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करवा चौथ पर ऐसे करेंगी पूजा तो मिलेगा अखंड सौभाग्य का वरदान, जानें पूजा का शुभ मुहूर्त और सही विधि विधान - KARWA CHAUTH SPECIAL 2024

करवा चौथ के दिन व्रत रखते समय खास बातों का ख्याल रखना जरुरी है. ऐसे में महिलाएं समय पर पूजा करें

karwa chauth special 2024
karwa chauth special 2024 (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Haryana Team

Published : Oct 14, 2024, 2:20 PM IST

कुरुक्षेत्र: नवरात्रि के शुभ पर्व के साथ इस साल फेस्टिवल की शुरुआत हो चुकी है. नवरात्रि के बाद दशहरा और अब महिलाओं के लिए अखंड सौभाग्य का वरदान लेकर करवा चौथ भी नजदीक आ गया है. हिंदू पंचाग के अनुसार अश्विन महीना चल रहा है और सनातन धर्म के लोगों के लिए कई प्रमुख व्रत व त्यौहार इस महीने आते हैं. सुहागिन महिलाओं और कुंवारी कन्याओं के लिए सबसे बड़ा व्रत करवा चौथ कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष में आने वाली चतुर्थी को मनाया जाता है. इस बार करवाचौथ 20 अक्टूबर, रविवार को मनाया जाएगा.

20 अक्टूबर को करवा चौथ: अश्विन महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी का प्रारंभ 20 अक्टूबर को सुबह 6.40 से होगा, जबकि इसका समापन 21 अक्टूबर को सुबह 4.16 पर होगा. इसलिए करवा चौथ का व्रत 20 अक्टूबर के दिन ही रखा जाएगा. यह व्रत विवाहित महिलाएं अपनी पति की लंबी आयु और उनके अच्छे स्वास्थ्य के लिए रखती हैं. जिनको निर्जला व्रत के तौर पर रखा जाता है. रात के समय चंद्रमा के उदय होने के बाद चंद्र देवता के दर्शन करने के उपरांत ही व्रत का पारण किया जाता है. इस व्रत को करवा चौथ के नाम से जाना जाता है, क्योंकि इस व्रत के दिन विशेष तौर पर माता करवा की पूजा-अर्चना की जाती है. चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद पति के हाथों से पानी पीकर विवाहिताएं अपना व्रत पारण करती हैं.

विदेश में भी मनाया जाता है करवा चौथ: पंडित श्रद्धानंद मिश्रा ने बताया कि सनातन धर्म ही नहीं दूसरे धर्म भी इस व्रत को मानते हैं. इस दिन विशेष तौर पर महिलाएं सोलह सिंगार करती हैं और उसके साथ-साथ हाथों में मेहंदी लगाती हैं. भारत ही नहीं विदेश में भी करवा चौथ के व्रत को विवाहित महिलाओं द्वारा रखा जाता है और इस व्रत की तैयारी वह काफी दिन पहले ही शुरू कर देती है. जिसमें वह अपने लिए अच्छे-अच्छे वस्त्र आभूषण सिंगार का समान इत्यादि लेती हैं. महिला की जब शादी होती है, वह ओढ़नी में अपने पति के साथ फेरे लेती हैं. पूजा के दौरान वह उस ओढ़नी को ही अपने सर पर ओढ़ती है. या फिर विवाहित महिलाएं इस दिन लाल रंग की चुन्नी या वस्त्र पहनती हैं.

श्रृंगार के बाद होगी पूजा: पंडित श्रद्धानंद मिश्रा ने बताया कि जो महिलाएं व्रत रख रही हैं, वह सोलह सिंगार कनरे के बाद ही माता करवा की पूजा-अर्चना करें. जिसे माता करवा उनको अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद देती हैं. इसके बाद व्रत कथा करें. करवा चौथ के व्रत के दिन चंद्र दर्शन करने के बाद आरती उतारें और पूजा करें. चांद को अर्घ्य दें और फिर अपने पति के हाथों से पानी पीकर व्रत का पारण करें.

भूलकर भी न करे ये गलतियां: करवा चौथ के दिन व्रत करने के दौरान महिलाएं कई प्रकार की गलती कर देती हैं. ऐसे में ऐसी कोई भी गलती ना करें जिसे उनका व्रत खंडित हो जाए. व्रत के दिन महिलाएं सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और उसे मुहूर्त में ही सरगी खाएं. जब महिलाएं पूजा के लिए सोलह सिंगार करती हैं, उसमें अगर कोई भी सोलह सिंगार की वस्तु बच जाती है. तो उसको इधर-उधर ना फेंक कर पवित्र नदी में प्रवाहित करें.

इस दिन जरुर बरतें सावधानी: करवा चौथ के दिन अपने पति के साथ बिल्कुल भी झगड़ा या बहस ना करें और किसी अन्य व्यक्ति को भी अप शब्द ना कहें. किसी नुकीली चीज का भी इस्तेमाल करने से बचाव करें. करवा चौथ के व्रत के पारण के बाद सादा भोजन ग्रहण करें. तामसिक भोजन न करें. करवा चौथ के दिन महिलाओं को अपने वस्त्र पहनते हुए भी विशेष सावधानी रखनी चाहिए. वह सफेद और काले रंग के वस्त्र भूल कर भी ना डालें. यह अच्छा नहीं माना जाता.

ऐसे करें थाली की सजावट: करवा चौथ के व्रत के दिन महिलाएं विशेष तौर पर अपनी थाली की सजावट करते हैं और उसको तैयार करती हैं. उसमें कुछ ऐसी वस्तुएं होती हैं, जिसको वह व्रत के दौरान इस्तेमाल करती हैं. सबसे पहले अपनी करवा चौथ की थाली का चयन करके उसमें मिट्टी या फिर आटे से बना हुआ दीपक रखें और दीपक में रूई की बाती रखें. उसमें जो आपने करवा लिया है, उसको रखे वह मिट्टी या किसी अन्य धातु का भी हो सकता है. करवा के साथ-साथ उसमें पानी का एक कलश भी रखें. जो भगवान चंद्रमा देव को अर्घ्य देने के लिए होता है. अपनी थाली में एक छलनी भी रखें. जिससे चंद्र देवता के दर्शन करते हैं और उसके बाद पति देव के दर्शन किए जाते हैं.

बुजुर्ग महिला से सुने व्रत कथा: हिंदू पंचांग के अनुसार करवा चौथ के व्रत के दिन चंद्रमा उदय 7:54 पर होगा और इस दौरान रोहिणी नक्षत्र रहेगा, जो काफी शुभ माना जा रहा है. इस दौरान जो भी महिला अपने व्रत का पारण करेगी, उसको अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होगी. वहीं, करवा चौथ की पूजा करने का शुभ मुहूर्त का समय शाम के 5: 46 बजे से 7:02 तक रहेगा. इस दिन करवा माता चंद्र देवता के साथ-साथ माता पार्वती महादेव और गणेश की भी पूजा अर्चना की जाती है. इस समय के दौरान महिलाएं किसी बुजुर्ग महिला से माता करवा की कथा सुनती है. स्थान पर बैठ जाती है और अपनी ओढ़नी के एक कोने में चावल बांधे और उसको चंद्रमा देवता को अर्घ्य देने के समय प्रयोग करें. उसमें थाली में देसी घी का दीपक जलाएं और जी बुजुर्ग महिला से कहानी सुनते हैं. उसके लिए दक्षिण के रूप में अनाज रखें, जो कथा सुनने के बाद उसको दें और उसका पैर छूकर आशीर्वाद भी लें.

मंत्र उच्चारण व शुभ मुहूर्त: ॐ गणेशाय नमः' 'ॐ सोमाय नमः'

'मम सुख सौभाग्य पुत्र-पौत्रादि सुस्थिर श्री प्राप्तये करक चतुर्थी व्रतमहं करिष्ये।'

'नमस्त्यै शिवायै शर्वाण्यै सौभाग्यं संतति शुभा। प्रयच्छ भक्तियुक्तानां नारीणां हरवल्लभे।'

ब्रह्म मुहूर्त सुबह 4:44 से 05:35 तक है. अभिजीत मुहूर्त सुबह 11:43 से 12:28 दोपहर तक है. गोधूलि मुहूर्त शाम को 05:46 प से 06:11 तक है. निशिता मुहूर्त रात 11:41 से 12:31 बजे तक है.

पति को छलनी से देखना क्यों जरुरी: करवा चौथ के व्रत के दिन विवाहित महिलाएं छलनी से अपने पति और चंद्र देवता के दर्शन करती हैं. इसका मुख्य कारण यह माना जाता है कि छलनी में हजारों छेद होते हैं और उन छेद में से चंद्र देवता के दर्शन करते हैं. जिसमें उसके हजारों प्रतिबिंब दिखाई देते हैं और उसके बाद पति को देखा जाता है. ऐसा माना जाता है कि जितने छेद उसमें होते हैं. ज्यादा पति की आयु लंबी होती है और इसलिए ही करवा चौथ के व्रत में छलनी से चंद्रमा दर्शन करने उपरांत पतिदेव के दर्शन करना सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है. यह इस प्रक्रिया के बिना अधूरा व्रत माना जाता है.

ये भी पढ़ें: जानें, कब है करवा चौथ व्रत, पूजन विधि और शुभ मुहूर्त - Karwa Chauth 2024

ये भी पढ़ें:अक्टूबर में व्रत-त्योहारों की महीने भर धूम, जानें कब है नवरात्रि, करवा चौथ और दीपावली - October Vrat Tyohar

कुरुक्षेत्र: नवरात्रि के शुभ पर्व के साथ इस साल फेस्टिवल की शुरुआत हो चुकी है. नवरात्रि के बाद दशहरा और अब महिलाओं के लिए अखंड सौभाग्य का वरदान लेकर करवा चौथ भी नजदीक आ गया है. हिंदू पंचाग के अनुसार अश्विन महीना चल रहा है और सनातन धर्म के लोगों के लिए कई प्रमुख व्रत व त्यौहार इस महीने आते हैं. सुहागिन महिलाओं और कुंवारी कन्याओं के लिए सबसे बड़ा व्रत करवा चौथ कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष में आने वाली चतुर्थी को मनाया जाता है. इस बार करवाचौथ 20 अक्टूबर, रविवार को मनाया जाएगा.

20 अक्टूबर को करवा चौथ: अश्विन महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी का प्रारंभ 20 अक्टूबर को सुबह 6.40 से होगा, जबकि इसका समापन 21 अक्टूबर को सुबह 4.16 पर होगा. इसलिए करवा चौथ का व्रत 20 अक्टूबर के दिन ही रखा जाएगा. यह व्रत विवाहित महिलाएं अपनी पति की लंबी आयु और उनके अच्छे स्वास्थ्य के लिए रखती हैं. जिनको निर्जला व्रत के तौर पर रखा जाता है. रात के समय चंद्रमा के उदय होने के बाद चंद्र देवता के दर्शन करने के उपरांत ही व्रत का पारण किया जाता है. इस व्रत को करवा चौथ के नाम से जाना जाता है, क्योंकि इस व्रत के दिन विशेष तौर पर माता करवा की पूजा-अर्चना की जाती है. चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद पति के हाथों से पानी पीकर विवाहिताएं अपना व्रत पारण करती हैं.

विदेश में भी मनाया जाता है करवा चौथ: पंडित श्रद्धानंद मिश्रा ने बताया कि सनातन धर्म ही नहीं दूसरे धर्म भी इस व्रत को मानते हैं. इस दिन विशेष तौर पर महिलाएं सोलह सिंगार करती हैं और उसके साथ-साथ हाथों में मेहंदी लगाती हैं. भारत ही नहीं विदेश में भी करवा चौथ के व्रत को विवाहित महिलाओं द्वारा रखा जाता है और इस व्रत की तैयारी वह काफी दिन पहले ही शुरू कर देती है. जिसमें वह अपने लिए अच्छे-अच्छे वस्त्र आभूषण सिंगार का समान इत्यादि लेती हैं. महिला की जब शादी होती है, वह ओढ़नी में अपने पति के साथ फेरे लेती हैं. पूजा के दौरान वह उस ओढ़नी को ही अपने सर पर ओढ़ती है. या फिर विवाहित महिलाएं इस दिन लाल रंग की चुन्नी या वस्त्र पहनती हैं.

श्रृंगार के बाद होगी पूजा: पंडित श्रद्धानंद मिश्रा ने बताया कि जो महिलाएं व्रत रख रही हैं, वह सोलह सिंगार कनरे के बाद ही माता करवा की पूजा-अर्चना करें. जिसे माता करवा उनको अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद देती हैं. इसके बाद व्रत कथा करें. करवा चौथ के व्रत के दिन चंद्र दर्शन करने के बाद आरती उतारें और पूजा करें. चांद को अर्घ्य दें और फिर अपने पति के हाथों से पानी पीकर व्रत का पारण करें.

भूलकर भी न करे ये गलतियां: करवा चौथ के दिन व्रत करने के दौरान महिलाएं कई प्रकार की गलती कर देती हैं. ऐसे में ऐसी कोई भी गलती ना करें जिसे उनका व्रत खंडित हो जाए. व्रत के दिन महिलाएं सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और उसे मुहूर्त में ही सरगी खाएं. जब महिलाएं पूजा के लिए सोलह सिंगार करती हैं, उसमें अगर कोई भी सोलह सिंगार की वस्तु बच जाती है. तो उसको इधर-उधर ना फेंक कर पवित्र नदी में प्रवाहित करें.

इस दिन जरुर बरतें सावधानी: करवा चौथ के दिन अपने पति के साथ बिल्कुल भी झगड़ा या बहस ना करें और किसी अन्य व्यक्ति को भी अप शब्द ना कहें. किसी नुकीली चीज का भी इस्तेमाल करने से बचाव करें. करवा चौथ के व्रत के पारण के बाद सादा भोजन ग्रहण करें. तामसिक भोजन न करें. करवा चौथ के दिन महिलाओं को अपने वस्त्र पहनते हुए भी विशेष सावधानी रखनी चाहिए. वह सफेद और काले रंग के वस्त्र भूल कर भी ना डालें. यह अच्छा नहीं माना जाता.

ऐसे करें थाली की सजावट: करवा चौथ के व्रत के दिन महिलाएं विशेष तौर पर अपनी थाली की सजावट करते हैं और उसको तैयार करती हैं. उसमें कुछ ऐसी वस्तुएं होती हैं, जिसको वह व्रत के दौरान इस्तेमाल करती हैं. सबसे पहले अपनी करवा चौथ की थाली का चयन करके उसमें मिट्टी या फिर आटे से बना हुआ दीपक रखें और दीपक में रूई की बाती रखें. उसमें जो आपने करवा लिया है, उसको रखे वह मिट्टी या किसी अन्य धातु का भी हो सकता है. करवा के साथ-साथ उसमें पानी का एक कलश भी रखें. जो भगवान चंद्रमा देव को अर्घ्य देने के लिए होता है. अपनी थाली में एक छलनी भी रखें. जिससे चंद्र देवता के दर्शन करते हैं और उसके बाद पति देव के दर्शन किए जाते हैं.

बुजुर्ग महिला से सुने व्रत कथा: हिंदू पंचांग के अनुसार करवा चौथ के व्रत के दिन चंद्रमा उदय 7:54 पर होगा और इस दौरान रोहिणी नक्षत्र रहेगा, जो काफी शुभ माना जा रहा है. इस दौरान जो भी महिला अपने व्रत का पारण करेगी, उसको अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होगी. वहीं, करवा चौथ की पूजा करने का शुभ मुहूर्त का समय शाम के 5: 46 बजे से 7:02 तक रहेगा. इस दिन करवा माता चंद्र देवता के साथ-साथ माता पार्वती महादेव और गणेश की भी पूजा अर्चना की जाती है. इस समय के दौरान महिलाएं किसी बुजुर्ग महिला से माता करवा की कथा सुनती है. स्थान पर बैठ जाती है और अपनी ओढ़नी के एक कोने में चावल बांधे और उसको चंद्रमा देवता को अर्घ्य देने के समय प्रयोग करें. उसमें थाली में देसी घी का दीपक जलाएं और जी बुजुर्ग महिला से कहानी सुनते हैं. उसके लिए दक्षिण के रूप में अनाज रखें, जो कथा सुनने के बाद उसको दें और उसका पैर छूकर आशीर्वाद भी लें.

मंत्र उच्चारण व शुभ मुहूर्त: ॐ गणेशाय नमः' 'ॐ सोमाय नमः'

'मम सुख सौभाग्य पुत्र-पौत्रादि सुस्थिर श्री प्राप्तये करक चतुर्थी व्रतमहं करिष्ये।'

'नमस्त्यै शिवायै शर्वाण्यै सौभाग्यं संतति शुभा। प्रयच्छ भक्तियुक्तानां नारीणां हरवल्लभे।'

ब्रह्म मुहूर्त सुबह 4:44 से 05:35 तक है. अभिजीत मुहूर्त सुबह 11:43 से 12:28 दोपहर तक है. गोधूलि मुहूर्त शाम को 05:46 प से 06:11 तक है. निशिता मुहूर्त रात 11:41 से 12:31 बजे तक है.

पति को छलनी से देखना क्यों जरुरी: करवा चौथ के व्रत के दिन विवाहित महिलाएं छलनी से अपने पति और चंद्र देवता के दर्शन करती हैं. इसका मुख्य कारण यह माना जाता है कि छलनी में हजारों छेद होते हैं और उन छेद में से चंद्र देवता के दर्शन करते हैं. जिसमें उसके हजारों प्रतिबिंब दिखाई देते हैं और उसके बाद पति को देखा जाता है. ऐसा माना जाता है कि जितने छेद उसमें होते हैं. ज्यादा पति की आयु लंबी होती है और इसलिए ही करवा चौथ के व्रत में छलनी से चंद्रमा दर्शन करने उपरांत पतिदेव के दर्शन करना सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है. यह इस प्रक्रिया के बिना अधूरा व्रत माना जाता है.

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