गोरखपुर : देश-दुनिया को भारतीय संस्कृति और परंपरा के साथ यहां की प्राचीन वस्तुएं भी हमेशा से बड़ा संदेश देती आईं हैं. गोरखपुर के राजकीय बौद्ध संग्रहालय में कुषाण कालीन कई प्रतिमाएं हैं. इनके अलावा पुलिस के मालखाने में वर्षों तक बंद रहीं पीतल और अन्य धातु की मूर्तियां भी इस संग्रहालय की शोभा बढ़ा रहीं हैं. करीब 2000 साल पहले कुषाण काल की नमस्ते के आकार वाली मूर्ति भी यहां आने वाले लोगों का ध्यान खींच रही है.
संग्रहालय के उपनिदेशक डॉ. यशवंत कुमार बताते हैं कि यहां सुरक्षित और संरक्षित की गई मूर्तियां मानव सभ्यता के हर कालखंड को बयां करती हैं. उन्होंने इन मूर्तियों का सार्वजनिक महत्व बताने का संकल्प भी लिया है. वह यहां आने वाले दर्शकों और पर्यटकों को भारतीय संस्कृति और परंपरा से भी अवगत कराते हैं.
गौतम बुद्ध की प्रतिमा को निहारते हैं लोग : कुषाण कालीन समेत हजारों मूर्तियां यहां बहुत ही सुंदर ढंग से रखी गई हैं. इस संग्रहालय में प्रवेश करने के साथ गौतम बुद्ध की साधन में लीन पीपल के वृक्ष के नीचे बनी प्रतिमा सभी को कुछ क्षण के रोके रखती है, उसका आकर्षण ही ऐसा है. यहां रखी मूर्तियों का काल और समय सब निश्चित है. मथुरा और गांधार से प्राप्त और उसकी कलाकृतियों में भगवान बुद्ध से लेकर शालभंजिका, मनौती स्तूप, अवलोकितेश्वर की कलाकृतियां शामिल हैं. कुछ कलाकृतियां पूर्ण हैं तो कुछ खंडित हैं.
विदेशी पर्यटक भी देखने आते हैं : उप निदेशक कहते हैं कि गौतम बुद्ध, जैन धर्म और मानव सभ्यता को दर्शाने वाली तमाम मूर्तियां सभी का ध्यान अपनी ओर खींचती हैं. यह शोधार्थियों, इतिहास के प्रति जिज्ञासु लोगों के साथ स्कूली छात्रों के लिये ज्ञानार्जन का केंद्र है. पद्मपाणि अवलोकितेश्वरा की प्रतिमा ऐसी है जिसमें वह नमस्ते करते दिख रहे हैं. उन्होंने कहा कि बहुत जल्द संग्रहालय और विभिन्न चित्रकला वीथिका और भी सुंदर स्वरूप में होगी. राज्य सरकार खासकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ही इसे बेहतर बनाने के लिए करोड़ों का बजट दिया है. यहां पड़ोस में कुशीनगर, सिद्दार्थनगर के होने से विदेशी पर्यटक भी आते हैं.
गोरखपुर के इतिहास पर 6 से अधिक किताबों को लिख चुके प्रोफेसर कृष्ण कुमार पांडेय कहते हैं कि बौद्ध संग्रहालय बौद्ध परिपथ के क्षेत्र में पड़ता है. इससे इसकी महत्ता और बढ़ जाती है.यह अपने संग्रह को लेकर भी बेहद खास है. इतिहास के प्रति रुझान रखने वाला, बुद्ध, जैन और कुषाण कालीन चीजों को पढ़ने और देखने की ललक रखने वाला, यहां आकर आनंदित होता है, वह निराश नहीं हो सकता.
3 करोड़ से संग्रहालय परिसर को सजाया गया : गोरखपुर का बौद्ध संग्रहालय प्राकृतिक सौंदर्य का भी अद्भुत केंद्र है. यह रामगढ़ ताल और सर्किट हाउस के बगल में है. यहां हजारों की संख्या में लोग घूमने-टहलने आते हैं. यहां आने के बाद पुरातात्विक महत्व को जानेंगे, वहीं उन्हें पर्यावरण संरक्षण और पौधरोपण के महत्व को भी जानने का अवसर प्राप्त होगा. करीब 3 करोड़ 11 लाख रुपये से इस संग्रहालय परिसर की खूबसूरती को बड़े ही ढंग से सजाया गया है. यहां पर मिट्टी के टीले पर भगवान बुद्ध की परिनिर्वाण की मुद्रा में बनाई गई आकृति पर्यटकों को बरबस ही आकर्षित करेगी, जो आने वाले समय में घास की आकृति में नजर आएगी. इसके अलावा शिव, विष्णु, गणेश आदि देवताओं की मिट्टी, पीतल की भी अति प्रचीन प्रतिमाएं इस संग्रहालय की शोभा बढ़ा रहीं हैं.
औषधीय गुणों से भरपूर पौधे भी मौजूद : बौद्ध संग्रहालय में लगाए गए औषधीय और खुशबूदार फूल भी पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र होगा. बौद्ध संग्रहालय पाषाण काल से लेकर मध्यकाल तक की पुरातत्विक चीजों से पर्यटकों को ज्ञान कराएगा तो फूलदार पौधे, भव्य प्रवेश द्वार और यहां की लाइटिंग इसकी खूबसूरती में चार चांद लगा रहे हैं. खूबसूरती के साथ औषधीय पौधों को भी लगाया गया है. इसमें लौंग, इलायची, तेजपत्ता, रुद्राक्ष, आंवला, चंदन और गिलोय के पौधे शामिल हैं. विभिन्न प्रकार के खुशबूदार पौधे भी यहां अपनी सुगंध फैला रहे हैं. उपनिदेशक ने कहा कि विकास के केंद्र में पर्यटन स्थलों का विशेष महत्व होता है. गोरखपुर मौजूदा समय में पर्यटन का बड़ा केंद्र बन रहा है. बौद्ध संग्रहालय, रामगढ़ ताल और सर्किट हाउस के बगल में स्थापित है. जहां हजारों की संख्या में लोग घूमने-टहलने आते हैं. ऐसे में उन्हें यह स्थान कई तरह से लाभ पहुंचाएगा.