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जमीन धोखाधड़ी केस में पुलिस कमिश्नर वीसी के जरिए हाईकोर्ट में हुए पेश - Rajasthan High Court

जमीन धोखाधड़ी के मामल में अदालती आदेश की पालना में जयपुर पुलिस कमिश्नर बीजू जार्ज जोसेफ वीसी के जरिए कोर्ट में पेश हुए.

Police Commissioner appears Court,  Jaipur Police Commissioner
जमीन धोखाधड़ी केस में पुलिस कमिश्नर वीसी के जरिए हाईकोर्ट में हुए पेश.
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Mar 19, 2024, 8:59 PM IST

जयपुर. एक ही जमीन को दो बार बेचने के जमीन धोखाधड़ी से जुड़े 12 साल पुराने केस में अदालती आदेश की पालना में जयपुर पुलिस कमिश्नर बीजू जार्ज जोसफ मंगलवार को दोपहर दो बजे हाईकोर्ट में वीसी और जांच अधिकारी व्यक्तिगत तौर पर पेश हुए. उन्होंने अदालत को बताया कि पुलिस एक मामले में आरोपियों के खिलाफ कोर्ट में चालान पेश कर चुकी है और सीआरपीसी की धारा 41ए के तहत आरोपियों से पूछताछ की गई है.

इसके विरोध में प्रार्थी समिति के अधिवक्ता प्रहलाद शर्मा ने बताया कि पुलिस इस मामले में वास्तविक आरोपियों को बचाने का प्रयास कर रही है और निष्पक्ष जांच नहीं हो रही. पुलिस ने सीआरपीसी की धारा 41ए का नोटिस देकर आरोपी तो माना, लेकिन उन्हें गिरफ्तार करने की जरूरत नहीं हुई है. यह मामला संज्ञेय अपराध से जुड़ा हुआ है और इनमें आरोपियों की गिरफ्तारी भी जरूरी होती है. अदालत ने दोनों पक्षों को सुनकर मामले की सुनवाई 20 अप्रैल को तय की.

पढ़ेंः कलेक्टर बताएं कितने मामलों में जमीन बिकने के दिन ही म्युटेशन खोला-हाईकोर्ट

अदालत ने यह निर्देश पटेल नगर गृह निर्माण सहकारी समिति की याचिका पर दिया. दरअसल प्रार्थी समिति ने 2012 में जेडीए पुलिस थाने में एक ही जमीन को दो बार बेचान करने के आरोप में मामला दर्ज कराया था. इसमें कहा था कि उसने 7 नवंबर, 1989 को सांगानेर के पास टीलावाला गांव में 2 बीघा जमीन खरीदकर वहां एक कॉलोनी विकसित की थी और तय शुल्क देकर उसकी 90 बी भी करवा ली थी, लेकिन इसके मालिकों ने इसे किसी अन्य को भी बेच दिया. पुलिस ने मामले की जांच छह अफसरों से कराई और उन्होंने माना कि राम प्रसाद, हीरा देवी व सीता राम सहित ने धोखाधड़ी की है. पुलिस ने न तो मामले में अग्रिम कार्रवाई की और न कोई गिरफ्तारी की.

जयपुर. एक ही जमीन को दो बार बेचने के जमीन धोखाधड़ी से जुड़े 12 साल पुराने केस में अदालती आदेश की पालना में जयपुर पुलिस कमिश्नर बीजू जार्ज जोसफ मंगलवार को दोपहर दो बजे हाईकोर्ट में वीसी और जांच अधिकारी व्यक्तिगत तौर पर पेश हुए. उन्होंने अदालत को बताया कि पुलिस एक मामले में आरोपियों के खिलाफ कोर्ट में चालान पेश कर चुकी है और सीआरपीसी की धारा 41ए के तहत आरोपियों से पूछताछ की गई है.

इसके विरोध में प्रार्थी समिति के अधिवक्ता प्रहलाद शर्मा ने बताया कि पुलिस इस मामले में वास्तविक आरोपियों को बचाने का प्रयास कर रही है और निष्पक्ष जांच नहीं हो रही. पुलिस ने सीआरपीसी की धारा 41ए का नोटिस देकर आरोपी तो माना, लेकिन उन्हें गिरफ्तार करने की जरूरत नहीं हुई है. यह मामला संज्ञेय अपराध से जुड़ा हुआ है और इनमें आरोपियों की गिरफ्तारी भी जरूरी होती है. अदालत ने दोनों पक्षों को सुनकर मामले की सुनवाई 20 अप्रैल को तय की.

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अदालत ने यह निर्देश पटेल नगर गृह निर्माण सहकारी समिति की याचिका पर दिया. दरअसल प्रार्थी समिति ने 2012 में जेडीए पुलिस थाने में एक ही जमीन को दो बार बेचान करने के आरोप में मामला दर्ज कराया था. इसमें कहा था कि उसने 7 नवंबर, 1989 को सांगानेर के पास टीलावाला गांव में 2 बीघा जमीन खरीदकर वहां एक कॉलोनी विकसित की थी और तय शुल्क देकर उसकी 90 बी भी करवा ली थी, लेकिन इसके मालिकों ने इसे किसी अन्य को भी बेच दिया. पुलिस ने मामले की जांच छह अफसरों से कराई और उन्होंने माना कि राम प्रसाद, हीरा देवी व सीता राम सहित ने धोखाधड़ी की है. पुलिस ने न तो मामले में अग्रिम कार्रवाई की और न कोई गिरफ्तारी की.

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