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काल भैरव जयंती पर पूजा पाठ से पाएं ग्रह पीड़ा मुक्ति, बनेंगे बिगड़े हुए काम - KAL BHAIRAV ​​JAYANTI 2024

23 नवंबर को काल भैरव जयंती मनाई जाएगी. इस दिन विधि-विधान से पूजा करने पर काल भैरव लोगों की ग्रह पीड़ा को दूर करते हैं.

23 नवंबर को मनाई जाएगी काल भैरव जयंती
23 नवंबर को मनाई जाएगी काल भैरव जयंती (ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Nov 20, 2024, 6:02 PM IST

कुल्लू: भगवान शिव के प्रिय गण काल भैरव की कृपा से भक्तों के बिगड़े हुए काम बनते हैं और राहु-केतु और अन्य पाप ग्रहों के कष्ट से भी भक्तों को मुक्ति मिलती है. ऐसे में भगवान शिव के प्रिय गण काल भैरव की जयंती 23 नवंबर को मनाई जाएगी. मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को काला अष्टमी के नाम से जाना जाता है और मार्गशीर्ष मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को ही भगवान काल भैरव का प्रादुर्भाव हुआ था. ऐसे में इस साल 23 नवंबर को भगवान काल भैरव की जयंती मनाई जाएगी.

वहीं, इस दिन भगवान भैरव की पूजा अर्चना करने से जहां व्यक्ति को ग्रह जनित पीड़ा से मुक्ति मिलती है. वहीं, व्यक्ति को किसी भी प्रकार का भय नहीं रहता है. सनातन धर्म की मान्यता के अनुसार भगवान शिव ने अंधकासुर का वध करने के लिए काल भैरव का अवतार लिया था. ऐसे में मार्गशीर्ष के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को भगवान शिव ने काल भैरव का रूप धारण किया था. भगवान शिव के इस रूप की पूजा करने से सभी भय और संकट दूर हो जाते हैं. वहीं इस दिन भगवान शिव का रुद्राभिषेक भी विशेष तौर पर किया जाता है.

ये पूजा विधान

आचार्य विजय कुमार का कहना है कि, 'काल भैरव जयंती हर साल मार्गशीर्ष महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है. अष्टमी तिथि की शुरुआत 22 नवंबर को शाम 6 बजकर 7 मिनट पर होगी. वहीं, इसका समापन 23 नवंबर को रात के 7 बजकर 56 मिनट पर होगा. ऐसे में उदया तिथि के अनुसार काल भैरव जयंती इस साल 23 नवंबर को मनाई जाएगी. भगवान काल भैरव की कृपा पाने के लिए भक्त इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और भगवान शिव के उग्र अवतार यानी भैरव बाबा का ध्यान करें. इसके बाद सूर्य देव को अर्घ्य दें और अपने पूजा कक्ष की सफाई अच्छी तरह से करने के बाद भगवान काल भैरव की एक प्रतिमा स्थापित करें. भक्त काल भैरव की प्रतिमा को चंदन का तिलक लगाएं और उन्हें फूल-माला अर्पित करें. काल भैरव को मीठी रोटी और हलवे का भोग लगाएं और कालभैरव अष्टकम और मंत्रों का पाठ करें. उसके बाद आरती से पूजा संपन्न करें और भगवान के समक्ष शंखनाद करें. भक्त भगवान कालभैरव का आशीर्वाद लें और शाम को भी विधिपूर्वक काल भैरव जी की पूजा करें.'

सभी मनोकामनाएं होती हैं पूरी

आचार्य विजय कुमार का कहना है कि अगर जीवन में कष्ट अधिक हो रहे हैं और जीवन में मुश्किलें बढ़ रही हो तो, ऐसे लोगों को काला अष्टमी के दिन बाबा भैरव की पूजा अवश्य करनी चाहिए. भगवान भैरव की पूजा करने से जहां सभी प्रकार के भय से मुक्ति मिलती है तो, वही सभी मनोकामनाएं भी पूरी होती है.

ये भी पढ़ें: क्या है बूढ़ी दिवाली, पटाखों का नहीं होता शोर...दीपावली के एक महीने बाद इसे क्यों और कैसे मनाते हैं लोग

कुल्लू: भगवान शिव के प्रिय गण काल भैरव की कृपा से भक्तों के बिगड़े हुए काम बनते हैं और राहु-केतु और अन्य पाप ग्रहों के कष्ट से भी भक्तों को मुक्ति मिलती है. ऐसे में भगवान शिव के प्रिय गण काल भैरव की जयंती 23 नवंबर को मनाई जाएगी. मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को काला अष्टमी के नाम से जाना जाता है और मार्गशीर्ष मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को ही भगवान काल भैरव का प्रादुर्भाव हुआ था. ऐसे में इस साल 23 नवंबर को भगवान काल भैरव की जयंती मनाई जाएगी.

वहीं, इस दिन भगवान भैरव की पूजा अर्चना करने से जहां व्यक्ति को ग्रह जनित पीड़ा से मुक्ति मिलती है. वहीं, व्यक्ति को किसी भी प्रकार का भय नहीं रहता है. सनातन धर्म की मान्यता के अनुसार भगवान शिव ने अंधकासुर का वध करने के लिए काल भैरव का अवतार लिया था. ऐसे में मार्गशीर्ष के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को भगवान शिव ने काल भैरव का रूप धारण किया था. भगवान शिव के इस रूप की पूजा करने से सभी भय और संकट दूर हो जाते हैं. वहीं इस दिन भगवान शिव का रुद्राभिषेक भी विशेष तौर पर किया जाता है.

ये पूजा विधान

आचार्य विजय कुमार का कहना है कि, 'काल भैरव जयंती हर साल मार्गशीर्ष महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है. अष्टमी तिथि की शुरुआत 22 नवंबर को शाम 6 बजकर 7 मिनट पर होगी. वहीं, इसका समापन 23 नवंबर को रात के 7 बजकर 56 मिनट पर होगा. ऐसे में उदया तिथि के अनुसार काल भैरव जयंती इस साल 23 नवंबर को मनाई जाएगी. भगवान काल भैरव की कृपा पाने के लिए भक्त इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और भगवान शिव के उग्र अवतार यानी भैरव बाबा का ध्यान करें. इसके बाद सूर्य देव को अर्घ्य दें और अपने पूजा कक्ष की सफाई अच्छी तरह से करने के बाद भगवान काल भैरव की एक प्रतिमा स्थापित करें. भक्त काल भैरव की प्रतिमा को चंदन का तिलक लगाएं और उन्हें फूल-माला अर्पित करें. काल भैरव को मीठी रोटी और हलवे का भोग लगाएं और कालभैरव अष्टकम और मंत्रों का पाठ करें. उसके बाद आरती से पूजा संपन्न करें और भगवान के समक्ष शंखनाद करें. भक्त भगवान कालभैरव का आशीर्वाद लें और शाम को भी विधिपूर्वक काल भैरव जी की पूजा करें.'

सभी मनोकामनाएं होती हैं पूरी

आचार्य विजय कुमार का कहना है कि अगर जीवन में कष्ट अधिक हो रहे हैं और जीवन में मुश्किलें बढ़ रही हो तो, ऐसे लोगों को काला अष्टमी के दिन बाबा भैरव की पूजा अवश्य करनी चाहिए. भगवान भैरव की पूजा करने से जहां सभी प्रकार के भय से मुक्ति मिलती है तो, वही सभी मनोकामनाएं भी पूरी होती है.

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