शिमला: आज कारगिल युद्ध के पहले शहीद सौरभ कालिया की 48वीं जयंती हैं. कैप्टन सौरभ कालिया का जन्म 29 जून 1976 को पंजाब के अमृतसर में हुआ था. शहीद सौरभ कालिया का पैतृक गांव हिमाचल के पालमपुर में है. सौरभ कालिया कारगिल युद्ध के पहले शहीद हैं. दिसंबर 1998 में आईएमए से ट्रेनिंग के बाद फरवरी 1999 में उनकी पहली पोस्टिंग कारगिल में 4 जाट रेजीमेंट में हुई थी. फौज में चार महीने की सेवा के दौरान ही उनका सामाना दुश्मनों से हो गया था. दुश्मन ने उन्हें अमानवीय यातनाएं दी थी. 20 दिनों के बाद उनका पार्थिव शरीर क्षत-विक्षत हालत में मिला था.
शहीद सौरभ कालिया की जन्म तिथि पर बीजेपी सांसद और अभिनेत्री कंगना रनौत ने उन्हें याद किया है. एक्स पर की गई एक पोस्ट में उन्होंने सरकारों पर भी सवाल उठाए हैं, जबकि दस सालों से उनकी पार्टी की ही सरकार सत्ता में हैं. कंगना ने पोस्ट में लिखा सौरभ कालिया हो या विक्रम बत्रा हमारे लड़कों की बहादुरी, युद्ध कौशल और दृढ़ संकल्प अनुकरणीय है, फिर भी हिमाचल में हमें कभी भी किसी तरह का दंगा, झगड़ा या लड़ाई देखने को नहीं मिलती क्योंकि हमारे लोग विनम्र, शर्मीले, वास्तव में समझदार और दयालु लोग हैं, फिर भी एक समुदाय के रूप में हमें देश भर में केवल घरेलू सहायकों के रूप में प्रचारित किया जाता है. ना हम लोगों के जवानों को क्रेडिट मिलता है ना हम लोगों में किसानों को क्रेडिट मिलता है... जैसे कि हमारा खून खून नहीं है. सौरभ कालिया एक गुमनाम नायक क्यों हैं? सिर्फ इसलिए कि वह हिमाचली हैं?
Saurabh Kalia ho ya Vikram Batra our boys bravery, fighting skills and determination is exemplary, still in Himachal we never get to see any kind of riots, quarrels or fights because our men are humble, shy, genuinely understated and kind people, yet as a community we are only… https://t.co/CscJRbKTGo
— Kangana Ranaut (@KanganaTeam) June 29, 2024
कंगना के साथ साथ-करगिल वॉर के हीरो रहे ब्रिगेडियर (रि.) खुशाल ठाकुर ने भी उन्हें याद किया. ब्रिगेडेयिर खुशाल ठाकुर मंडी जिले से संबंध में रखते हैं और करगिल युद्ध में उनकी भी अहम भूमिका थी. युद्ध के दौरान वो कर्नल के पद पर थे और युद्ध के दौरान उन्होंने कंपनी को कमांड किया था. उन्होंने सौरभ कालिया को दी गई यातनाओं को अमानवीय बताया. बता दें कि कैप्टन सौरभ कालिया को पाकिस्तानी सैनिकों ने अमानवीय यातनाएं दी थीं. ये जिनेवा कन्वेंशन का उल्लंघन था. उनके परिवार ने बेटे को न्याय दिलवाने के लिए इंटरनेशनल कोर्ट तक लड़ाई लड़ी. आरोप है कि सरकार ने इस लड़ाई में परिवार का साथ नहीं दिया. 25 साल के बाद भी परिवार बेटे के लिए दुनियाभर में न्याय मांग रहा है. पिता एनके कालिया ने कथित रूप से जिम्मेदार व्यक्तियों की पहचान करने और उन्हें सजा देने के लिए पाकिस्तान पर दबाव बनाने के लिए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संगठनों से संपर्क किया, लेकिन सौरभ कालिया को वह न्याय मिल सका.
Paying tribute to #BraveHeart
— Brig Khushal Thakur (Retd) (@khushal1954) June 29, 2024
CAPTAIN SAURABH KALIA
4 JAT on his #Birthanniversary today.
He took inhumanity & brutality of paki soldiers, which no protected can imagine Was immortalized just 20 days before his birthday.
1st Balidani of #KargilWar
Never Forget Never Forgive pic.twitter.com/bQhhO0laRu
सौरभ कालिया ने हिमाचल प्रदेश के पालमपुर में डीएवी पब्लिक स्कूल में शिक्षा प्राप्त की और फिर 1997 में हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय से बीएससी की डिग्री हासिल की थी. 1998 में आईएमए से ट्रेनिंग के बाद फरवरी 1999 में उनकी पहली पोस्टिंग करगिल में 4 जाट रेजीमेंट में हुई थी. यूनिट में पोस्टिंग के चार महीने बाद पेट्रोलिंग पर निकले सौरभ कालिया को पाकिस्तान के सैनिकों ने 22 दिनों तक हिरासत में रखा था. उनके कानों को गर्म लोहे की राड से छेदा था. उनकी आंखें निकाल ली गईं, हड्डियां तोड़ दी गईं. इसके बाद नौ जून को उनका शव भारत को सौंपा गया था.