कुरुक्षेत्र: किसान नेता गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने कुरुक्षेत्र जाट धर्मशाला में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर किसान आंदोलन में अपनी भागीदारी को लेकर स्थिति स्पष्ट की. दरअसल पिछले दिनों किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने कहा था कि एसकेएम और दूसरे किसान संगठनों से आंदोलन से पहले बातचीत की गई थी. गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा कि "मेरे पास दो लोग आए थे लेकिन इसके पहले आंदोलन की घोषणा हो चुकी थी. मैंने उन्हे कहा था कि की आप पहले डल्लेवाल से बातचीत कर आएं की वो मुझे साथ लेंगे या नहीं. उस मीटिंग के बाद मुझसे कभी कोई बात नही की गई".
आंदोलन के लिए शर्त रखी गयी थी: किसान नेता गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने बताया कि "किसान आंदोलन को लेकर शर्त रखी गयी थी कि राजनीतिक व्यक्ति का समर्थन नहीं लिया जाएगा. पिछले आंदोलन में भी कई नेता ऐसा थे जो चुनाव लड़ चुके हैं. ये शर्ते सिर्फ हमसे किनारा करने के लिए रखी गई. आंदोलन कर रहे किसान नेता हमारे लिए रास्ता खोलें हम उनके साथ हैं. हमारे पंजाब के नेता आंदोलन में भाग ले रहे हैं, हमारे कुछ लोगो को रबड़ की गोलियां भी लगी. लेकिन हमारे नेताओ को किसी कॉन्फ्रेंस में साथ भी नही लिया जा रहा. पिछले आंदोलन में 100 से अधिक मुकदमे मुझ पर दर्ज हुए. मुझे किसान नेता के नाते लोग जानते हैं न की राजनेता के लिहाज से".
साथ होकर लड़ाई लड़नी होगी: किसान नेता गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने बताया कि "मेरी सरवन सिंह से बात हुई थी कि आंदोलन को कैसे आगे बढ़ाया जाए. हमने उनसे कहा था कि एसकेएम और उनके संगठनों को साथ लेकर एक कमेटी बनाई जाए. सभी शर्तों को अलग कर किसानों की लड़ाई लड़ी जाए. मेरे पास दुबारा से कोई फोन या संदेश नही आया. कल भी आंदोलन लड़ रहे किसान नेताओं ने मीटिंग में यह बात रखी है की गुरनाम सिंह अपनी स्थिति स्पष्ट करें की क्या वो चुनाव लडेंगे. हम सभी किसान संगठनों को एक साथ होकर लड़ाई लड़नी होगी हम तभी लड़ाई जीत सकते हैं. हमें मांगो को लेकर एकसाथ आना होगा. जब तक मांगे न मानी जाए तब तक साथ लड़ाई लड़ें. आंदोलन में किसी को भी छोटा बड़ा न समझा जाए".
अपने तरीके से आंदोलन करते रहेंगे: किसान नेता गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने कहा कि "अगर सभी किसान संगठन साथ नहीं हो पाते हैं, हम तब भी अपने तरीके से आंदोलन लड़ते रहेंगे। सरकार किसानों को दबाने का काम न करे , किसान अपनी मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे हैं. पंजाब के किसान योद्धा हैं वो मेरे बिना भी दिल्ली पहुंच सकते है. मैं कोई खुदा नहीं हूं. सरसो की फसल मंडी में है लेकिन किसान को एमएसपी से कम दाम मिल रहा है. हमारी मांग है की भावांतर योजना से सरकार उसे पूरा करे, नहीं तो हमें कोई कड़ा फैसला लेना होगा".