अम्बेडकरनगर : लोकसभा चुनाव के परिणाम आने के बाद सपाइयों की बांछें खिल गयी हैं. समाजवाद के पुरोधा डॉ. लोहिया की धरती पर पहली बार लोकसभा चुनाव में समाजवाद का परचम फहरा है. लालजी वर्मा लोकसभा चुनाव जीत कर अम्बेडकरनगर में एक इतिहास कायम किया है. अम्बेडकरनगर लोकसभा सीट से पहली बार कोई पिछड़ी जाति का नेता लोकसभा का चुनाव जीता है. लालजी र्मा ने 1 लाख 37 हजार से अधिक मतों से जीत दर्ज की है.
अम्बेडकरनगर लोकसभा सीट को लेकर सिर्फ भाजपा और सपा इन दो पार्टियों की प्रतिष्ठा दांव पर नहीं लगी थी, बल्कि दोनों ही पार्टियों के प्रत्याशियों के सामने अपना सियासी रसूख बचाने की चुनौती थी. चुनाव में भाजपा प्रत्याशी रितेश पांडे ने जीत का माहौल बनाने की कोशिश खी थी. लालजी वर्मा पर भाजपा के सियासी हमले व लालजी वर्मा और उनके समर्थकों पर प्रशासन की कार्रवाई भी एक चुनावी मुद्दा बन गया. दोनों ही प्रत्याशियों ने अपनी पूरी ताकत लगा दी, लेकिन आखिर में सियासी नब्ज पकड़ने में माहिर लालजी वर्मा ने भाजपा प्रत्याशी रितेश पांडे को करारी शिकस्त दे दी. यूपी के तमाम कुर्मी बाहुल्य जिलों में लालजी वर्मा की मजबूत पकड़ है और इस चुनाव में सपा को इसका फायदा भी मिला.
सपा प्रत्याशी लालजी वर्मा का सियासी कॅरियर: लालजी वर्मा की गणना जमीन से जुड़े जुझारू नेता के रूप में होती है. किसान परिवार में जन्मे लालजी वर्मा ने सियासत की शुरुआत अपने छात्र जीवन से ही शुरू कर दी थी. इलाहाबाद से कृषि विज्ञान में परास्नातक करने के दौरान लालजी वर्मा छात्र संघ के महामंत्री रहे. 1986 में पहली बार विधान परिषद का चुनाव लड़े और सदन पहुंचे. हालांकि बीच में इस्तीफा देकर 1992 में पहली बार विधानसभा का चुनाव लड़े और जीत हासिल की.
लालजी वर्मा चार बार टांडा विधानसभा क्षेत्र और दो बार कटेहरी विधानसभा से विधायक बने. वर्ष 2007 में लालजी वर्मा बसपा के प्रदेश अध्यक्ष रहे और इनके नेतृत्व में बसपा को पूर्ण बहुमत मिला. बसपा सरकार में लालजी वर्मा वित्त, संसदीय कार्य और चिकित्सा शिक्षा जैसे कई महत्वपूर्ण विभागों के मंत्री भी रहे. लालजी वर्मा के ही कार्यकाल में अम्बेडकरनगर में मेडिकल काॅलेज से लेकर इंजीनियरिंग काॅलेज तक की स्थापना हुई. लालजी वर्मा तीन बार प्रदेश सरकार में मंत्री रहे.