कानपुर : अभी तक भले ही आप घर बैठे अपने मनपसंद रेस्टोरेंट और होटल का खाना मंगाते रहे हैं. लेकिन, अब आपको जेल के कैदियों के हाथों की बनी रोटी-सब्जी, समोसे, रसगुल्ले, ब्रेड पकौड़े का लुत्फ उठाने का मौका मिलेगा. जी हां, कानपुर जेल के बाहर करीब डेढ़ माह पहले जो कैंटीन खोली गई थी, उससे अब ई-कॉमर्स कंपनियां जुड़ गईं हैं और जल्द ही शहरवासी घर बैठे इन कंपनियों की मदद से जेल में बना खाना अपने पास मंगा सकेंगे.
दरअसल, कैदियों का मन बदलने के लिए डीएम कानपुर रहे विशाख जी (वर्तमान में डीएम अलीगढ़) ने क्रिटिकल गैप फंड से जेल के बाहर एक ऐसी कैंटीन का संचालन शुरू करा दिया था, जिसका पूरा जिम्मा कैदियों को दिया गया था. यहां कैदी ही चाय-कॉफी के साथ तरह-तरह के व्यंजन बना रहे हैं और लोग उसका स्वाद ले रहे हैं. हालांकि, इस दिशा में कदम बढ़ाते हुए वर्तमान के जेल अधीक्षक ने कैदियों के लिए नई पहल शुरू की है. इस क्रम में ई-कॉमर्स कंपनियों को सीधे कैंटीन से जोड़ा गया है.
महीनेभर में बिके लाखों रुपये के समोसे, रसगुल्ला व ब्रेड पकौड़ा : जेल अधीक्षक डाॅ. बीडी पांडेय के अनुसार कानपुर जेल के मेनगेट पर बनी कैंटीन में कैदियों का बनाया समोसा, रसगुल्ला और ब्रेड पकौड़ा खूब बिका. शहरवासियों को यहां के खाना और व्यंजन काफी पसंद आ रहा है. इसके चलते एक माह में जेल की कैंटीन में लाखों रुपये की बिक्री हो गई. उन्होंने कहा, जहां जेल बनी है वहां आसपास तहसील, डीएम कार्यालय, कानपुर कोर्ट, पुलिस मुख्यालय समेत कई अन्य सरकारी कार्यालय हैं. यहां रोजाना हजारों की संख्या में लोग आते हैं.
आए दिन नए प्रयोग कर रहे कानपुर के कैदी : जेल अधीक्षक डाॅ. बीडी पांडेय ने बताया कि कानपुर जेल में 1500 से अधिक कैदी हैं. इनमें से कई कैदी ऐसे हैं जो हुनरमंद बन रहे हैं. कुछ माह पहले ही कैदियों के लिए जेल में एफएम रेडियो की सुविधा शुरू की गई थी. इसके अलावा अच्छी संख्या में कैदी मोजा बना रहे हैं. हाल ही में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के लिए कैदियों ने ध्वज पताकाएं व दीये तैयार किए. कैदियों की ओर से जो ये प्रयास हो रहे हैं, उससे उन्हें अच्छी आमदनी भी हो रही है.
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