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बुध प्रदोष व्रत में भगवान शिव की प्रदोष काल में करें खास विधि से पूजन, होगी हर मनोकामना पूरी - Budha Pradosh Vrat

बुध प्रदोष व्रत में भगवान शिव की प्रदोष काल में खास विधि से पूजन करने से मनुष्य की हर मनोकामना पूरी होती है. इस दिन पूजा करते समय कुछ खास बातों का ध्यान रखना चाहिए.

Budha Pradosh Vrat
बुध प्रदोष व्रत (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Jun 17, 2024, 8:35 PM IST

भगवान शिव की प्रदोष काल में पूजन (ETV Bharat)

रायपुर: इस माह 19 जून बुधवार के दिन प्रदोष व्रत है. यह दिन बुधवार पड़ने के कारण बुध प्रदोष व्रत के नाम से इसे जाना जाता है. इस दिन भगवान शिव की पूजा आराधना करने से मनवांछित फल की प्राप्ति होती है. वैसे तो हर रोज लोग भगवान शिव की पूजा आराधना करते हैं, लेकिन प्रदोष व्रत का दिन काफी महत्व रखता है. जातक व्रत उपवास करके शिवजी से मन वांछित फल प्राप्त करना चाहते हैं. इस दिन भगवान शिव जी की पूजा करने पर शुभ फलों की प्राप्ति होती है. यह व्रत प्रत्येक माह में कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर रखा जाता है. दोनों ही प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित माने गए हैं. मान्यताओं के अनुसार प्रदोष व्रत रखने से भक्तों के समस्त संकट दूर होते हैं. सभी मनोकामनाएं पूरी होती है. इसके अलावा जीवन में चल रही समस्याओं का निवारण भी भोलेनाथ करते हैं.

प्रदोष काल में करनी चाहिए पूजा: प्रदोष व्रत के बारे में रायपुर के महामाया मंदिर के पुजारी पंडित मनोज शुक्ला ने कहा, "प्रदोष व्रत भगवान भोलेनाथ को समर्पित है. प्रदोष का व्रत हर महीने की एकादशी के ठीक दूसरे दिन यानी कि त्रयोदशी तिथि को मनाई जाती है. प्रदोष व्रत के दिन प्रदोष काल में विधि-विधान से भगवान भोलेनाथ की पूजा आराधना की जाती है. शास्त्रों में ऐसा वर्णन है कि शाम को प्रदोष काल के समय भगवान भोलेनाथ प्रसन्न मुद्रा में कैलाश पर्वत पर नृत्य करते हैं. इस समय किया गया व्रत और पूजन शुभ फल देने वाला होता है. इस बार प्रदोष का व्रत 19 जून बुधवार के दिन पड़ रहा है. इस दिन अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए प्रदोष का व्रत लोग करते हैं. शाम के समय प्रदोष काल में पूरे विधि-विधान से पूजा-अर्चना करने के बाद भी दीपदान करके भगवान शिव से निवेदन करते हुए मनवांछित फल प्राप्त करते हैं."

प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव को दही और घी का भोग जरूर लगाया जाना चाहिए. ऐसी मान्यता है कि इससे जीवन के सभी कष्ट दूर होने लगते हैं. संतान सुख की प्राप्ति भी होती है. इस दौरान शिव जी को हलवा का भोग लगाने से मनवांछित फल की भी प्राप्ति होती है. आप आर्थिक तंगी का सामना कर रहे हैं तो प्रदोष व्रत में महादेव को सूखे मेवे का भोग लगाए. इससे धन लाभ के योग बनते हैं. भोलेनाथ के भोग में भांग और धतूरा भी शामिल किया जा सकता है. ऐसी मान्यता है कि इससे बिजनेस के क्षेत्र में बढ़ोतरी होती है. -पंडित मनोज शुक्ला, पुजारी, महामाया मंदिर रायपुर

इस बात का रखें ध्यान: पंडित मनोज शुक्ला की मानें तो प्रदोष व्रत के दिन तामसिक चीजों को ग्रहण नहीं करना चाहिए. इस दिन भूलकर भी किसी को अपशब्द नहीं कहना चाहिए. इस दिन देर तक सोने की भूल भी नहीं करनी चाहिए. प्रदोष व्रत करने वाले जातक को चावल और नमक का सेवन भी नहीं करना चाहिए. इसके साथ ही भगवान शिव की पूजा के दौरान उन्हें सिंदूर हल्दी तुलसी पत्र केतकी का फूल भी नहीं चढ़ाना चाहिए. प्रदोष व्रत वाले दिन आप जल्दी उठकर स्नान ध्यान से निवृत होने के बाद साफ स्वच्छ कपड़े पहनकर शिव जी के सामने दीपक जलाएं. इस दौरान व्रत का संकल्प भी ले. शाम को दूध दही और गंगाजल मिलाकर पंचामृत से भगवान शिवलिंग का अभिषेक करें, फिर शिवलिंग पर चंदन बेलपत्र मदार पुष्प भांग आदि अर्पित करें. फिर विधि विधान पूर्वक पूजन और आरती करें.

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भगवान शिव की प्रदोष काल में पूजन (ETV Bharat)

रायपुर: इस माह 19 जून बुधवार के दिन प्रदोष व्रत है. यह दिन बुधवार पड़ने के कारण बुध प्रदोष व्रत के नाम से इसे जाना जाता है. इस दिन भगवान शिव की पूजा आराधना करने से मनवांछित फल की प्राप्ति होती है. वैसे तो हर रोज लोग भगवान शिव की पूजा आराधना करते हैं, लेकिन प्रदोष व्रत का दिन काफी महत्व रखता है. जातक व्रत उपवास करके शिवजी से मन वांछित फल प्राप्त करना चाहते हैं. इस दिन भगवान शिव जी की पूजा करने पर शुभ फलों की प्राप्ति होती है. यह व्रत प्रत्येक माह में कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर रखा जाता है. दोनों ही प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित माने गए हैं. मान्यताओं के अनुसार प्रदोष व्रत रखने से भक्तों के समस्त संकट दूर होते हैं. सभी मनोकामनाएं पूरी होती है. इसके अलावा जीवन में चल रही समस्याओं का निवारण भी भोलेनाथ करते हैं.

प्रदोष काल में करनी चाहिए पूजा: प्रदोष व्रत के बारे में रायपुर के महामाया मंदिर के पुजारी पंडित मनोज शुक्ला ने कहा, "प्रदोष व्रत भगवान भोलेनाथ को समर्पित है. प्रदोष का व्रत हर महीने की एकादशी के ठीक दूसरे दिन यानी कि त्रयोदशी तिथि को मनाई जाती है. प्रदोष व्रत के दिन प्रदोष काल में विधि-विधान से भगवान भोलेनाथ की पूजा आराधना की जाती है. शास्त्रों में ऐसा वर्णन है कि शाम को प्रदोष काल के समय भगवान भोलेनाथ प्रसन्न मुद्रा में कैलाश पर्वत पर नृत्य करते हैं. इस समय किया गया व्रत और पूजन शुभ फल देने वाला होता है. इस बार प्रदोष का व्रत 19 जून बुधवार के दिन पड़ रहा है. इस दिन अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए प्रदोष का व्रत लोग करते हैं. शाम के समय प्रदोष काल में पूरे विधि-विधान से पूजा-अर्चना करने के बाद भी दीपदान करके भगवान शिव से निवेदन करते हुए मनवांछित फल प्राप्त करते हैं."

प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव को दही और घी का भोग जरूर लगाया जाना चाहिए. ऐसी मान्यता है कि इससे जीवन के सभी कष्ट दूर होने लगते हैं. संतान सुख की प्राप्ति भी होती है. इस दौरान शिव जी को हलवा का भोग लगाने से मनवांछित फल की भी प्राप्ति होती है. आप आर्थिक तंगी का सामना कर रहे हैं तो प्रदोष व्रत में महादेव को सूखे मेवे का भोग लगाए. इससे धन लाभ के योग बनते हैं. भोलेनाथ के भोग में भांग और धतूरा भी शामिल किया जा सकता है. ऐसी मान्यता है कि इससे बिजनेस के क्षेत्र में बढ़ोतरी होती है. -पंडित मनोज शुक्ला, पुजारी, महामाया मंदिर रायपुर

इस बात का रखें ध्यान: पंडित मनोज शुक्ला की मानें तो प्रदोष व्रत के दिन तामसिक चीजों को ग्रहण नहीं करना चाहिए. इस दिन भूलकर भी किसी को अपशब्द नहीं कहना चाहिए. इस दिन देर तक सोने की भूल भी नहीं करनी चाहिए. प्रदोष व्रत करने वाले जातक को चावल और नमक का सेवन भी नहीं करना चाहिए. इसके साथ ही भगवान शिव की पूजा के दौरान उन्हें सिंदूर हल्दी तुलसी पत्र केतकी का फूल भी नहीं चढ़ाना चाहिए. प्रदोष व्रत वाले दिन आप जल्दी उठकर स्नान ध्यान से निवृत होने के बाद साफ स्वच्छ कपड़े पहनकर शिव जी के सामने दीपक जलाएं. इस दौरान व्रत का संकल्प भी ले. शाम को दूध दही और गंगाजल मिलाकर पंचामृत से भगवान शिवलिंग का अभिषेक करें, फिर शिवलिंग पर चंदन बेलपत्र मदार पुष्प भांग आदि अर्पित करें. फिर विधि विधान पूर्वक पूजन और आरती करें.

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