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जेएनयू शिक्षक संघ ने रेक्टर की नियुक्ति पर उठाए सवाल, प्रोबेशन अवधि में मनमाने विस्तार का लगाया आरोप

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय शिक्षक संघ ने सोमवार को आरोप लगाया कि कई नवनियुक्त संकाय सदस्यों की परिवीक्षा अवधि मनमाने तरीके से बढ़ा दी गई है.

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Oct 14, 2024, 7:46 PM IST

नई दिल्ली: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) का शिक्षक संघ, जेएनयूटीए ने हाल में विश्वविद्यालय प्रशासन की कुछ कार्रवाइयों पर कड़ी आपत्ति जताई है. सोमवार को जारी एक बयान में संघ ने आरोप लगाया कि कई नवनियुक्त संकाय सदस्यों की परिवीक्षा अवधि को मनमाने ढंग से बढ़ा दिया गया है. इसके अलावा, संघ ने रेक्टर I की नियुक्ति पर भी सवाल उठाए हैं, जिसमें दावा किया गया है कि यह संस्थान की वरिष्ठता नियमों का उल्लंघन है.

जेएनयूटीए का कहना है कि रेक्टर I की नियुक्ति अध्यादेश 5 (खंड 4) का उल्लंघन है, जिसमें स्पष्ट रूप से कहा गया है, "यदि दो या अधिक रेक्टर हैं, तो जिस रेक्टर की सेवा अवधि सबसे लंबी होगी, वह सबसे वरिष्ठ होगा. संघ ने आरोप लगाया है कि कुलपति जानबूझकर इस नियम का उल्लंघन कर रहे हैं, जो विश्वविद्यालय की सुशासन और स्थानीय नियमावली के खिलाफ है.

संघ के अनुसार, इन विवादास्पद कार्रवाइयों के प्रभाव पहले ही सामने आ रहे हैं. नवनियुक्त रेक्टर ने हाल में 159वीं अकादमिक परिषद की बैठक में भाग लिया है और 319वीं कार्यकारी परिषद की बैठक में भी शामिल होंगे. जेएनयूटीए ने समाज के लिए इस तरह के प्रशासनिक निर्णयों के निहितार्थों को गंभीरता से लिया है, यह देखते हुए कि ये निर्णय किसी भी विश्वविद्यालय के संचालन को प्रभावित कर सकते हैं.

साथ ही सेमिनार में नवनियुक्त संकाय सदस्यों के लिए परिवीक्षा अवधि के विस्तार का मुद्दा भी उठाया गया है. जेएनयूटीए ने कहा कि कुलपति ने संकाय के केंद्रों और स्कूलों द्वारा भेजी गई मजबूत सिफारिशों के खिलाफ विस्तार आदेश जारी किए हैं. शिक्षक संघ ने प्रशासन से तुरंत इन आदेशों को वापस लेने का आग्रह किया है, जिससे शैक्षणिक स्थिरता को बनाए रखा जा सके.

यह भी पढ़ें- DU, जामिया, जेएनयू और एयूडी में अब भी दाखिले का मौका, बस करना होगा ये काम

कुलपति की प्रतिक्रिया: कुलपति शांतिश्री डी पंडित ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि परिवीक्षा का विस्तार यूजीसी नियमों के अनुसार किया जाता है यदि संकाय सदस्य अपने नौकरी अनुबंध में न्यूनतम कार्यभार दायित्वों को पूरा नहीं करते हैं. इस जवाब ने शिक्षक संघ के भीतर और भी असंतोष पैदा किया है.

इसके साथ ही जेएनयूटीए ने विशेष केंद्रों की कार्यप्रणाली की समीक्षा के लिए गठित सात सदस्यीय समिति की भी आलोचना की. इसे "अकादमिक स्वायत्तता पर सीधा हमला" करार दिया. संघ ने मांग की है कि इस पैनल को तुरंत भंग किया जाए, क्योंकि यह विश्वविद्यालय के नियमों और निर्धारित प्रक्रियाओं के खिलाफ है.

कैरियर एडवांसमेंट स्कीम (सीएएस) के तहत पदोन्नति के मामलों में भी शिक्षक संघ ने आरोप लगाए हैं कि कुलपति ने मनमाने ढंग से कुछ संकाय सदस्यों के लिए साक्षात्कार आयोजित नहीं करने का निर्णय लिया है. संघ का कहना है कि कई संकाय सदस्यों को पदोन्नति के लिए मजबूर किया गया था, जिससे उन्हें अपने सेवा के वर्षों के लाभ से वंचित किया गया है.

यह भी पढ़ें- JNU प्रोफेसर की पत्नी का सफाई कर्मचारी ने नहाते हुए बनाया वीडियो

नई दिल्ली: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) का शिक्षक संघ, जेएनयूटीए ने हाल में विश्वविद्यालय प्रशासन की कुछ कार्रवाइयों पर कड़ी आपत्ति जताई है. सोमवार को जारी एक बयान में संघ ने आरोप लगाया कि कई नवनियुक्त संकाय सदस्यों की परिवीक्षा अवधि को मनमाने ढंग से बढ़ा दिया गया है. इसके अलावा, संघ ने रेक्टर I की नियुक्ति पर भी सवाल उठाए हैं, जिसमें दावा किया गया है कि यह संस्थान की वरिष्ठता नियमों का उल्लंघन है.

जेएनयूटीए का कहना है कि रेक्टर I की नियुक्ति अध्यादेश 5 (खंड 4) का उल्लंघन है, जिसमें स्पष्ट रूप से कहा गया है, "यदि दो या अधिक रेक्टर हैं, तो जिस रेक्टर की सेवा अवधि सबसे लंबी होगी, वह सबसे वरिष्ठ होगा. संघ ने आरोप लगाया है कि कुलपति जानबूझकर इस नियम का उल्लंघन कर रहे हैं, जो विश्वविद्यालय की सुशासन और स्थानीय नियमावली के खिलाफ है.

संघ के अनुसार, इन विवादास्पद कार्रवाइयों के प्रभाव पहले ही सामने आ रहे हैं. नवनियुक्त रेक्टर ने हाल में 159वीं अकादमिक परिषद की बैठक में भाग लिया है और 319वीं कार्यकारी परिषद की बैठक में भी शामिल होंगे. जेएनयूटीए ने समाज के लिए इस तरह के प्रशासनिक निर्णयों के निहितार्थों को गंभीरता से लिया है, यह देखते हुए कि ये निर्णय किसी भी विश्वविद्यालय के संचालन को प्रभावित कर सकते हैं.

साथ ही सेमिनार में नवनियुक्त संकाय सदस्यों के लिए परिवीक्षा अवधि के विस्तार का मुद्दा भी उठाया गया है. जेएनयूटीए ने कहा कि कुलपति ने संकाय के केंद्रों और स्कूलों द्वारा भेजी गई मजबूत सिफारिशों के खिलाफ विस्तार आदेश जारी किए हैं. शिक्षक संघ ने प्रशासन से तुरंत इन आदेशों को वापस लेने का आग्रह किया है, जिससे शैक्षणिक स्थिरता को बनाए रखा जा सके.

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कुलपति की प्रतिक्रिया: कुलपति शांतिश्री डी पंडित ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि परिवीक्षा का विस्तार यूजीसी नियमों के अनुसार किया जाता है यदि संकाय सदस्य अपने नौकरी अनुबंध में न्यूनतम कार्यभार दायित्वों को पूरा नहीं करते हैं. इस जवाब ने शिक्षक संघ के भीतर और भी असंतोष पैदा किया है.

इसके साथ ही जेएनयूटीए ने विशेष केंद्रों की कार्यप्रणाली की समीक्षा के लिए गठित सात सदस्यीय समिति की भी आलोचना की. इसे "अकादमिक स्वायत्तता पर सीधा हमला" करार दिया. संघ ने मांग की है कि इस पैनल को तुरंत भंग किया जाए, क्योंकि यह विश्वविद्यालय के नियमों और निर्धारित प्रक्रियाओं के खिलाफ है.

कैरियर एडवांसमेंट स्कीम (सीएएस) के तहत पदोन्नति के मामलों में भी शिक्षक संघ ने आरोप लगाए हैं कि कुलपति ने मनमाने ढंग से कुछ संकाय सदस्यों के लिए साक्षात्कार आयोजित नहीं करने का निर्णय लिया है. संघ का कहना है कि कई संकाय सदस्यों को पदोन्नति के लिए मजबूर किया गया था, जिससे उन्हें अपने सेवा के वर्षों के लाभ से वंचित किया गया है.

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