कुल्लू: भगवान शिव के अंश काल भैरव की जयंती 23 नवंबर को मनाई जाएगी. हालांकि 22 नवंबर शाम को अष्टमी तिथि शुरू होने से कालाष्टमी शुरू हो जाएगी और काल भैरव की पूजा रात्रि काल में भी की जाती है. ऐसे में काल भैरव का आशीर्वाद पाने के लिए लोगों द्वारा 22 नवंबर की रात को भी पूजा अर्चना की जाएगी और उदया तिथि के अनुसार 23 नवंबर को भी भगवान काल भैरव की जयंती मनाई जाएगी. ऐसे में अगर व्यक्ति जीवन में परेशानियों का सामना कर रहा है, तो वह इस दिन कुछ विशेष उपाय कर भगवान काल भैरव का आशीर्वाद ले सकता है.
काल भैरव जयंती पर क्या करें?
कुल्लू के आचार्य आशीष शर्मा का कहना है कि भगवान काल भैरव भगवान शिव के प्रिय है और कुछ उपाय से भगवान काल भैरव की कृपा आसानी से भक्त को मिलती है.
- कालाष्टमी के दिन अपनी तर्जनी और मध्यमा अंगुली को सरसों के तेल में डुबोकर एक रोटी पर लाइन खींचें.
- उसके बाद इस रोटी को किसी भी दो रंग के कुत्ते को खिलाएं.
- अगर कुत्ता यह रोटी खा लेता है तो काल भैरव की कृपा आपको मिलेगी.
- लेकिन अगर कुत्ता रोटी सूंघ कर आगे बढ़ जाता है तो इसी तरह रोजाना रोटी डालते रहे.
- कालाष्टमी के दिन सरसों के तेल में पापड़, पकौड़े, पुए आदि तलकर उन्हें गरीबों में बांटना चाहिए.
- इस कार्य से प्रसन्न होकर होकर बाबा काल भैरव भय से मुक्ति दिलाते हैं.
आचार्य आशीष कुमार ने बताया कि इस दिन सरसों के तेल में उड़द दाल के पकोड़े बना कर बिना किसी को बताए घर से बाहर निकल जाएं और रास्ते में जो भी पहला कुत्ता दिखाई दे. उसे यह पकौड़े खाने को दे दें. ध्यान रखें कि पकौड़े खिलाने के बाद कुत्ते को पलट कर ना देखें. इस उपाय को कालाष्टमी या भैरव जयंती के दिन किया जाना चाहिए और इस उपाय से समस्त कष्टों का निवारण हो जाएगा.
(नोट- ईटीवी भारत उपरोक्त दी गई जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. ये जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है.)