कांकेर: कांकेर में तकनीकी शिक्षा का हाल बेहाल है. दरअसल, जिले के नरहरपुर विकासखण्ड में साल 2014 में क्षेत्र के छात्रों के तकनीकी शिक्षा और कौशल विकास को बढ़ावा देने औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान(आईटीआई) कॉलेज खोला गया था. ताकि छात्र यहां से इलेक्ट्रीशियन, इलेक्ट्रॉनिक्स और अन्य औद्योगिक ट्रेडों में तकनीकी शिक्षा प्राप्त कर सकें. सरकार ने यह आईटीआई कॉलेज तो खोला लेकिन इस कॉलेज में प्रैक्टिकल समान देना ही भूल गए. आलम यह है कि पिछले 9 साल से बिना प्रेक्टिकल समान के छात्र यहां पढाई कर रहे हैं.
कलेक्टर के पास शिकायत लेकर पहुंचे बच्चे: जिले के आईटीआई के छात्र गुरुवार को कांकेर कलेक्टर से फरियाद लेकर पहुंचे थे. इस दौरान ईटीवी भारत ने छात्रों से बातचीत की. बातचीत के दौरान बच्चों ने अपनी परेशानियों पर खुलकर बात की. आईटीआई के एक स्टूडेंट् ने बताया कि, "आईटीआई 2014-15 में खुला था. प्रैक्टिकल सामान की बहुत ज्यादा जरूरत होती है बिना प्रैक्टिकल के हमारी पूरी आईटीआई की पढ़ाई ही अधूरी है. सिर्फ थ्योरी में पढ़ाई करके ही हमारी पढ़ाई पूरी नहीं हो सकती. अगर थ्योरी में पढ़े हैं तो उसको प्रेक्टिकल करके देखेंगे तभी हमारी समझ बढ़ेगी. जब से आईटीआई खुला है. तब से प्रैक्टिकल का कोई भी समान नहीं है."
प्राचार्या से भी बच्चे कर चुके हैं शिकायत: बच्चों के मुताबिक शुरुआत में यहां 17 कंप्यूटर आए थे, लेकिन मौजूदा समय में मात्र पांच कंप्यूटर पर काम किया जा रहा है. प्रिंटर भी यहां नहीं है. 40 से 45 स्टूडेंट है. बैठने के लिए जगह भी नहीं है. मात्र 10 सीटों है. इन समस्याओं की शिकायत लेकर बच्चे जब प्राचार्य के पास जाते हैं तो वह हमें आश्वासन दे देते हैं. बच्चों के मुताबिक प्रिंसिपल पूरे माह में एक दो बार ही आते हैं. उसके बाद कॉलेज में दिखाई तक नहीं देते हैं. साथ ही बच्चों ने बताया कि जब से कॉलेज खुला है, तब से अब तक बच्चों को कोई छात्रवृत्ति नहीं मिली है.
बिना प्रैक्टिकल पढ़े हम एग्जाम दे रहे हैं. हम थ्योरी पढ़कर ही प्रैक्टिकल का एग्जाम देते हैं. थ्योरी में जितना हमको याद रहता है, उतना प्रैक्टिकल के एग्जाम में लिखकर आते हैं. हमको समझ में कुछ नहीं आ रहा है, फिर भी हम एग्जाम दे रहे हैं. - छात्र
प्राचार्य के पास नहीं कोई पावर: इस पूरे मामले में आईटीआई के प्राचार्य हरीश मनहर ने कहा कि, "मेरे पास किसी प्रकार का पावर नहीं है. कांकेर महिला आईटीआई के प्रचार्य के पास पावर है. यह बात सही है कि बच्चों के पास किसी प्रकार का प्रेक्टिकल समान नहीं है. इसकी जानकारी मैंने डायरेक्टर को दी है. आईटीआई में स्टाफ की भी कमी है. स्वीपर तक नहीं है. ये सारी जानकारी डायरेक्टर को दी जा चुकी है.
बता दें कि मौजूदा समय में फैक्ट्री, इंडस्ट्रियल में विस्तार हो रहा है, विकास हो रहा है. टेक्निकल वर्क्सस की जरूरत बढ रही है. ऐसे में आईटीआई की मांग बहुत बढ रही है. बहुत सी कंपनी आईटीआई पास स्टूडेंट्स को अच्छे पैकेज दे रही है, लेकिन आईटीआई के छात्र बिना प्रैक्टिकल सामान के पढ़ाई करने को मजबूर हैं.