जांजगीर चाम्पा: जिला के पीथमपुर गांव में रंग पंचमी के दिन अद्भुत नजारा देखने को मिला. हर साल की तरह इस साल भी रंग पंचमी के अवसर पर शनिवार की शाम गाजा बाजा के साथ शिवजी की बारात निकाली गई. इस बारात में अलग अलग अखाड़ों से आए नागा साधू बाराती बने. इस दौरान साधुओं ने शौर्य प्रदर्शन भी किया. शिवजी की बारात को देखने दूर दूर से श्रद्धालु भी पीथमपुर पहुंचे थे.
पीथमपुर में निकली शिवजी की बारात: इसी कड़ी में शनिवार को बाबा कलेश्वरनाथ मंदिर से शिवजी की बारात निकाली गई. चांदी की पालकी में शिवजी की पंचमुखी प्रतिमा को स्थापित कर पीथमपुर का भ्रमण कराया गया. पंच धातु से बने शिव जी की पंचमुखी प्रतिमा को पालकी में बिठाकर हसदेव नदी तट पर लाया गया. जहां नगा साधुओं ने शाही स्नान किया और फिर से विधि विधान के साथ शिवजी को फिर से मन्दिर में स्थापित कर आरती की गई.
नागा साधुओं ने किया शौर्य प्रदर्शन: शिवजी की बारात में बाराती बनकर नागा साधु भी शामिल हुए, जो ढोल नगाड़ों की धुन पर झूमते नजर आए. इस दौरान नागा साधुओं ने शानदार शौर्य प्रदर्शन भी किया. वैष्णव संप्रदाय के संत भी शिव बारात में शामिल हुए. इस नजारे को देखने के लिए दूर दूर से बड़ी संख्या में श्रद्धालु पीथमपुर हुए थे.
भोलेनाथ श्रद्धालुओं संग मनाते हैं रंग पंचमी : छत्तीसगढ़ में रंग पंचमी को धूमधाम से मनाने की परंपरा है. जांजगीर चाम्पा जिला के पीथमपुर गांव में बाबा कलेश्वरनाथ मंदिर स्थित है. मान्यता है कि यहां शिवलिंग स्वयं भू है और इनके द्वार पर मांगी गई हर मांग पूरी होती है. सावन माह और शिवरात्रि में यहां शिवजी की विशेष पूजा और श्रृंगार की जाती है. लेकिन रंग पंचमी के दिन स्वयं भोलेनाथ अपने श्रद्धालुओं के बीच पहुंचते है और उनकी मनोकामना पूरी करते हैं.
बारात निकालने के साथ हुई मेले की शुरुआत:: जानकारों के मुताबिक, बाबा कलेश्वरनाथ की चांदी की पालकी को 1930 के दशक में राजा दादू रामशरण सिंह के समय रानी उपमा कुमारी ने बनवाया था. इसमें डेढ़ क्विंटल चांदी का इस्तेमाल किया गया. इसी पालकी में आज भी शिवजी की बारात निकाली जाती रही है. पीथमपुर गांव में रंग पंचमी के दिन से 10 दिवसीय मेले की शुरुआत गो गई है.