ETV Bharat / state

फरिश्ते योजना को लेकर एलजी कार्यालय और दिल्ली सरकार आमने-सामने, एक दूसरे पर लगाए आरोप - FARISHTE SCHEME IN DELHI

उपराज्यपाल पर आप ने लगाया फरिश्ते योजना को रोकने का आरोप. उपराज्यपाल कार्यालय ने स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज को बताया झूठा.

उपराज्यपाल पर आप ने लगाया फरिश्ते योजना को रोकने का आरोप
उपराज्यपाल पर आप ने लगाया फरिश्ते योजना को रोकने का आरोप (ETV Bharat)
author img

By ETV Bharat Delhi Team

Published : Jan 4, 2025, 9:57 AM IST

नई दिल्ली: दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज और उपराज्यपाल कार्यालय के बीच फरिश्ते योजना को लेकर एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप का दौर जारी है. उपराज्यपाल कार्यालय की ओर से बयान जारी कर कहा गया कि दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज की ओर से उपराज्यपाल कार्यालय के विरुद्ध फरिश्ते योजना के संबंध में सर्वोच्च न्यायालय में दायर रिट याचिका को वापस लेना इस बात को स्वीकार करना है कि उन्होंने अपनी याचिका में एलजी कार्यालय के विरुद्ध जो भी दावे किए थे, वे सभी निराधार व झूठे थे. यह भी कहा गया कि ये आरोप उपराज्यपाल कार्यालय को बदनाम करने के इरादे से लगाए गए थे.

इसके अतिरिक्त यह भी कहा गया, सौरभ भारद्वाज की तरफ से याचिका में दावा किया गया था कि एलजी कार्यालय ने उनकी सरकार को 'फरिश्ते योजना' को लागू करने में असमर्थ बना दिया था, यह झूठ साबित हुआ. यह एलजी कार्यालय और जीएनसीटीडी (राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार) के स्वास्थ्य सचिव की ओर से लिए गए रुख की पुष्टि करता है कि फरिश्ते योजना को कभी भी निष्फल नहीं बनाया गया था. वित्त वर्ष 2022-2023 के दौरान योजना के तहत लाभार्थियों की कुल संख्या 3698 थी. वहीं जब याचिका दायर की गई थी तब वित्त वर्ष 2023-2024 में अक्टूबर तक यह संख्या 3604 थी.

एलजी कार्यालय ने साझा किए आंकड़े: एलजी कार्यालय से दी गई जानकारी के अनुसार भारद्वाज के दावों के विपरीत योजना के तहत वित्त वर्ष 2022-2023 के दौरान 4.85 करोड़ रुपये का भुगतान और वित्त वर्ष 2023-2024 में 12 फरवरी तक 4.98 करोड़ रुपये का भुगतान योजना के तहत निजी अस्पतालों को किया गया. ये आंकड़े प्रथम दृष्टया न तो फरिश्ते योजना में किसी रोक का संकेत देते हैं और न ही वे सौरभ भारद्वाज की ओर से लगाए गए भुगतान न करने के आरोपों का समर्थन करते हैं.

योजना को रोकने के आरोप पर खुलासा: स्वास्थ्य विभाग की फरिश्ते या किसी अन्य योजना का क्रियान्वयन स्वास्थ्य विभाग की ओर से ही किया गया, जिसमें वित्तीय आवंटन वित्त विभाग की ओर से किया गया. दोनों ही हस्तांतरित विषय हैं जो पूरी तरह से मंत्रियों के नियंत्रण में हैं. इनमें किसी भी तरह की विफलता के लिए मंत्रियों की पूरी जिम्मेदारी है. स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज खुद दिल्ली आरोग्य कोष के अध्यक्ष हैं और वे ही स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक (डीजीएचएस) की ओर से सीधे उनके पास भेजी गई हर फाइल को मंजूरी देते हैं. स्वास्थ्य विभाग के सचिव या एलजी कार्यालय के इसमें शामिल होने का सवाल ही नहीं उठता.

दिल्ली सरकार ने किया पलटवार: सौरभ भारद्वाज की ओर से याचिका वापस लेने की बात पर दिल्ली सरकार की तरफ से पलटवार किया गया. दिल्ली सरकार की ओर से जारी बयान में कहा गया, दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, क्योंकि 29 करोड़ रुपए रोके गए थे और एलजी दोषी अधिकारियों के खिलाफ कोई अनुशासनात्मक कार्रवाई नहीं कर रहे थे. सुप्रीम कोर्ट की ओर से एलजी को नोटिस जारी करने के बाद, 29 करोड़ रुपये की राशि तुरंत स्वास्थ्य विभाग को जारी कर दी गई और निजी अस्पतालों को भुगतान किया जा सका, जिससे योजना चालू हो गई. यह भी कहा गया, यह बेहद शर्मनाक है, उपराज्यपाल इतने निचले स्तर पर गिर गए हैं कि उन्होंने दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री के पत्रों का जवाब देने की भी जहमत नहीं उठाई, जब तक कि उन्हें सुप्रीम कोर्ट से नोटिस नहीं मिला.

किया ये दावा: दिल्ली सरकार ने यह भी आरोप लगाया कि एलजी ने फरिश्ते योजना पर तत्कालीन पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के पत्रों को नजरअंदाज कर दिया. साथ ही दावा किया कि यह सुप्रीम कोर्ट का हस्तक्षेप था, जिसके कारण 29 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया. इससे यह पता चला कि फरिश्ते योजना जैसी योजना को निष्क्रिय करने के लिए जानबूझकर साजिश रची गई थी.

नई दिल्ली: दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज और उपराज्यपाल कार्यालय के बीच फरिश्ते योजना को लेकर एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप का दौर जारी है. उपराज्यपाल कार्यालय की ओर से बयान जारी कर कहा गया कि दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज की ओर से उपराज्यपाल कार्यालय के विरुद्ध फरिश्ते योजना के संबंध में सर्वोच्च न्यायालय में दायर रिट याचिका को वापस लेना इस बात को स्वीकार करना है कि उन्होंने अपनी याचिका में एलजी कार्यालय के विरुद्ध जो भी दावे किए थे, वे सभी निराधार व झूठे थे. यह भी कहा गया कि ये आरोप उपराज्यपाल कार्यालय को बदनाम करने के इरादे से लगाए गए थे.

इसके अतिरिक्त यह भी कहा गया, सौरभ भारद्वाज की तरफ से याचिका में दावा किया गया था कि एलजी कार्यालय ने उनकी सरकार को 'फरिश्ते योजना' को लागू करने में असमर्थ बना दिया था, यह झूठ साबित हुआ. यह एलजी कार्यालय और जीएनसीटीडी (राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार) के स्वास्थ्य सचिव की ओर से लिए गए रुख की पुष्टि करता है कि फरिश्ते योजना को कभी भी निष्फल नहीं बनाया गया था. वित्त वर्ष 2022-2023 के दौरान योजना के तहत लाभार्थियों की कुल संख्या 3698 थी. वहीं जब याचिका दायर की गई थी तब वित्त वर्ष 2023-2024 में अक्टूबर तक यह संख्या 3604 थी.

एलजी कार्यालय ने साझा किए आंकड़े: एलजी कार्यालय से दी गई जानकारी के अनुसार भारद्वाज के दावों के विपरीत योजना के तहत वित्त वर्ष 2022-2023 के दौरान 4.85 करोड़ रुपये का भुगतान और वित्त वर्ष 2023-2024 में 12 फरवरी तक 4.98 करोड़ रुपये का भुगतान योजना के तहत निजी अस्पतालों को किया गया. ये आंकड़े प्रथम दृष्टया न तो फरिश्ते योजना में किसी रोक का संकेत देते हैं और न ही वे सौरभ भारद्वाज की ओर से लगाए गए भुगतान न करने के आरोपों का समर्थन करते हैं.

योजना को रोकने के आरोप पर खुलासा: स्वास्थ्य विभाग की फरिश्ते या किसी अन्य योजना का क्रियान्वयन स्वास्थ्य विभाग की ओर से ही किया गया, जिसमें वित्तीय आवंटन वित्त विभाग की ओर से किया गया. दोनों ही हस्तांतरित विषय हैं जो पूरी तरह से मंत्रियों के नियंत्रण में हैं. इनमें किसी भी तरह की विफलता के लिए मंत्रियों की पूरी जिम्मेदारी है. स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज खुद दिल्ली आरोग्य कोष के अध्यक्ष हैं और वे ही स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक (डीजीएचएस) की ओर से सीधे उनके पास भेजी गई हर फाइल को मंजूरी देते हैं. स्वास्थ्य विभाग के सचिव या एलजी कार्यालय के इसमें शामिल होने का सवाल ही नहीं उठता.

दिल्ली सरकार ने किया पलटवार: सौरभ भारद्वाज की ओर से याचिका वापस लेने की बात पर दिल्ली सरकार की तरफ से पलटवार किया गया. दिल्ली सरकार की ओर से जारी बयान में कहा गया, दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, क्योंकि 29 करोड़ रुपए रोके गए थे और एलजी दोषी अधिकारियों के खिलाफ कोई अनुशासनात्मक कार्रवाई नहीं कर रहे थे. सुप्रीम कोर्ट की ओर से एलजी को नोटिस जारी करने के बाद, 29 करोड़ रुपये की राशि तुरंत स्वास्थ्य विभाग को जारी कर दी गई और निजी अस्पतालों को भुगतान किया जा सका, जिससे योजना चालू हो गई. यह भी कहा गया, यह बेहद शर्मनाक है, उपराज्यपाल इतने निचले स्तर पर गिर गए हैं कि उन्होंने दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री के पत्रों का जवाब देने की भी जहमत नहीं उठाई, जब तक कि उन्हें सुप्रीम कोर्ट से नोटिस नहीं मिला.

किया ये दावा: दिल्ली सरकार ने यह भी आरोप लगाया कि एलजी ने फरिश्ते योजना पर तत्कालीन पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के पत्रों को नजरअंदाज कर दिया. साथ ही दावा किया कि यह सुप्रीम कोर्ट का हस्तक्षेप था, जिसके कारण 29 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया. इससे यह पता चला कि फरिश्ते योजना जैसी योजना को निष्क्रिय करने के लिए जानबूझकर साजिश रची गई थी.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.