लखनऊ : यूपी में कांग्रेस के बाद बहुजन समाज पार्टी भी उच्च सदन से बाहर हो रही है. अब इन दोनों पार्टियों का उच्च सदन में प्रतिनिधित्व नहीं रहेगा. कांग्रेस पहले ही उच्च सदन से बाहर हो चुकी थी, अब बहुजन समाज पार्टी का एक मात्र विधान परिषद सदस्य भी सदन से बाहर हो जाएगा. एमएलसी डॉ. भीमराव अंबेडकर का कार्यकाल मार्च में खत्म हो रहा है.
अब बहुजन समाज पार्टी के पास इतने विधायक नहीं हैं कि कोई भी उच्च सदन में पहुंच पाए. इधर निचले सदन में भी बहुजन समाज पार्टी के एकमात्र रसड़ा से विधायक उमाशंकर सिंह ही हैं. अब लोकसभा चुनाव से पहले बहुजन समाज पार्टी को लगातार झटके लग रहे हैं.
10 में से ज्यादातर सांसद पार्टी छोड़कर जाने को तैयार हैं. राजनीतिक गलियारों में तो चर्चा यही है कि एकला चलो की नीति पर आगे बढ़ रहीं मायावती अकेले ही पड़ जाएंगी. पार्टी का हाल 2024 लोकसभा चुनाव में साल 2014 की तरह होगा, जब एक भी प्रत्याशी चुनाव जीतने में सफल नहीं होगा. फिलहाल बसपा की स्थिति दयनीय होती जा रही है.
साल 2007 में बसपा यूपी में शिखर पर पहुंच गई थी. पहली बार यूपी की राजनीति में बहुजन समाज पार्टी ने बहुमत हासिल किया था. प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में आई बहुजन समाज पार्टी 10 साल के अंदर इतनी कमजोर पड़ जाएगी, इसका शायद ही किसी को अंदाजा हो, पर हकीकत यही है कि बहुजन समाज पार्टी का सूर्यास्त होता जा रहा है.
लगातार उसके अपने पराए होते जा रहे हैं. विधानसभा, विधान परिषद, लोकसभा और राज्यसभा में लगातार पार्टी का प्रतिनिधित्व कम या फिर खत्म ही होता जा रहा है. पिछले बार के विधानसभा चुनाव में पार्टी सिर्फ 403 में से एक सीट जीतने में ही कामयाब हो पाई, वहीं विधान परिषद में भी पार्टी का सिर्फ एक ही विधान परिषद सदस्य प्रतिनिधित्व के लिए शामिल था, लेकिन अब यहां पर मायावती की पार्टी की दावेदारी खत्म हो रही है.
एमएलसी भीमराव अंबेडकर का कार्यकाल समाप्त हो रहा है और इसके साथ ही विधान परिषद से बहुजन समाज पार्टी का अस्तित्व भी समाप्त हो जाएगा. राज्यसभा में भी पार्टी का सिर्फ एक ही राज्यसभा सांसद बचा है. राम जी गौतम राज्यसभा में अभी बसपा का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. उनका कार्यकाल समाप्त होने के बाद आगे राज्यसभा में भी पार्टी को कोई उम्मीद नजर नहीं आ रही है.
2019 में जीते थे 10 सांसद, अब छोड़ रहे साथ : 2019 के लोकसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी ने समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन किया था. इसका फायदा पार्टी को भरपूर मिला था. 2014 में एक भी सीट न जीतने वाली पार्टी 2019 में 10 सीटें जीतने में सफल हुई थी.
बीएसपी के 10 सांसद जीतकर लोकसभा में पार्टी का प्रतिनिधित्व कर रहे थे, लेकिन अब 2024 के लोकसभा चुनाव में मायावती ने फैसला लिया है कि वह किसी पार्टी से गठबंधन नहीं करेंगी. बीएसपी अकेले चुनाव लड़ेगी. ऐसे में टिकट की घोषणा करने से पहले ही अब तक जो पार्टी के सांसद थे वह दूसरी पार्टियों में अपने लिए जमीन तलाश कर रहे हैं.
इनमें से अब तक दो नेता समाजवादी पार्टी में शामिल भी हो गए हैं. इनमें से बहुजन समाज पार्टी के गाजीपुर से सांसद रहे अफजाल अंसारी को समाजवादी पार्टी ने प्रत्याशी भी बना दिया है. अंबेडकर नगर से बसपा सांसद रितेश पांडेय भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम चुके हैं. गुरुवार को ही आजमगढ़ लोकसभा सीट से बसपा प्रत्याशी के तौर पर उपचुनाव लड़े शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली ने समाजवादी पार्टी की सदस्यता ले ली.
इससे पहले अमरोहा से बहुजन समाज पार्टी के सांसद कुंवर दानिश अली को पार्टी बाहर कर चुकी है. वह कांग्रेस या सपा से जुगाड़ लगा रहे हैं, वहीं जौनपुर से बीएसपी सांसद श्याम सिंह यादव भी कांग्रेस के चक्कर काट रहे हैं.
वे राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा में भी शामिल हो चुके हैं. बिजनौर से बीएसपी सांसद मलूक नागर बीजेपी और आरएलडी की शरण में जाने को तैयार हैं. इसके अलावा जो बचे हुए सांसद हैं वह भी बहुजन समाज पार्टी से लड़ना नहीं चाहते. ऐसे में धीरे-धीरे बहुजन समाज पार्टी की सियासत में सेंध लगती जा रही है.
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