नई दिल्ली/नोएडा: एक मई को अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस है. ऐसे में कंक्रीट के शहर को हाइटेक सिटी और औद्योगिक नगरी बनाने वाले देश के अनेक क्षेत्रों से आने वाले मजदूरों का हाल नोएडा में यह है कि वह सुबह अपने घरों से निकलकर लेबर चौराहे पर काम की तलाश में आ जाते हैं. यह हाल किसी एक दिन का नहीं, बल्कि प्रतिदिन नोएडा के विभिन्न लेबर चौक पर देखा जा सकता है. यहां सैकड़ों की संख्या में मजदूर काम की तलाश में दिन निकलने से पहले आ जाते हैं.
नोएडा जिसे औद्योगिक शहर कहा जाता है और इसका निर्माण भी औद्योगिक शहर के रूप में किया गया है. यहां आज भी मजदूरों के शुद्ध कोई नहीं ले रहा है. ईटीवी भारत की टीम जब लेबर चौक पर आए मजदूरों से बात की तो उन्होंने अपनी तमाम समस्याओं को सामने रखा. कोरोना काल से लेकर अब तक मजदूरों का कहना है कि प्रतिदिन संघर्ष किया जाता है. मजदूरी के हिसाब से दिहाड़ी नहीं मिलती है. वहीं, कुछ मजदूरों का यह भी कहना है कि काम करने वाले काम करवा लेते हैं और पैसे देने के नाम ठिकेदार घंटो अपने आगे पीछे घुमाता है, और पूरी दिहाड़ी भी नहीं देता है.
बिहार के भागलपुर के रहने वाले मोहम्मद मोइन का कहना है कि सरकारे आती है और चली जाती हैं, पर किसी भी सरकार द्वारा किसी भी मजदूर की उन्नति नहीं की गई. उन्होंने बताया कि सरकार द्वारा सामान के दाम बढ़ा दिए जाते हैं, पर आज तक किसी मजदूर की दिहाड़ी सरकारों द्वारा ना निर्धारित की गई गई है, जिसके चलते आज दिहाड़ी मजदूर अपने परिवार का मजबूरी में भरण पोषण करने को मजबूर हैं.
बता दें, यह किसी एक मजदूर का हाल नहीं है बल्कि हाइटेक सिटी नोएडा के सभी मजदूरों का यही हाल है. मजदूरों ने बताया कि हर साल मजदूर दिवस मनाया जाता है. लेकिन, मजदूरों को लेकर प्रशासन और सरकार कभी कोई उनके हित में घोषणा नहीं करती है.
- ये भी पढ़ें : अलीपुर डीएम ऑफिस के बाहर मजदूर संगठनों का प्रदर्शन, मुआवजे की रकम बढ़ाने और अवैध फैक्ट्रियों पर कार्रवाई की मांग
हाइटेक सिटी नोएडा में दिहाड़ी मजदूरी करने वाले मजदूरों का कहना है कि नोएडा शहर को एक औद्योगिक शहर कहा जाता है. यहां बनने वाली कंपनियों और ऊंची ऊंची इमारतें भी मजदूरों के दम पर बनी है. आज तक इमारत को खड़ा करने वाला मजदूर पहले जहां था, वही आज भी है. मजदूरों ने ईटीवी भारत से यह भी बताया कि नोएडा में लेबर विभाग भी बना हुआ है, पर लेबर विभाग आज तक मजदूरों का कोई रजिस्ट्रेशन नहीं किया है. उन्होंने आरोप लगाया कि रजिस्ट्रेशन के नाम पर पैसे भी मांगे जाते हैं. मजदूरों ने बताया कि सबसे बड़ा दुर्भाग्य यह है कि औद्योगिक शहर होने के बावजूद भी मजदूर काम के लिए भटकते रहते हैं.