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कानपुर लोकसभा सीट के लिए महाना और पचौरी की जंग में बाजी मारेगा तीसरा, जानिए कौन

कानपुर में भाजपा को अपनों से ही सियासी घमासान का सामना करना पड़ सकता है. दरअसल कानपुर लोकसभा सीट के दावेदारों में कई कद्दावर और नामचीन जनप्रतिनिधि शामिल हैं. ऐसे में भाजपा के लिए कानपुर लोकसभा सीट पर उम्मीदवार घोषित करना चुनौती साबित होगा. Kanpur Politics

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Feb 13, 2024, 10:29 PM IST

लखनऊ : कानपुर लोकसभा सीट पर विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना और सत्य देव पचौरी के बीच सियासी जंग में अब कोई तीसरा मैदान मार सकता है. महापौर चुनाव में दोनों पक्ष अपने-अपने प्रत्याशी को चुनाव लड़ने के लिए प्रयासरत थे. झगड़ा इतना बढ़ा कि पार्टी ने यहां टिकट में कोई बदलाव नहीं किया और एक बार फिर से पूर्व महापौर को ही टिकट दे दिया. कुछ इसी अंदाज में इस बार भी दोनों पक्षों को किनारे करके भारतीय जनता पार्टी नए चेहरे को ला सकती है. कानपुर से उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक और लोक गायिका मालिनी अवस्थी के नाम फिलहाल चर्चा में हैं.

सत्यदेव पचौरी.
सत्यदेव पचौरी.

कानपुर लोकसभा सीट 2014 और 2019 दोनों बार भारतीय जनता पार्टी के ही कब्जे में रही है. वर्ष 2014 में इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी के कद्दावर नेता मुरली मनोहर जोशी काबिज हुए थे. जबकि 2019 में सीट पर भाजपा के कानपुर में वरिष्ठ नेता सत्यदेव पचौरी ने जीत हासिल की थी. यहां जबसे सत्यदेव पचौरी ने जीत हासिल की है विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना और सत्यदेव पचौरी के गुट में खींचतान जारी है. पिछले वर्ष हुए स्थानीय निकाय के चुनाव में कानपुर के महापौर पद पर अपनी पुत्री को चुनाव लड़ना चाहते थे. वहीं सतीश महाना के पास अपनी एक प्रत्याशी थीं. दोनों पक्ष अपने-अपने उम्मीदवार को लेकर अड़े हुए थे. नतीजा यह हुआ की पार्टी को यहां से तीसरे उम्मीदवार यानी वर्तमान महापौर को ही चुनाव में उतरना पड़ा. कुछ ऐसे ही हालात एक बार फिर से बना रहे हैं.

मालिनी अवस्थी.
मालिनी अवस्थी.

सतीश महाना भी लड़ना चाहते हैं लोकसभा चुनाव : भाजपा के उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना भी कानपुर से चुनाव लड़ने के इच्छुक हैं. वह चाहते हैं कि कानपुर से लोकसभा चुनाव लड़कर हुए केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल हो सकें, क्योंकि एक बार यूपी विधानसभा का अध्यक्ष होने के बाद उनके प्रदेश में राजनीतिक विकास के रास्ते लगभग बंद हो जाएंगे. ऐसे में केंद्र की राजनीति उनके लिए अगला विकल्प होगी.

दो नए दावेदार भी सामने : ब्राह्मण बहुल लोकसभा क्षेत्र कानपुर में भारतीय जनता पार्टी उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक पर भी दांव खेल सकती है. ब्रजेश पाठक भारतीय जनता पार्टी का ब्राह्मण चेहरा बन चुके हैं. कानपुर के पड़ोसी जिले उन्नाव सीट से पूर्व में हुए लोकसभा सांसद भी रह चुके हैं. इस तरह से ब्रजेश पाठक की दावेदारी को भी मजबूत माना जा रहा है.

यह भी पढ़ें : बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष बोले, किसानों के साथ है सरकार

यह भी पढ़ें : एक ही पार्क का भाजपा के पार्षद और विधायक ने किया शिलान्यास

लखनऊ : कानपुर लोकसभा सीट पर विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना और सत्य देव पचौरी के बीच सियासी जंग में अब कोई तीसरा मैदान मार सकता है. महापौर चुनाव में दोनों पक्ष अपने-अपने प्रत्याशी को चुनाव लड़ने के लिए प्रयासरत थे. झगड़ा इतना बढ़ा कि पार्टी ने यहां टिकट में कोई बदलाव नहीं किया और एक बार फिर से पूर्व महापौर को ही टिकट दे दिया. कुछ इसी अंदाज में इस बार भी दोनों पक्षों को किनारे करके भारतीय जनता पार्टी नए चेहरे को ला सकती है. कानपुर से उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक और लोक गायिका मालिनी अवस्थी के नाम फिलहाल चर्चा में हैं.

सत्यदेव पचौरी.
सत्यदेव पचौरी.

कानपुर लोकसभा सीट 2014 और 2019 दोनों बार भारतीय जनता पार्टी के ही कब्जे में रही है. वर्ष 2014 में इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी के कद्दावर नेता मुरली मनोहर जोशी काबिज हुए थे. जबकि 2019 में सीट पर भाजपा के कानपुर में वरिष्ठ नेता सत्यदेव पचौरी ने जीत हासिल की थी. यहां जबसे सत्यदेव पचौरी ने जीत हासिल की है विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना और सत्यदेव पचौरी के गुट में खींचतान जारी है. पिछले वर्ष हुए स्थानीय निकाय के चुनाव में कानपुर के महापौर पद पर अपनी पुत्री को चुनाव लड़ना चाहते थे. वहीं सतीश महाना के पास अपनी एक प्रत्याशी थीं. दोनों पक्ष अपने-अपने उम्मीदवार को लेकर अड़े हुए थे. नतीजा यह हुआ की पार्टी को यहां से तीसरे उम्मीदवार यानी वर्तमान महापौर को ही चुनाव में उतरना पड़ा. कुछ ऐसे ही हालात एक बार फिर से बना रहे हैं.

मालिनी अवस्थी.
मालिनी अवस्थी.

सतीश महाना भी लड़ना चाहते हैं लोकसभा चुनाव : भाजपा के उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना भी कानपुर से चुनाव लड़ने के इच्छुक हैं. वह चाहते हैं कि कानपुर से लोकसभा चुनाव लड़कर हुए केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल हो सकें, क्योंकि एक बार यूपी विधानसभा का अध्यक्ष होने के बाद उनके प्रदेश में राजनीतिक विकास के रास्ते लगभग बंद हो जाएंगे. ऐसे में केंद्र की राजनीति उनके लिए अगला विकल्प होगी.

दो नए दावेदार भी सामने : ब्राह्मण बहुल लोकसभा क्षेत्र कानपुर में भारतीय जनता पार्टी उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक पर भी दांव खेल सकती है. ब्रजेश पाठक भारतीय जनता पार्टी का ब्राह्मण चेहरा बन चुके हैं. कानपुर के पड़ोसी जिले उन्नाव सीट से पूर्व में हुए लोकसभा सांसद भी रह चुके हैं. इस तरह से ब्रजेश पाठक की दावेदारी को भी मजबूत माना जा रहा है.

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