नई दिल्ली: दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने संसद सुरक्षा चूक के आरोपियों की न्यायिक हिरासत 11 नवंबर तक बढ़ा दी. एडिशनल सेशंस जज हरदीप कौर ने ये आदेश दिया है. कोर्ट 11 नवंबर को आरोपियों के खिलाफ आरोप तय करने पर सुनवाई करेगी. आज सभी आरोपियों की न्यायिक हिरासत खत्म हो रही थी, जिसके बाद उन्हें कोर्ट में पेश किया गया.
दरअसल, दिल्ली पुलिस ने अपनी चार्जशीट में कहा है कि आरोपी संसद भवन को निशाना बनाकर लोकतंत्र को बदनाम करना चाहते थे. संसद पर हमले के लिए आरोपी दो साल से योजना बना रहे थे. करीब एक हजार पेजों के चार्जशीट में दिल्ली पुलिस ने कहा है कि आरोपी एक-दूसरे से सोशल मीडिया पर मिले थे. आरोपियों ने मैसूर, गुरुग्राम और दिल्ली में कुल पांच बैठकें की थी. उनकी पहली मुलाकात फरवरी 2022 में मैसूर में हुई थी. दिल्ली पुलिस के इस चार्जशीट पर कोर्ट ने 3 अगस्त को संज्ञान लिया था.
दिल्ली पुलिस ने 15 जुलाई को इस मामले में पूरक चार्जशीट दाखिल की थी. दिल्ली पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा मामले में 186, 353, 153, 452, 201, 34, 120बी और यूएपीए की धारा 13, 16, 18 के तहत चार्जशीट दाखिल किया था. दिल्ली पुलिस ने 7 जून को पहली चार्जशीट दाखिल की थी. दिल्ली पुलिस ने जिन आरोपियों के खिलाफ यूएपीए की धाराओं के तहत चार्जशीट दाखिल की है, उनमें मनोरंजन डी, ललित झा, अमोल शिंदे, महेश कुमावत, सागर शर्मा और नीलम आजाद शामिल है.
दिल्ली पुलिस की ओर से दाखिल पहली चार्जशीट करीब एक हजार पन्नों की है. बता दें, 13 दिसंबर 2023 को संसद की विजिटर गैलरी से दो आरोपी चैंबर में कूद गये थे और कुछ देर में एक आरोपी ने डेस्क के ऊपर चलते हुए अपने जुतों से कुछ निकाला और अचानक पीले रंग का धुआं निकलने लगा. इस घटना के बाद सदन में अफरातफरी मच गई. हंगामे और धुएं के बीच कुछ सांसदों ने इन युवकों को पकड़ लिया और इनकी पिटाई भी की. कुछ देर के बाद संसद के सुरक्षाकर्मियों ने दोनों युवकों को कब्जे में ले लिया. संसद के बाहर भी दो लोग पकड़े गए जो नारेबाजी कर रहे थे और पीले रंग का धुआं छोड़ रहे थे.
पटियाला हाउस कोर्ट ने 21 दिसंबर 2023 को दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल को निर्देश दिया था कि वो आरोपी नीलम के परिजनों को एफआईआर की प्रति 24 घंटे के अंदर उपलब्ध कराएं. पटियाला हाउस कोर्ट के इस आदेश को दिल्ली पुलिस ने हाईकोर्ट में चुनौती दी है. 22 दिसंबर 2023 को हाईकोर्ट ने पटियाला हाउस कोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी थी.
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