लखनऊः उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद जल्द ही हाई स्कूल व इंटरमीडिएट की परीक्षा का परिणाम जारी कर सकता हैं. यूपी में 10वीं और 12वीं के करीब 56 लाख से अधिक छात्राएं अपने परीक्षा परिणाम का इंतजार कर रहे हैं. बता दें कि पिछले साल बोर्ड परीक्षा परिणाम 24 अप्रैल को जारी किया गया था. वहीं, इस बार बोर्ड परीक्षा का परिणाम रिकॉर्ड समय में जारी करने की तैयारी हो चुकी है. इसको लेकर बोर्ड के अधिकारियों का कहना है कि अगले एक-दो दिन में बोर्ड परीक्षा का परिणाम जारी हो सकता है.
ढाई महीने चलने वाली परीक्षा अब 15 दिन में
यूपी माध्यमिक शिक्षा परिषद से हर साल औसतन 50 लाख से अधिक विद्यार्थी परीक्षा देते हैं. इस बार 10वीं और 12वीं में 56 लाख से अधिक विद्यार्थी बोर्ड परीक्षा में शामिल हुए हैं. ये परीक्षाएं 9 फरवरी से शुरू हुई थीं. इस बार यूपी बोर्ड परीक्षाएं रिकॉर्ड 15 दिन में पूरा कर ली गई थी. जबकि उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन भी 12 दिन में पूरा कर लिया गया. बता दें कि यूपी बोर्ड के इतिहास में पहली बार इतने कम समय में बोर्ड परीक्षा आयोजित और उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन किया गया है.
वहीं, इसको लेकर लखनऊ के राजकीय जुबिली इंटर कॉलेज के पूर्व प्राचार्य धीरेंद्र मिश्रा ने बताया कि 2019 से पहले यूपी बोर्ड की परीक्षाएं ढाई से 3 महीने तक आयोजित की जाती थी. इसके बाद करीब एक महीने से अधिक समय तक मूल्यांकन कार्य होता था. इसके कारण यूपी बोर्ड का परिणाम जून महीने में जारी हो पता था. इससे कई बार बच्चों का परिणाम समय पर न जारी होने के कारण अच्छे विश्वविद्यालय, डिग्री कॉलेज, इंजीनियरिंग कॉलेज, व उच्च शिक्षा संस्थानों में प्रवेश लेने से वंचित रह जाते थे. इसका असर यूपी बोर्ड के छवि पर पड़ता था. अब बोर्ड ने इसे बदलने के लिए 2022-23 के बोर्ड परीक्षा से अपने पूरे पैटर्न में ही बदलाव कर दिया. अब ढाई महीने तक चलने वाली यूपी बोर्ड की परीक्षा को 15 दिन में आयोजित करने का रिकॉर्ड बनाया है.
केंद्र परीक्षा की संख्या दोगुनी की
यूपी बोर्ड के सचिव दिव्य कांत शुक्ला ने बताया कि पहले यूपी बोर्ड के मूल्यांकन पूरे प्रदेश में 100 से लेकर 125 मूल्यांकन केन्द्रों पर होता था. इसमें करीब 60 से 70 हजार शिक्षकों की ड्यूटी लगाई जाती थी. इसके कारण मूल्यांकन करीब 1 महीने तक होता था. वहीं, 2022-23 के बोर्ड परीक्षा से इसमें बदलाव किया गया है. केन्द्रों की संख्या को दोगुना करने के साथ ही परीक्षकों की संख्या भी दोगुनी कर दी गई, जिसके कारण जहां एक परीक्षा केंद्र पर औसतन 3 से 4 लाख कॉपियों का मूल्यांकन होता था, वह घटकर एक लाख के करीब हो गया. साथ ही शिक्षकों में एक लाख का उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन रिकॉर्ड समय में कराया जा रहा है.