करनाल: हर महीने सफाई व्यवस्था के पर करोड़ों रुपए खर्च करने के बावजूद करनाल शहर स्वच्छता रैंकिंग में फिसड्डी साबित हो रहा है. स्वच्छ सर्वेक्षण 2023 में करनाल का रैंक गिर कर 115वें स्थान पर आ गया है. सर्वेक्षण में करनाल को 9500 में से 5735 अंक मिले है. कचरा प्रबंधन और पब्लिक टॉयलेट की सफाई में भी खराब प्रदर्शन रहा है.
100 शहरों की सूची से करनाल बाहर: देश के साफ-सुथरे शहरों में शामिल होने का करनाल शहर का सपना टूट गया है. स्वच्छ सर्वेक्षण 2023 में करनाल की रैंकिंग इतनी खराब रही कि स्मार्ट सिटी करनाल देश के 100 शहरों की सूची से भी बाहर हो गया. प्रदेश सरकार शहरों और गांवों की सफाई व्यवस्था पर करोड़ों रुपए खर्च कर रही है. करनाल शहर की सफाई व्यवस्था पर प्रतिमाह करोड़ों में खर्च की जाती है. इसके अलावा सरकार की तरफ नगर निगम को सभी तरह से छोटे बड़े वाहन और सफाई के लिए साजो सामान भी दिया है. बावजूद इसके करनाल नगर निगम शहर को स्वच्छ बनाने में कामयाब नहीं हुई. शहर के लोगों और दुकानदारों ने नगर निगम पर सवाल उठाए हैं. दुकानदारों का कहना है कि बाजारों में बने शौचालय साफ नहीं किए जाते, इनमें गंदगी की भरमार है.
स्वच्छता रैंक निराशाजनक- नगर निगम कमिश्नर: नगर निगम कमिश्नर अभिषेक मीणा ने भी करनाल शहर को मिले स्वच्छता रैंक को निराशाजनक बताया. उन्होंने कहा कि सर्वेक्षण में करनाल को कचरा प्रबंधन और सार्वजनिक शौचालय के रखरखाव में बहुत कम अंक मिले जिस वजह से रैंकिंग गिरी. अभिषेक मीणा ने कहा कि सफाई की जिम्मेदारी सुगम स्वच्छता कंपनी को दिया गया था, करीब 6 महीने तक कंपनी ने कूड़ा प्रोसेस के उपकरण लगाती रही, जिस वजह से कचरे के ढेर लगे. अब कूड़े की प्रोसेसिंग शुरू हो गई है.
सही तरीके से नहीं हो रहा कूड़े का सेग्रीगेशन: स्थानीय लोगों का कहना है कि शहर से उठाए जा रहे कूड़े का सेग्रीगेशन भी नहीं हो रहा. लोगों से गीला और सुखा कचरा अलग अलग लिया जाता है, लेकिन कंपनी दोनों तरह के कचरे को मिला कर डंप कर रही है जिस वजह से सेगरिगेश नही हो रहा. ऐसे में शहर में गीला और सूखा कचरा इकट्ठा करने का दावा खोखला साबित हुआ. कमिश्नर अभिषेक मीणा ने कहा कि शहर में साफ-सफाई की कमी सामने आई है इसमें सुधार किया जाएगा. सफाई कंपनी को शहर स्वच्छ करने के निर्देश दिए गए हैं. शहर में कूड़े के उठान के लिए 100 वाहन चलाए जा रहे हैं.
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