.उद्योगपतियों को लाभ पहुंचाने का काम किया जा रहा है.उससे मजदूरों का शोषण हो रहा है जो मजदूरों का 1100 से 1500 वेतन बनता है उन मजदूरों को 200 से 300 रुपए दिया जाता है.'' देवेन्द्रनाथ शर्मा, एरिया वेलफेयर, एच.एम.एस. संगठन

Nationwide Strike
चिरमिरी में हड़ताल का असर

आपको बता दें कि श्रमिक संगठनों ने राष्ट्रव्यापी आंदोलन बुलाया था. जिसमें 10 अन्य संगठनों ने भी अपनी भागीदारी दी.जिसका उद्देश्य निजीकरण को बंद करना था.

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प्राइवेट माइंस के खिलाफ आंदोलन: श्रमिक संगठनों की माने तो कर्मचारियों के साथ ठेका श्रमिक काम करते हैं. चारों ट्रेड यूनियन मिलकर इस स्ट्राइक को कर रहे हैं. ये हड़ताल कॉमर्शियल माइनिंग के विरोध में हैं. जो सरकार की गलत नीति है. जिन उद्योगपतियों को खदानें बांटी जा रही है,वो भविष्य में फायदा कमाएंगे.लेकिन जो मजदूर के बच्चे हैं वो बेरोजगार हो रहे हैं. ये प्राइवेट माइंस पूंजीपतियों को दी जा रही है. इसीलिए हम केंद्र के फैसले का विरोध कर रहे हैं.

''छोटे व्यापारियों के द्वारा सरकार को जगाने का प्रयास जारी है. जिस प्रकार से दिन प्रतिदिन नए-नए कानून लाकर खदानों को नीलामी की जारी है.उद्योगपतियों को लाभ पहुंचाने का काम किया जा रहा है.उससे मजदूरों का शोषण हो रहा है जो मजदूरों का 1100 से 1500 वेतन बनता है उन मजदूरों को 200 से 300 रुपए दिया जाता है.'' देवेन्द्रनाथ शर्मा, एरिया वेलफेयर, एच.एम.एस. संगठन

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चिरमिरी में हड़ताल का असर

आपको बता दें कि श्रमिक संगठनों ने राष्ट्रव्यापी आंदोलन बुलाया था. जिसमें 10 अन्य संगठनों ने भी अपनी भागीदारी दी.जिसका उद्देश्य निजीकरण को बंद करना था.

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