कोटद्वार: आगामी 8 मार्च को महाशिवरात्रि का पर्व है. फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को शिवरात्रि मनाया जाता है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव और पार्वती का विवाह हुआ था. महाशिवरात्रि को भक्त बेहद खास तरीके से मनाते हैं. इस दिन भक्त जलाभिषेक कर व्रत रखते हैं. इसी कड़ी में भगवान शिव को जलाभिषेक करने के लिए भक्त गंगाजल लेने के लिए हरिद्वार पहुंच रहे हैं. जहां से भक्त हरकी पैड़ी से कांवड़ में पवित्र गंगा जल भर अपने-अपने गंतव्यों की ओर रवाना हो रहे हैं.
कोटद्वार के पंडित अनीश खंतवाल बताते हैं कि शास्त्रों में फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली चतुर्दशी तिथि को शिवरात्रि पर्व मनाने का विधान है. इस दिन भगवान शिव की अराधना करने पर मनोकामनाएं पूरी होती है. शिवरात्रि से पहले भोलेनाथ के भक्त हरिद्वार से गंगा जल भर लेकर कोटद्वार-कालागढ़-रामनगर मार्ग से कुमाऊं की ओर जा रहे हैं. जिस वजह से कोटद्वार शहर कांवड़ियों के रंग में रंग गया है.
कांवड़ियों के पग पड़ने से हर तरफ माहौल भक्तिमय हो रखा है. कांवड़ियों ने बताया कि बीती रोज वो हरिद्वार के हरकी पैड़ी से गंगा जल भर कर निकले. रात में कोटद्वार के गूलर झाला सिद्ध धाम में विश्राम किया. हरिद्वार से लालढांग होते हुए भिकियासैंण अपने गांव 7 मार्च को पहुंच जाएंगे. वहीं, कांवड़ियों के दल में शामिल 14 वर्षीय रोहित ने बताया वो पहली बार शिवरात्रि की कांवड़ लेकर निकला है. शिव भक्ति में आनंद आ रहा है.
पैदल ही नंगे पांव गंगाजल लेकर निकले कांवड़िए: वहीं, पैदल ही नंगे पांव चल रहे भोले के भक्तों के चेहरे अलग ही चमक रहे थे. उनके चेहरे पर थकान का नामोनिशान दिखाई नहीं दे रहा था. शिव मां पार्वती के भक्त सुदामा ने बताया कि वो हर साल शिवरात्रि की कांवड़ लेकर चलते हैं. भारी बारिश में भी कांवड़ का दल अपने-अपने गंतव्यों की ओर जाते दिखा.
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