शिमला: हिमाचल के जिला हमीरपुर के भोटा कस्बे में वर्ष 1999 में राधा स्वामी सत्संग ब्यास ने चैरिटेबल अस्पताल आरंभ किया था. शिमला-धर्मशाला-ऊना-मंडी रोड पर स्थित भोटा चौक के पास ये अस्पताल बनाया गया है. इस अस्पताल से हमीरपुर, बिलासपुर, मंडी, नादौन, ज्वालामुखी जैसे आसपास के कई इलाकों के लोगों को लाभ मिलता है. करीब 952 गांवों के 3 लाख लोगों के लिए भोटा चैरिटेबल अस्पताल सुविधा प्रदान करता है. अब राधा स्वामी सत्संग ब्यास का प्रबंधन चाहता है कि इस अस्पताल को उनकी ही एक सिस्टर ऑर्गेनाइजेशन महाराज जगत सिंह मेडिकल रिलीफ सोसायटी को ट्रांसफर कर दिया जाए.
ईटीवी भारत में पहले प्रकाशित खबरों में बताया जा चुका है कि राधा स्वामी सत्संग ब्यास को डेरा बाबा जैमल सिंह के नाम से भी जाना जाता है. बाबा जैमल सिंह जी ब्यास डेरा के पहले आचार्य अथवा गुरु महाराज थे. उनके नाम पर स्थापित डेरा ब्यास अथवा डेरा बाबा जैमल सिंह ब्यास प्रबंधन का तर्क है कि भोटा अस्पताल के लिए आधुनिक उपकरण खरीदने पर उन्हें जीएसटी चुकाना होता है. प्रबंधन चाहता है कि अस्पताल को महाराज जगत सिंह मेडिकल रिलीफ सोसायटी को ट्रांसफर किया जाए. ऐसा न होने पर डेरा प्रबंधन ने पहली दिसंबर से अस्पताल बंद करने का नोटिस दिया है. आखिर इस अस्पताल की उपयोगिता क्या है और कैसे स्थानीय जनता की स्वास्थ्य जरूरतें पूरी हो रही हैं, इस की पड़ताल जरूरी है.
विशेषज्ञ डॉक्टर्स की टीम सेवा भाव से करती है काम
राधा स्वामी सत्संग ब्यास की आधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक, डेरा ब्यास के भोटा चैरिटेबल अस्पताल में 10 विशेषज्ञ डॉक्टर्स की टीम है. यहां हर विभाग के विशेषज्ञ डॉक्टर्स मौजूद हैं. अस्पताल में 21 स्टाफ नर्स काम कर रही हैं. तकनीकी टीम में 16 लोगों का स्टाफ है. अस्पताल में डॉक्टर्स व पैरामेडिकल स्टाफ सहित कुल 129 लोगों की टीम है. यहां कुल 75 बिस्तरों की सुविधा है. ऑपरेशन भी यहां किए जाते हैं. प्री-ऑपरेटिव व पोस्ट ऑपरेटिव केयर का यहां समुचित प्रबंध है.
साल भर में 1.30 लाख की ओपीडी
भोटा चैरिटेबल अस्पताल करीब 44 एकड़ के डेरा ब्यास परिसर में स्थित है. यहां चौबीस घंटे फर्स्ट एड मिलती है. अस्पताल की सालाना ओपीडी 1.30 लाख की है. इसके अलावा साल भर में करीब 9500 मरीजों को अस्पताल में भर्ती कर इलाज किया जाता है. अस्पताल में एक्सरे, ईसीजी सहित अन्य सुविधाएं हैं. जनरल मेडिसिन, बाल रोग विशेषज्ञ भी यहां तैनात हैं. साल भर में यहां आंखों के डेढ़ हजार मेजर ऑपरेशन होते हैं. आंखों के ही छोटे ऑपरेशन साल भर में 1400 के करीब होते हैं. यहां दो वातानुकूलित ऑपरेशन थिएटर हैं. अस्पताल में ही दांतों के इलाज की सुविधा के साथ-साथ ब्लड बैंक भी है. चैरिटेबल अस्पताल के पास अपनी एंबुलेंस भी है.
क्या कहते हैं डीसी हमीरपुर
अस्पताल को बंद करने को लेकर जिला हमीरपुर के डीसी अमरजीत सिंह ने ईटीवी से फोन पर बातचीत में बताया कि स्थानीय लोगों का प्रतिनिधिमंडल उनसे मिला था. प्रतिनिधिमंडल को अवगत करवाया गया है कि मामला सरकार के ध्यान में है. जिला प्रशासन ने भी सारी वस्तुस्थिति से सरकार को अवगत करवाया है. सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू की तरफ से बयान आ चुका है कि अस्पताल को सोसायटी को ट्रांसफर करने के लिए जरूरी कानूनी कार्रवाई की जाएगी. इसके लिए विधानसभा के शीतकालीन सत्र में विधेयक लाया जाएगा. डीसी अमरजीत सिंह के अनुसार इस मामले में अब सारे फैसले राज्य सरकार को लेने हैं.
हमीरपुर में स्थानीय लोगों ने जताया विरोध
वहीं, भोटा चैरिटबल अस्पताल के बंद होने की खबर मिलने से लोग नाराज हैं. स्थानीय लोगों का कहना है कि सुक्खू सरकार को राधा स्वामी सत्संग ब्यास डेरा की मांग मान लेनी चाहिए. ताकि गरीब और असहाय लोगों को निशुल्क इलाज मिलता रहे. इस अस्पताल में सैंकड़ों गांवों के लाखों लोग निर्भर है.
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