शिमला: हिमाचल प्रदेश में भानुपल्ली-बिलासपुर-बैरी रेल लाइन के लिए जमीन अधिग्रहण की अधिसूचना समय पर अंतिम रूप न देने के कारण रद्द हो गई है. हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एमएस रामचंद्र राव व न्यायमूर्ति सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने इस मामले में प्रारंभिक अधिसूचना के 12 माह के बाद अधिग्रहण की प्रक्रिया को अंतिम रूप देने वाली दूसरी यानी अंतिम नोटिफिकेशन को कानून के खिलाफ पाते हुए रद्द कर दिया.
हाईकोर्ट ने इस केस में पूर्व में एकल पीठ के फैसले को पलटा है. उल्लेखनीय है कि हाईकोर्ट की एकल पीठ ने इस संदर्भ में दाखिल एक याचिका को खारिज किया था. एकल पीठ ने याचिका को खारिज करते हुए पहली मार्च 2023 को जारी इस अधिसूचना को प्रारंभिक अधिसूचना जारी होने की तारीख से 12 महीने के बाद जारी करने पर भी कानूनी मान्यता प्रदान कर दी थी.
1 मार्च 2023 को जारी इस अधिसूचना के तहत यह घोषणा की गई थी कि सार्वजनिक प्रयोजन के लिए अर्थात भानुपल्ली-बिलासपुर-बैरी नई ब्रॉड गेज रेलवे लाइन के निर्माण के लिए अधिग्रहण के तहत 125-4 बीघे यानी 9.42 हेक्टेयर भूमि की आवश्यकता है.
उल्लेखनीय है कि कि 63.1 किलोमीटर लंबी यह रेल लाइन अंबाला-सरहिंद-ऊना रेलवे लाइन पर मौजूद भानुपल्ली रेलवे स्टेशन से बिलासपुर के बरमाणा तक जुड़ेगी. यह रेल लाइन 20 सुरंगों से होकर गुजरेगी. इन सुरंगों की लंबाई 25 किलोमीटर होगी. इसके अलावा 6 किलोमीटर लंबाई के 24 पुल और 2 किलोमीटर लंबाई के 2 पुलों का निर्माण भी किया जाएगा.
इस मामले में अपीलकर्ताओं की यह दलील थी कि वे पेशे से किसान और भूमि धारक हैं. उनकी भूमि और मकानों को ब्रॉड गेज रेलवे लाइन भानुपल्ली-बिलासपुर-बैरी के निर्माण के लिए सरकार की तरफ से रेल विकास निगम लिमिटेड के हित में अधिगृहित किया जा रहा है.
अपीलकर्ताओं का यह तर्क था कि भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनर्स्थापन में उचित मुआवजा और पारदर्शिता का अधिकार अधिनियम, 2013 की धारा 19 (7) के तहत जारी घोषणा, धारा 11 (1) के तहत प्रारंभिक अधिसूचना की तारीख से 12 महीने के भीतर जारी की जानी चाहिए.
मौजूदा मामले में धारा 11(1) के तहत प्रारंभिक अधिसूचना की तारीख 19.02.2022 थी, लेकिन अधिनियम की धारा 19(1) के तहत घोषणा की तारीख 01.03.2023 थी. इस कारण इस कार्रवाई को निरस्त किया जाना चाहिए.
खंडपीठ ने इस विषय मे पारित फैसलों के अवलोकन करने के बाद अपील को स्वीकार कर लिया. खंडपीठ ने इसके अलावा रिट याचिका को खारिज करने वाले एकल पीठ के फैसले को रद्द को पलट दिया. खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि उक्त रिट याचिका को केवल याचिकाकर्ताओं की भूमि और घरों के संबंध में स्वीकार किया जाता है.
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