जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट के जस्टिस विनीत कुमार माथुर की एकलपीठ ने एक महत्वपूर्ण आदेश पारित करते हुए भूमिहीन कृषक को आवंटित जमीन की बजाय काबिज भूमि आवंटित करने का आदेश देते हुए जैसलमेर कलेक्टर के आदेश को निरस्त कर दिया. जैसलमेर के भोजासर निवासी डूंगर सिंह की ओर से अधिवक्ता परमवीर सिंह ने याचिका पेश करते हुए बताया कि याची को भूमिहीन कृषक होने के कारण 38 बीघा भूमि पर काबिज था. उसे 38 बीघा भूमि आवंटित कर दी गई, लेकिन जानकारी नहीं होने से जिस खसरे में उसे भूमि आवंटित हुई थी, उसकी बजाय दूसरी भूमि पर काबिज हो गया.
पिछले पचास सालों से उसने भूमि को कृषि योग्य बनाते हुए कृषि कर रहा है. बाद में उसे जानकारी होने पर उसने काबिज भूमि को आवंटित करने के लिए और पूर्व में आवंटित भूमि से बदलने का आवेदन किया. जैसलमेर कलेक्टर ने याची के आवेदन को निरस्त कर दिया, जिसको राजस्थान हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी. याची की ओर से कहा गया कि उसे नियमानुसार भूमि आवंटन तो हुआ, लेकिन उसे इसकी जानकारी नहीं थी कि वो कौन सा खसरा है. जिस खसरे में आवंटन किया गया, उसकी बजाय दूसरे खसरे में काबिज हो गया. कड़ी मेहनत से अब वो जमीन कृषि योग्य बनी है. ऐसे में सरकार की ओर से जो भूमि आवंटित की गई, वो पथरीली व चट्टानों वाला है, जिसे बदलने का आवेदन किया था.
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कोर्ट ने भी सुनवाई के बाद कहा कि याची ने कड़ी मेहनत, समर्पण और प्रतिबद्धता से खेती योग्य भूमि पिछले 50 सालों की मेहनत है, जो सारे व्यर्थ हो जाएंगे. कोर्ट ने जैसलमेर कलेक्टर के आदेश को निरस्त करते हुए याची को काबिज भूमि आवंटित करने के आदेश दिए हैं.