नई दिल्ली/गाजियाबाद: सिद्धपीठ श्री दूधेश्वर नाथ मठ महादेव मंदिर में त्रयोदशी का जलाभिषेक गुरुवार शाम 4 बजे से शुरू हो गया. महंत नारायण गिरि महाराज ने बताया कि हर महीने की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है. सावन के प्रदोष व्रत का महत्व अलग होता है. आज सावन माह का पहला प्रदोष व्रत है और गुरुवार का दिन भी है, इससे इसका महत्व और भी बढ़ गया है. गुरुवार का दिन भगवान विष्णु, गुरु यानि ब्रहस्पति का दिन माना जाता है. ऐसे आज व्रत रखने व पूजा-अर्चना करने से भगवान शिव व भगवान विष्णु दोनों की कृपा प्राप्त होगी.
शनिवार दोपहर 3:50 तक चढ़ेगा जलः नारायण गिरी ने बताया, "चतुर्दशी यानि सावन शिवरात्रि का जल शनिवार की अपराह्न 3 बजकर 50 मिनट तक चढ़ेगा. सावन शिवरात्रि का जल चढ़ाने के लिए मंदिर में लाखों कांवडिएं पहुंचते हैं. प्रातः 3 बजे से 4 बजे तक भगवान की आरती होगी व भोग लगेगी, उसके बाद 4.30 बजे से मंदिर भक्तों के लिए खुल जाएगा. इसी प्रकार रात्रि में 7.30 बजे से रात्रि 8.30 बजे तक श्रृंगार, आरती और भोग के लिए मंदिर बंद रहेगा. इसके अलावा मंदिर 48 घंटे निरंतर खुला रहेगा. 2 अगस्त को आठ प्रहर की पूजा-अर्चना भी होगी. पूजा-अर्चना 2 घंटे की होती है और 1 घंटे का विश्राम होता है. आठ प्रहर की पूजा-अर्चना 2 अगस्त को प्रातः 4 बजे से शुरू हो जाएगी. मंदिर में तकरीबन 10 लाख श्रद्धालुओं के पहुंचने की उम्मीद है.
डेढ़ किलोमीटर तक लगती है भक्तों की कतारः गाजियाबाद का प्राचीन दूधेश्वर नाथ मंदिर उत्तर भारत के प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक है. सावन के महीने में दूधेश्वर नाथ मंदिर में श्रद्धालुओं का जन सैलाब उमड़ता है. फिलहाल मंदिर में हाजरी का जल चढ़ाने के लिए शिव भक्त पहुंच रहे हैं. हालांकि अभी मंदिर में भक्तों की संख्या कम नजर आ रही है.
मंदिर प्रशासन का कहना है कि शाम 7:00 से शिव भक्तों की संख्या बढ़ने लगेगी. वहीं, सावन शिवरात्रि के दिन मंदिर में लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं. मंदिर के बाहर तकरीबन डेढ़ किलोमीटर तक शिव भक्तों की कतारें लगी होती है. लाइन में लगने के बाद मंदिर के भीतर पहुंचने में तकरीबन 3 से 4 घंटे का वक्त लग जाता है.
मंदिर के आसपास भारी पुलिस बल तैनात: किसी प्रकार की अवस्था ना हो इसको लेकर पुलिस, प्रशासन, नगर निगम और मंदिर प्रशासन द्वारा विशेष इंतजाम किए गए हैं. मंदिर के बाहर तकरीबन 1 किलोमीटर तक शिव भक्तों के लिए बांस लगाकर रास्ते बनाए गए हैं. महिला, पुरुष के साथ कावड़ियों की अलग लाइन की व्यवस्था की गई है. मंदिर के आसपास भारी पुलिस बल तैनात किया गया है. साथ ही मंदिर प्रशासन और सिविल डिफेंस के वालंटियर भी व्यवस्था को बनाए रखने के लिए तैनात किए गए हैं.
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