जयपुर : राजधानी जयपुर के नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क से खुशी की खबर सामने आई है. नाहरगढ़ लायन सफारी में शेरनी तारा ने एक शावक को जन्म दिया है. शावक की हालत गंभीर बताई जा रही है. डीसीएफ जगदीश गुप्ता ने शावक की मॉनिटरिंग बढ़ाने के निर्देश दिए हैं. शावक को नियो नेटल केयर यूनिट में रखा गया है. शेरनी तारा करीब 7 वर्ष की बताई जा रही है. वर्ष 2017 में नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में शेरनी तारा का जन्म हुआ था. शेरनी तारा को लायन सफारी में शेर शक्ति के साथ जोड़ा बनाकर रखा गया था.
डीसीएफ जगदीश गुप्ता के मुताबिक नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में रहवास कर रही शेरनी तारा वर्ष 2017 में जन्मी थी. शेरनी तारा ने रविवार रात करीब 1:15 बजे एक शावक को जन्म दिया है. शेरनी की ओर से शावक की देख रेख और फीडिंग नहीं करने पर शावक को करीब 3:30 बजे अस्पताल में शिफ्ट किया गया. शावक की हालत ज्यादा गंभीर नजर आने पर शावक को नियो नेटल केयर यूनिट में रखा गया है, जहां पर पशु चिकित्सक और स्टाफ की ओर से गहन मॉनिटरिंग की जा रही है. वरिष्ठ वन्यजीव पशु चिकित्सक डॉ. अरविंद माथुर शावक की विशेष देख रेख कर रहे हैं. शेरनी तारा की भी मॉनिटरिंग की जा रही है. वन्यजीव पशु चिकित्सकों की ओर से नए शावक की फीडिंग और स्वास्थ्य का पूरा ख्याल रखा जा रहा है. वन विभाग के स्टाफ को विशेष तौर पर शावक की देखभाल के लिए निर्देशित किया गया है.
नाहरगढ़ पार्क की लायन सफारी पर्यटकों के लिए खास आकर्षण का केंद्र रहती है. लायन सफारी में शेरनी तारा और शेर शक्ति का जोड़ा पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. लायन सफारी में घूमने आने वाले पर्यटक शेर और शेरनी की अटखेलियों को देखकर रोमांचित हो जाते हैं. नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में शेरों का कुनबा बढ़ाने के लिए वन विभाग ने शेरनी तारा के साथ शेर शक्ति का जोड़ा बनाया था.
सीएम ने रखा नाम : बता दें कि करीब 5 महीने पहले बाघिन रानी ने चार शावको जन्म दिया था, जिसमें से एक मृत पैदा हुआ था और दूसरे शावक की अगले दिन मौत हो गई थी. शेष दो शावकों को मां से अलग करके रेस्क्यू सेंटर में रखा गया था, जहां पर शावकों की विशेष देखभाल की गई. अब दोनों शावक बड़े हो चुके हैं, जिन्हें कराल में शिफ्ट कर दिया गया है. हाल ही में नाहरगढ़ टाइगर सफारी का लोकार्पण करने के लिए पहुंचे मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने दोनों शावकों का नामकरण किया था. नर शावक का नाम भीम और मादा शावक का नाम स्कंदी रखा गया.