सोलन: पिछले साल बरसात के दिनों में हुए नुकसान के जख्म अभी तक नहीं भरे हैं. लोगों को अब इस साल भी बरसात का डर सताने लगा है. सोमवार को हुई बारिश के कारण जहां शिमला नालागढ़ मार्ग पर बादल फटने जैसे हालत बनने के बाद खौफनाक मंजर सामने आया. इसके बाद अर्की में स्थित ज्यावला गांव के लोग बरसात शुरू होने से पहले ही खौफ में जी रहे हैं. सोमवार को बारिश थमने के बाद भारी मलबा गांव में घुस चुका था. इससे पहले ऐसा मंजर गांव में लोगों ने कभी नहीं देखा था. लोगों का कहना है कि बरसाती नालों के कारण गांव का अस्तित्व ही खतरे में पड़ गया है.
ग्रामीणों का कहना है कि प्रकृति से छेड़छाड़ का खामियाजा अब लोगों को भुगतना पड़ रहा है. आज पहाड़ों पर जंगल तबाह हो चुके हैं, जिसकी वजह से ज्यावला गांव में वर्षों से बहने वाले पानी के नाले थोड़ी सी ही बरसात में उफान मारने लग जाते हैं. सरकार को इसकी ओर विशेष ध्यान देना चाहिए. सबसे पहले पहाड़ियों पर पौधरोपण और बहते नालों में जगह-जगह चेकडैम लगाने होंगे. सरकार ने समय रहते कोई उचित कदम नहीं उठाया तो आने वाले समय मे छोटा सा गांव ज्यावला और गंभरपुल अपना अस्तित्व ही खो सकते हैं. ग्रामीणों ने सरकार एवं प्रशासन से गुहार लगाई है कि ज्यावला गांव की सुध ली जाए और ग्रामीणों का भविष्य देखकर कोई योजना बनाकर उसे धरातल पर उतारा जाए.
वहीं, कुनिहार-नालागढ़ मार्ग पर गंभरपुल और ज्यावला गांव में बारिश से हुए भू-स्खलन का जायजा लेने के लिए सीपीएस संजय अवस्थी भी अधिकारियों सहित मौके पर पंहुचे. उन्होंने सोमवार को बारिश के बाद गंभरपुल पर हुए नुकसान का जायजा लिया और ज्यावला गांव में जाकर मौके का भी निरीक्षण किया. उन्होंने ग्रामीणों से बातचीत के पश्चात मौके पर मौजूद सभी अधिकारियों को निर्देश दिए कि ग्रामीणों की सभी परेशानियों का तुरंत निपटारा किया जाए. पहाड़ी से आने वाले नाले के पानी के बहाव से कोई नुकसान न हो इसके लिए विभाग तुरंत कोई प्रपोजल तैयार करे. इसके अतिरिक्त गांव के लिए सड़क, पानी, बिजली आदि संबंधित सभी शिकायतों का निपटान किया जाए. उन्होंने कहा कि बरसात के दौरान गंभरपुल में पानी की निकासी का समाधान कर दिया जाएगा.
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