बाड़मेर: बाड़मेर में गुरुवार को कजली तीज का पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया गया. सुहागिन महिलाओं और युवतियों ने निर्जल रहकर तीज का व्रत रखा. यह व्रत गुरुवार रात को चंद्र दर्शन के बाद पति के हाथों सत्तू खाकर खोला गया.
इस पर्व को लेकर सुहागिन महिलाओं और युवतियों में जबरदस्त उत्साह देखने को मिला. गुरुवार को दिनभर उपवास रखा गया. महिलाओं ने मंदिरों और घरों में रात के समय तीज पर कथा का श्रवण किया. वहीं रात को चांद के दर्शन किए. विधिवत पूजा की और व्रत खोला.
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नीमड़ी माता की पूजा अर्चना: स्थानीय निवासी सुधा डांगरा ने बताया कि सावन मास में कजली तीज का पर्व मनाया जाता है. सुहागिन महिलाएं अपने अखंड सौभाग्य ओर कुंवारी बालिकाएं अच्छा वर (पति) पाने के लिए तीज के दिन निर्जला व्रत रखती हैं. उन्होंने बताया कि शाम के समय महिलाएं और युवतियां समूह के रूप में सब मिलकर निम्बड़ी माता की कथा का श्रवण करने के साथ ही पूजा अर्चना करते हैं.
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सुहाग की दीर्घायु की कामना: इसी तरह स्थानीय महिला समता मूंदड़ा बताती हैं कि कजली तीज महिलाओं के लिए बड़ा पर्व है. हम लोग कई दिनों से तीज के इस पर्व को लेकर तैयारियों में लगे हुए थे. एक दिन पहले हमने अपने हाथों पर मेहंदी लगाई और फिर तीज का व्रत रखा. शाम को श्रृंगार कर नीमड़ी माता की पूजा अर्चना कर अपने सुहाग की लंबी आयु की कामना की.