कुल्लू: हिमाचल प्रदेश के जिला कुल्लू में बीते दिनों मणिकर्ण घाटी की पार्वती नदी में दो अलग-अलग जगहों पर बादल फटने से चार बिजली हाइड्रो प्रोजेक्टों में उत्पादन ठप हो गया है. ऐसे में अब 6 दिन के बाद भी दो प्रोजेक्टों में बाढ़ से हुए नुकसान का आकलन नहीं हो पाया है. बाढ़ के कारण 100 मेगावाट का मलाणा-एक और 86 मेगावाट का मलाणा-दो शामिल है. इसके अलावा दो अन्य मिनी हाइड्रो प्रोजेक्ट शामिल हैं, जो चार और पांच मेगावाट के हैं. बाढ़ से इन सभी प्रोजेक्टों को करोड़ों का नुकसान हुआ है. चारों प्रोजेक्टों में करीब 195 मेगावाट की क्षमता है.
हाल ही में बादल फटने से मलाणा वन का बांध टूट गया है और जबकि दूसरा बांध गाद से भर गया है. उत्पादन ठप होने का असर प्रदेश के साथ-साथ बाहरी राज्यों को होने वाली बिजली सप्लाई पर पड़ेगा. ऐसे में अब बिजली परियोजना अधिकारियों को नुकसान का आकलन करना चुनौती बन गया है. सड़कों के साथ पैदल रास्तों की सुविधा नहीं होने से प्रशासन के साथ परियोजना अधिकारी नहीं पहुंच पा रहे हैं. बिजली उत्पादन ठप होने सरकार को भी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है. वही, बादल फटने से मलाणा दो परियोजना का उत्पादन एक साल आगे खिसक गया है.
बादल फटने से आई बाढ़ से तहस-नहस हुए मलाणा बिजली प्रोजेक्टों के नुकसान का आकलन नहीं हो सका है. अब मलाणा-एक के पावर हाउस और बांध तक जाने के लिए परियोजना प्रबंधक झूला पुल का इस्तेमाल कर यहां पहुंचने की कोशिश करेंगे.
परियोजना के डीजीएम रसिक ने कहा, "झूला पुल बनाकर अधिकारी और तकनीकी टीम को पहुंचाने की तैयारी की जा रही है. बादल फटने से कितना नुकसान हुआ है, इसका अभी तक आकलन नहीं हो पाया है".
बता दें कि जुलाई 2023 में भी मलाणा प्रोजेक्ट-दो का बांध ओवरफ्लो होने से इसके गेट बंद हो गए थे. इस कारण यहां उत्पादन नहीं हो पाया था. प्रशासन ने यहां एनडीआरएफ की तैनाती की थी. अब इस बार भी यहां भारी नुकसान की आशंका है.
"मलाणा दो का उत्पादन पिछले साल से बंद पड़ा है. अभी बाढ़ से और नुकसान पहुंचा है और उत्पादन एक साल और आगे खिसक गया है. अभी तक बिजली प्रोजेक्टों को हुए नुकसान का आकलन नहीं हो पाया है":- विकास शुक्ला, एसडीएम कुल्लू