लखनऊ: प्रदेश सरकार की खेल नीति और बालिका सशक्तिकरण की पहल रंग ला रही है. कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय (केजीबीवी) की तीन छात्राओं ने प्रदेश की विद्यालयी (अंडर-17) छात्रा फुटबॉल टीम में स्थान पाकर प्रदेश का गौरव बढ़ाया है. ये छात्राएं दिसंबर में जम्मू-कश्मीर में होने वाली राष्ट्रीय प्रतियोगिता में प्रदेश की टीम का प्रतिनिधित्व करेंगी, जो राज्य में बालिकाओं के खेलों में बढ़ते रुझान और सरकार की प्रयासों की सफलता की कहानी बयां कर रहा है.
सरकार के प्रयासों से प्रदेश में बालिकाओं को खेल के क्षेत्र में नई पहचान मिल रही है. सरकार की प्रभावी खेल नीति, 'एक केजीबीवी, एक खेल योजना' और बालिका सशक्तिकरण की पहल का उत्कृष्ट उदाहरण है. जब केजीबीवी की ये तीन छात्राएं प्रदेश की छात्रा फुटबॉल टीम में चयनित हो कर राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में भाग लेने जा रही हैं. इन छात्राओं का चयन जम्मू-कश्मीर में 6 से 10 दिसंबर 2024 तक आयोजित होने वाली अंडर-17 राष्ट्रीय फुटबॉल प्रतियोगिता के लिए हुआ है.
प्रदेश की 18 बालिकाओं का हुआ चयन: भारतीय विद्यालय खेल महासंघ द्वारा आयोजित इस प्रतियोगिता में प्रदेश भर से 18 बालिकाओं का चयन किया गया है, जो प्रदेश स्तरीय छात्रा टीम (अंडर-17) का हिस्सा हैं. इनमें केजीबीवी मलिहाबाद (लखनऊ) की तीन छात्राएं शामिल हैं. जम्मू में आयोजित होने वाली 68वीं राष्ट्रीय विद्यालयी फुटबॉल (अंडर-17) छात्रा प्रतियोगिता के लिए प्रयागराज से 07, बुलंदशहर से 03, मेरठ से 02, लखनऊ केजीबीवी मलिहाबाद से 03, अलीगढ़, मुरादाबाद और एटा से एक-एक छात्राओं का चयन हुआ है.
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बालिकाओं के लिए नया अवसर: महानिदेशक स्कूल, कंचन वर्मा ने बताया कि लखनऊ के मलिहाबाद स्थित केजीबीवी की कक्षा 8 की छात्राएं मानसी, मीनाक्षी और प्रियंका ने अपनी कड़ी मेहनत और प्रतिभा से यह मुकाम हासिल किया है. यह केवल उनकी व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं, बल्कि प्रदेश में बालिकाओं के खेलों में सक्रिय भागीदारी का प्रतीक है. इन छात्राओं ने यह साबित किया है कि सरकार की योजनाएं जमीनी स्तर पर असर दिखा रही हैं.
खेल नीति का दिख रहा सकारात्मक प्रभाव: बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री संदीप सिंह का कहना है कि प्रदेश सरकार ने बालिकाओं को खेलों के प्रति प्रोत्साहित करने के लिए कई कदम उठाए हैं. खेल और शिक्षा को समान महत्व देते हुए सरकार ने बालिकाओं को शारीरिक, मानसिक और सामाजिक रूप से सशक्त बनाने के लिए खेल प्रशिक्षण और प्रतियोगिताओं में भागीदारी बढ़ाने का काम किया है. कस्तूरबा विद्यालय की इन छात्राओं की सफलता इस नीति की प्रभावशीलता का प्रमाण है.
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