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नम आंखों से दी शहीद राम किशोर को अंतिम विदाई, अंतिम यात्रा में जिंदाबाद के लगे नारे - bsf jawan martyr

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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : 2 hours ago

जम्मू कश्मीर में आतंकियों के सर्च ऑपरेशन के दौरान शहीद हुए धौलपुर जिले के राजाखेड़ा क्षेत्र के बीएसएफ जवान का पार्थिव शरीर शनिवार को उनके गांव पहुंचा. उनकी सैन्य सम्मान के साथ अंत्येष्टि की गई. गृह राज्य मंत्री जवाहर सिंह बेढम ने पार्थिव देह पर पुष्प चक्र अर्पित किए.

BSF JAWAN MARTYR
शहीद की पार्थिव देह पर पुष्पचक्र अर्पित करते गृह राज्य मंत्री बेढम (Photo ETV Bharat Dholpur)

धौलपुर: जिले के राजाखेड़ा उपखंड क्षेत्र के गांव दूल्हे राय का घेर निवासी बीएसएफ का जवान रामकिशोर जम्मू कश्मीर के कठुआ सेक्टर में आतंकवादियों से मुठभेड़ में शहीद हो गया था. शहीद का पार्थिव शरीर शनिवार को गांव पहुंचा. पार्थिव शरीर देखते ही गांव में शोक की लहर छा गई. शहीद की पत्नी पार्थिव शरीर से लिपटकर रोने लगी. इस दौरान ग्रामीणों ने 'जब तक सूरज चांद रहेगा, रामकिशोर तेरा नाम रहेगा' के नारे लगाए. शहीद की अंतिम यात्रा में हजारों की तादाद में लोग उमड़े. जिला प्रभारी मंत्री जवाहर सिंह बेढम और जिला कलेक्टर समेत तमाम अधिकारी और नेताओं ने शहीद की पार्थिव देह पर पुष्प चक्र अर्पित किए. शहीद राम किशोर को गार्ड ऑफ ऑनर की सलामी दी गई.सेना के जवानों द्वारा शहीद के सम्मान में पांच राउंड फायरिंग की गई.

शहीद राम किशोर की चाची भूरी देवी ने बताया कि रामकिशोर का सपना शुरू से ही सेना में जाने का था. वर्ष 2019 में रामकिशोर बीएसएफ में भर्ती हुआ था. इसके बाद रामकिशोर के व्यवहार में बड़ी तब्दीली आई थी. जब भी छुट्टी लेकर घर आता था तो सभी से मिलजुल कर जाता था.

नम आंखों से दी शहीद राम किशोर को अंतिम विदाई. (ETV Bharat Dholpur)

पढ़ें: राजाखेड़ा के जवान रामकिशोर पठानकोट में हुए शहीद

नौ दिन पहले छुट्टी से लौटा था ड्यूटी: चाची भूरी देवी ने बताया रामकिशोर 20 दिन की छुट्टी लेकर हाल ही में घर आया था. 11 सितंबर को छुट्टी की अवधि पूरी होने पर परिवार के सभी सदस्यों से मिलजुल कर वापस ड्यूटी पर गया था, लेकिन कश्मीर में हुए हादसे में रामकिशोर शहीद हो गया.

आठ महीने पहले ही हुई थी शादी: शहीद रामकिशोर की पत्नी पूजा का रो रो कर बुरा हाल था. गत वर्ष 7 दिसंबर को रामकिशोर की शादी पूजा के साथ संपन्न हुई थी. महज 8 महीने के अंतराल में पूजा का सुहाग उजड़ गया. पत्नी पूजा के हाथों की मेहंदी भी अभी तक नहीं छूट पाई है. इस घटना से शहीद की पत्नी, मां, पिता और भाइयों को भारी सदमा लगा है.

चार भाइयों में सबसे छोटा था रामकिशोर: पिता महावीर सिंह के चार पुत्र और दो पुत्री हैं. इनमें मलखान, बंटू और विकेश उससे बड़े हैं. रामकिशोर सबसे छोटा था. रामकिशोर से छोटी बहन लक्ष्मी है, जिसकी शादी नहीं हुई है. बड़ी बहन ममता की शादी हो चुकी है. शहीद रामकिशोर के पिता एवं भाई खेती किसानी का काम करते हैं.

धौलपुर: जिले के राजाखेड़ा उपखंड क्षेत्र के गांव दूल्हे राय का घेर निवासी बीएसएफ का जवान रामकिशोर जम्मू कश्मीर के कठुआ सेक्टर में आतंकवादियों से मुठभेड़ में शहीद हो गया था. शहीद का पार्थिव शरीर शनिवार को गांव पहुंचा. पार्थिव शरीर देखते ही गांव में शोक की लहर छा गई. शहीद की पत्नी पार्थिव शरीर से लिपटकर रोने लगी. इस दौरान ग्रामीणों ने 'जब तक सूरज चांद रहेगा, रामकिशोर तेरा नाम रहेगा' के नारे लगाए. शहीद की अंतिम यात्रा में हजारों की तादाद में लोग उमड़े. जिला प्रभारी मंत्री जवाहर सिंह बेढम और जिला कलेक्टर समेत तमाम अधिकारी और नेताओं ने शहीद की पार्थिव देह पर पुष्प चक्र अर्पित किए. शहीद राम किशोर को गार्ड ऑफ ऑनर की सलामी दी गई.सेना के जवानों द्वारा शहीद के सम्मान में पांच राउंड फायरिंग की गई.

शहीद राम किशोर की चाची भूरी देवी ने बताया कि रामकिशोर का सपना शुरू से ही सेना में जाने का था. वर्ष 2019 में रामकिशोर बीएसएफ में भर्ती हुआ था. इसके बाद रामकिशोर के व्यवहार में बड़ी तब्दीली आई थी. जब भी छुट्टी लेकर घर आता था तो सभी से मिलजुल कर जाता था.

नम आंखों से दी शहीद राम किशोर को अंतिम विदाई. (ETV Bharat Dholpur)

पढ़ें: राजाखेड़ा के जवान रामकिशोर पठानकोट में हुए शहीद

नौ दिन पहले छुट्टी से लौटा था ड्यूटी: चाची भूरी देवी ने बताया रामकिशोर 20 दिन की छुट्टी लेकर हाल ही में घर आया था. 11 सितंबर को छुट्टी की अवधि पूरी होने पर परिवार के सभी सदस्यों से मिलजुल कर वापस ड्यूटी पर गया था, लेकिन कश्मीर में हुए हादसे में रामकिशोर शहीद हो गया.

आठ महीने पहले ही हुई थी शादी: शहीद रामकिशोर की पत्नी पूजा का रो रो कर बुरा हाल था. गत वर्ष 7 दिसंबर को रामकिशोर की शादी पूजा के साथ संपन्न हुई थी. महज 8 महीने के अंतराल में पूजा का सुहाग उजड़ गया. पत्नी पूजा के हाथों की मेहंदी भी अभी तक नहीं छूट पाई है. इस घटना से शहीद की पत्नी, मां, पिता और भाइयों को भारी सदमा लगा है.

चार भाइयों में सबसे छोटा था रामकिशोर: पिता महावीर सिंह के चार पुत्र और दो पुत्री हैं. इनमें मलखान, बंटू और विकेश उससे बड़े हैं. रामकिशोर सबसे छोटा था. रामकिशोर से छोटी बहन लक्ष्मी है, जिसकी शादी नहीं हुई है. बड़ी बहन ममता की शादी हो चुकी है. शहीद रामकिशोर के पिता एवं भाई खेती किसानी का काम करते हैं.

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